महाराष्ट्र और झारखंड में आज यानी बुधवार को शाम 6 बजे वोटिंग खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही मतदाताओं के वोट ईवीएम में बंद हो जाएंगे, जिसके नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। लेकिन इससे पहले आज वोटिंग खत्म होने के बाद एग्जिट पोल के अनुमान सामने आएंगे, जिसपर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। सभी के मन में एक ही सवाल है कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा में किस पार्टी को बहुमत मिलेगा।
एक्जिट पोल के अनुमान वोटिंग खत्म होने के बाद इसलिए आएंगे क्योंकि निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक कोई भी संस्थान एक्जिट पोल जारी नहीं कर सकता। निर्वाचन आयोग की इस गाइडलाइन का कोई भी टीवी चैनल उल्लंघन नहीं कर सकता।
निष्कर्ष निकालने की कोशिश
दरअसल, एग्जिट पोल्स में लोकसभा या विधानसभा आदि के रुझानों के जरिए निष्कर्ष निकालने की कोशिश की जाती है। हजारों लोगों से बातचीत करके यह अंदाजा लगाया जाता है कि किस पार्टी के पक्ष में चुनावी नतीजे आएंगे। कई बार एग्जिट पोल के नतीजे और मतगणना रिजल्ट लगभग एक समान होते हैं लेकिन, पिछले कई एक्जिट पोल्स की विश्वनीयता पर सवाल खड़े हुए हैं।
वहीं, कभी-कभी दोनों स्थितियों में बड़ा अंतर होता है या फिर यह बिल्कुल विपरीत दिशा में निकल जाते हैं। यही वजह है कि एग्जिट पोल पर कई लोग पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पाते हैं। केवल एग्जिट पोल ही नहीं चुनाव के दौरान ओपिनियन पोल की भी खासी चर्चा होती है।
ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर एग्जिट पोल से ओपिनियन पोल कितना अलग है। दोनों में कौन ज्यादा सटीक होता है? आइए जानें...
क्या होते हैं एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे है, जिसके जरिए चुनाव को लेकर सटीक भविष्यवाणी करने की कोशिश की जाती है। एग्जिट पोल को मतदान के दिन लोगों से बातचीत के आधार पर किया जाता है और यह बातचीत मतदान खत्म होने तक जारी रहती है। इस पद्धति में मतदान सेंटर से वोट करके बाहर आने वाले वोटरों से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया है।

इस तरह से लोगों से मिले आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया जाता है और अनुमान लगाया जाता है कि चुनाव के नतीजे क्या होंगे। भारत में चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल के रिजल्ट को मतदान के दिन टेलिकास्ट करने पर बैन लगाया हुआ है। यह रोक सभी चरणों की वोटिंग पूरी होने के बाद प्रसारित किए जा सकते हैं। इस तरह से दोनों राज्यों में वोटिंग खत्म होने के बाद के बाद एग्जिट पोल सामने आ जाएंगे।
प्रसारण करने की परमिशन वोटिंग खत्म होने के बाद ही क्यों?
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए के तहत वोटिंग के दौरान ऐसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए जो मतदाताओं के मन-मनोविज्ञान पर असर डाले। साथ ही यह कानून यह भी करते है कि इससे वोटरों के वोट देने के फैसले को प्रभावित कर सकता है। नियम के मुताबिक, वोटिंग खत्म होने के डेढ़ घंटे तक एग्जिट पोल्स का प्रसारण नहीं किया जा सकता।
क्या होते हैं ओपिनियन पोल?
बात करें ओपिनियन पोल की तो यह चुनाव की तारीखों की घोषणा होने से पहले किए जाते हैं। इस पद्धति में लोगों से बात करते उनका मूंड भांपा जाता है और उनसे चुनाव को लेकर सैंपल लिए जाते हैं। ओपिनियन पोल चुनावी तारीखों की घोषणा से पहले किया जाता है, जिसमें आम लोगों की राय से देश का मूड समझा जाता है। एक तरह से ओपिनियन पोल प्री पोल सर्वे है, जो चुनाव चुनाव से पहले टीवी पर दिखाया जा सकता है। वहीं, चुनाव की घोषित होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने के तुरंत बाद ओपिनियन पोल पर बैन लग जाता है।
एग्जिट पोल से कितना अलग है ओपिनियन पोल
एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में एक जो सबसे साफ अंगर है वो यह कि एग्जिट पोल मतदान के दिन किए जाते हैं। वहीं, ओपिनियन पोल्स चुनाव से पहले किए जाते हैं। हालांकि, दोनों ही पद्धतियों में लोगों से बात करके निष्कर्ष निकाला जाता है।
कब शुरू हुआ एग्जिट पोल
बता दें कि साल 1967 में डच समाजशास्त्री और पूर्व राजनीतिज्ञ मार्सेल वान डेन ने चुनाव के दौरान एग्जिट पोल्स किया था। इसके अलावा कई लोग यह भी मानते हैं कि एग्जिट पोल्स जैसे अनुमान का कॉनसेंप्ट साल 1940 में आया था।