दिल्ली में 5 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने- सामने है लेकिन इस बीच कांग्रेस ने भी कमर कसी हुई है। राहुल गांधी दिल्ली में लगातार रैलियां कर रहे हैं।


ऐसा माना जा रहा है कि जिस तरह से पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुत मेहनत नहीं की थी और कहीं न कहीं बीजेपी को हराने के लिए आम आदमी पार्टी के लिए नरम थी, उसके विपरीत इस बार कांग्रेस पार्टी न सिर्फ एक के बाद एक रैलियां कर रही है बल्कि दिल्ली में अपना वोट बेस बढ़ाने की लगातार कोशिश भी कर रही है।

 

पर खास बात यह है कि राहुल गांधी ने हर रैली में आम आदमी के खिलाफ कम बोला है जबकि बीजेपी के ऊपर कहीं ज्यादा निशाना साधा है।

 

'बीजेपी नफरत और हिंसा फैलाती है'

गुरुवार को बादली की रैली में राहुल गांधी ने कहा कि वह और उनकी पार्टी बीजेपी के साथ कभी भी समझौता नहीं करेंगे। अपनी लड़ाई को विचारधारा की लड़ाई बताते हुए उन्होंने कहा कि एक तरफ बीजेपी और आरएसएस है और दूसरी तरफ कांग्रेस है। वे (बीजेपी और आरएसएस) नफरत, हिंसा और लोगों में डर फैलाते हैं। वे जहां भी वे नफरत फैलाएंगे हम मोहब्बत की दुकान खोलेंगे।

 

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'नफरत के खिलाफ लड़ रहे'

इसके बाद उन्होंने कहा कि 'एक विचारधारा संविधान को बचाने का काम करती है और दूसरी उसे खत्म करना चाहती है। महात्मा गांधी नफरत के खिलाफ लड़ रहे थे, वह हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई को एकजुट करने की कोशिश कर रहे थे और दलितों की सुरक्षा कर रहे थे। उन्हें किसने मारा। वही लोग जिनकी विचारधारा ने देश में आग लगाने का काम किया है।'

'मोदी जी चाहते हैं लोग बंटें'

पीएम मोदी को निशान बनाते हुए उन्होंने कहा, 'मोदी जी क्यों नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं? क्योंकि वह चाहते हैं कि लोग आपस में लड़ें, वे चाहते हैं कि लोग आपस में बंटें और कमजोर हों। जब लोग लड़ेंगे और बटेंगे तो नरेंद्र मोदी देश की संपत्ति को अडाणी और अंबानी को दे देंगे।'

 

ऐसे ही सीलमपुर में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'हमने देखा कि मणिपुर में क्या हुआ। हम यह नहीं चाहते कि यह कहीं और भी हो। हम एक ऐसा देश चाहते हैं जहां हम बिना डर के और स्वतंत्रता के साथ रह सकें।'

क्या हो सकती है वजह

एक्सपर्ट्स का कहना है कि राहुल गांधी का बीजेपी खिलाफ बोलने के पीछे एक कारण यह हो सकता है कि वह लगातार मुस्लिम वोटों को साधने में लगे हुए हैं। इसीलिए उन्होंने अपनी चुनावी रैली की भी शुरूआत सीलमपुर से की थी जहां पर 55 से 60 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं।

 

राहुल गांथी को लगता है कि बीजेपी के खिलाफ बोलने से मुस्लिमों का वोट उनके खिलाफ एकजुट हो सकता है जो कि अभी आम आदमी पार्टी के साथ है।

 

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