दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी ने अपने सभी कैंडीडेट्स के नामों की घोषणा कर दी है जबकि बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तकर सभी 70 सीटों के लिए कैंडीडेट्स के नामों की घोषणा नहीं की है।

 

बीजेपी ने कैंडीडेट्स के नामों की तीन लिस्ट जारी की है जिसमें से अभी तक 59 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। तीसरी लिस्ट में तो सिर्फ एक ही नाम था और इसको लेकर काफी विवाद भी देखने को मिला।

 

तीसरी लिस्ट में करावल नगर से बीजेपी के मौजूदा विधायक मोहन सिंह बिष्ट का नाम था जिन्हें मुस्तफाबाद से टिकट दिया गया है। इस बार करावल नगर से कपिल मिश्रा को वोट दिया गया है। इस बात को लेकर काफी बवाल मचा और मोहन सिंह कैमरे पर आंसू छलकाते हुए भी दिखे।

 

दरअसल, अगर सीटों के बंटवारे की बात की जाए तो बीजेपी में इस बार काफी गहमागहमी और असंतोष देखने को मिला। तमाम नेता जो दूसरी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आए उन्हें बीजेपी ने टिकट दे दिए। इस बात को लेकर भी पार्टी के अंदर विरोध देखने को मिला।

 

खबरगांव आपको ऐसे नेताओं के नाम बताने वाला है जो कभी न सिर्फ दूसरी पार्टी में थे बल्कि दिल्ली सरकार में मंत्री भी थे, यानी कि वे उस पार्टी के कद्दावर नेता थे और अब वे बीजेपी में शामिल हो गए हैं। 

कैलाश गहलोत

कभी आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता रहे कैलाश गहलोत ने पिछले साल नवंबर में बीजेपी ज्वाइन किया। वह अरविंद केजरीवाल के काफी करीबी माने जाते थे। उन्होंने हाल ही में आतिशी की अगुवाई में गठित कैबिनेट में मंत्रिपद संभालने के बाद कहा था, 'हम केजरीवाल का हनुमान बनकर काम करेंगे। मैं अरविंद केजरीवाल का हनुमान हूं।'

 

केजरीवाल सरकार में वह परिवहन, गृह, प्रशासनिक सुधार और महिला एवं बाल विकास मंत्री थे. बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें बिजवासन से टिकट दिया गया है। आप में वह नजफगढ़ से विधायक थे। हालांकि, बिजवासन और नजफगढ़ दोनों जाट बाहुल्य सीटें हैं और वे खुद जाट नेता हैं। 

कपिल मिश्रा

कपिल मिश्रा ने साल 2019 में आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन किया था। आम आदमी पार्टी सरकार में वह जल संसाधन मंत्री थे लेकिन अपने मंत्रालय में अनियमितताओं का आरोप लगाने की वजह से उनसे मंत्रालय छीन लिया गय। बाद में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी विधायक होने के बावजूद बीजेपी के लिए प्रचार करते हुए देखे गए।

 

हम केजरीवाल का हनुमान बनकर काम करेंगे। इसको आधार बनाकर उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में आम आदमी पार्टी से बाहर निकाल दिया गया।

 

इसके बाद उन्होंने 2019 में बीजेपी ज्वाइन कर लिया। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें मॉडल टाउन से टिकट दिया लेकिन वे जीत हासिल नहीं कर सके। इस बार बीजेपी ने उन्हें करावल नगर से टिकट दिया है। 

अरविंदर सिंह लवली

अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। पिछले साल मई में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर लिया था। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें दरकिनार किया गया था, इसलिए उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर लिया। 

 

लवली 1998 से लेकर 2015 तक दिल्ली के गांधी नगर से लगातार विधायक रहे। शीला दीक्षित सरकार में वह  शहरी विकास एवं राजस्व, शिक्षा, परिवहन, पर्यटन, भाषा, गुरुद्वारा चुनाव, स्थानीय निकाय एवं गुरुद्वारा प्रशासन मंत्री थे। बीजेपी ने भी उन्हें गांधी नगर से ही टिकट दिया है।

राजकुमार चौहान

राजकुमार चौहान शीला दीक्षित के कार्यकाल में लगातार 15 सालों तक मंत्री रहे हैं। 2024 अरविंदर सिंह लवली के साथ ही उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया। वह 2001 से 2003 के बीच शिक्षा और समाज कल्याण मंत्री रहे जबकि शीला दीक्षित के दूसरे और तीसरे मंत्रिमंडल में विकास, राजस्व, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, लोक निर्माण विभाग, एससी/एसटी कल्याण विभाग मंत्री रहे।


दरअसल, वह पश्चिमी दिल्ली से लोकसभा का टिकट चाह रहे थे लेकिन कांग्रेस ने डॉ उदित राज को टिकट दे दिया। इसके बाद कांग्रेस से अपने रास्ते अलग कर लिए और बीजेपी का दामन थाम लिया। अब बीजेपी ने उन्हें फिर से मंगोलपुरी से ही टिकट दिया है।

 

राजकुमार चौहान इसके पहले भी एक बार बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के पहले भी यही हुआ था वह कांग्रेस से लोकसभा का टिकट चाह रहे थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया था। हालांकि, 8 महीने बाद ही पिछले विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने फिर से कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लिया था। बीजेपी ने उन्हें मंगलोपुरी से अपना उम्मीदवार बनाया है।

राजकुमार आनंद

पटेल नगर से बीजेपी के कैंडीडेट आम आदमी पार्टी के नेता रहे हैं. वह केजरीवाल सरकार में मंत्री थे लेकिन पिछले साल जुलाई में उन्होंने आप का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। हालांकि, लोकसभा चुनाव से पहले वह आम आदमी पार्टी छोड़कर बसपा में शामिल हो गए थे लेकिन अब वह बीजेपी के साथ हैं। वह केजरीवाल सरकार में समाज कल्याण एवं एससी/एसटी मंत्री थे।

 

राजकुमार आनंद ने आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीएसपी से उन्होंने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें केवल 5629 वोट ही मिल सके थे।