जिस जमाने में भारत में 'इस प्यार से मेरी तरफ न देखो' और 'तू-तू-तू तारा' जैसे गानों का क्रेज था, उस जमाने में बाबा सहगल ने पॉप म्यूजिक में अपना करियर शुरू किया। 90 के दशक में जब भारतीय 'प्यार भरे' गाने सुनकर रोमांटिक और 'दर्द भरे' गाने सुनकर रोया करते थे, तब बाबा सहगल 'दिलरूबा', 'अलीबाबा' और 'ठंडा-ठंडा पानी' जैसे एल्बम लेकर आए। बाबा सहगल को भारत का पहला और सबसे सफल रैपर माना जाता है।
बाबा सहगल का पहला एल्बम 'दिलरूबा' 1990 में आया था। इसके बाद उन्होंने 1991 में 'अलीबाबा' लॉन्च किया। हालांकि, उन्हें पहचान मिली 'ठंडा-ठंडा पानी' एल्बम से जो 1992 में आया था। बाबा सहगल के इस एल्बम की 50 लाख से ज्यादा कैसेट बिकी थीं। यह इतना हिट हुआ, जिसने बाबा सहगल को भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया।
भारत में रैप और हिप हॉप म्यूजिक में दशकों तक बाबा सहगल का एकतरफा राज रहा। मूल रूप से पंजाब के रहने वाले बाबा सहगल का असली नाम हरजीत सिंह सहगल है। बाबा सहगल पंजाबी हैं लेकिन उनका बचपन से लेकर जवानी तक का समय उत्तर प्रदेश में बीता। उनका जन्म भी लखनऊ में हुआ था। पढ़ाई भी यहीं हुई।
बाबा सहगल... रैपर के गुरु!
भारत में रैप और हिप हॉप म्यूजिक को लोकप्रिय बनाने का क्रेडिट बाबा सहगल को ही जाता है।
बाबा सहगल अपने गानों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों का इस्तेमाल करते थे। उनके गाने का अंदाज हल्का-फुल्का और मनोरंजक था और इसने ही उन्हें पॉपुलर किया।
ऐसा माना जाता है कि बाबा सहगल ही थे, जिन्होंने भारत में रैप और हिप हॉप म्यूजिक का रास्ता खोला।
साल 1995 में आई 'डांस पार्टी' फिल्म का म्यूजिक बाबा सहगल ने ही डायरेक्ट किया था। इस फिल्म में गाना था 'कपूरथला से आया हूं', तेरे लिए लाया हूं, ऑरेंज कुर्ता पीला पयजामा...'। यह गाना बहुत पॉपुलर हुआ था।
बाबा सहगल पहले ऐसे इंडियन आर्टिस्ट हैं, जिनका म्यूजिक वीडियो MTV Asia पर ब्रॉडकास्ट हुआ था। 90 के दशक में DD2 पर प्राइम टाइम में 'सुपरहिट मुकाबला' शो आता था, जिसे बाबा सहगल प्रेजेंट करते थे।
2001 से 2005 तक बाबा सहगल न्यूयॉर्क में रहे। जब वह लौटकर आए तो उन्होंने अपना नया एल्बम 'वेलकम टू मुंबई' लॉन्च किया। यह उनका 22वां एल्बम था।
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पंजाबी रैपर्स की शुरुआत
बाबा सहगल ने भारत में हिप हॉप म्यूजिक की शुरुआत कर दी थी। इससे पंजाबी म्यूजिक में भी रैप और हिप हॉप का कल्चर बढ़ा। पंजाबी रैप को अंतर्राष्ट्रीय पहचान तब मिली, जब 2000 के दशक में बोहेमिया की एंट्री हुई।
पाकिस्तान के पंजाबी मूल के अमेरिकी रैपर बोहेमिया ने 2002 में 'विच परदेसां दे' एल्बम लॉन्च किया। उन्होंने अमेरिका और पंजाबी कल्चर को मिला दिया, जिसे युवाओं ने काफी प्रभावित किया।
यह वह दौर था जब रफ्तार और बादशाह जैसे रैपर भी आ चुके थे। हालांकि, इन सबका खास प्रभाव नहीं दिखा। बाद में 'देसी हिप हॉप' गाना आया। इस गाने में रफ्तार, बोहेमिया और बादशाह भी थे। हालांकि, यहां भी एक समस्या यह थी कि कोई भी भारतीय रैपर अकेले अपना कोई ऐसा एल्बम नहीं ला पा रहा था, जो पॉपुलर हो। इसका तोड़ निकाला रफ्तार ने। उन्होंने मंज मुशीक के साथ मिलकर 'स्वैग मेरा देसी' गाना लॉन्च किया। इसमें रफ्तार ने रैप की। इसने रैप को अलग पहचान दिलाई।
हालांकि, रफ्तार से भी पहले हनी सिंह का जादू चला। हनी सिंह ने हिप-हॉप को बॉलीवुड और पार्टी सीन में ला दिया। उनके गाने जैसे 'लुंगी डांस' और 'ब्लू आइज' ने इसे आम लोगों तक पहुंचाया।
बोहेमिया की लोकप्रियता से प्रभावित होकर हनी सिंह, लिल गोलू, बादशाह, रफ्तार और इक्का जैसे कलाकारों ने 'माफिया मुंडीर' के नाम से एक ग्रुप बनाया। इन्होंने अपने करियर में कई हिट पंजाबी रैप गाने लॉन्च किए। पंजाबी रैपर्स सफल हुए तो बॉलीवुड फिल्मों में भी इनकी एंट्री हुई। कई बॉलीवुड फिल्मों में हनी सिंह, बादशाह, रफ्तार जैसे कई रैपर ने गाने गाए हैं।
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मुंबई के स्लम से निकला हिप हॉप
माना जाता है कि हिप हॉप और रैप का जन्म न्यूयॉर्क की गलियों में हुआ था। भारत में इसकी शुरुआत पंजाबी रैप से हुई। धीरे-धीरे रैप की यह दीवानगी और भी जगह पहुंची। मुंबई की स्लम से निकले गई रैपर ने इसे और लोकप्रिय बना दिया।
मुंबई की गलियों से निकले नावेद शेख निकले, जिन्हें 'नेजी' के नाम से जाना जाता है। नेजी ने 2014 में अपना पहला गाना 'आफत!' लॉन्च किया। बिना किसी तामझाम के और इफेक्ट के उन्होंने इस गाने को यूट्यूब पर अपलोड कर दिया। उनका यह वीडियो वायरल हो गया। उनके बाद मुंबई की ही इन गलियों से विवियन फर्नांडिस भी निकले, जिन्हें 'डिवाइन' के नाम से जाना जाता है। उन्हें अपने 'ये मेरा बॉम्बे' एल्बम से पहचान मिली।
2019 में आई फिल्म 'गली बॉय' ने इस मूवमेंट को और बढ़ावा दिया। फिल्म में डिवाइन और नेजी के गाने शामिल थे, जो असली रैप कल्चर को दिखाते थे। यह फिल्म हिप-हॉप को भारत में एक नई पहचान दिलाने में मददगार रही।
आज के समय में मुंबई की स्लम और संकरी गलियों से ऐसे कई रैपर निकले, जिन्होंने अपनी खास पहचान बनाई है। आज के दौर में सिर्फ हिंदी या पंजाबी ही नहीं, बल्कि ओड़िया, मराठी, बंगाली और भोजपुरी जैसी कई भाषाओं में भी रैपर निकल रहे हैं। मगर एक बात यह भी है कि जिस बाबा सहगल ने भारत में रैप और हिप हॉप म्यूजिक शुरू किया, आज वही बाबा सहगल कहीं गुमनाम हो गए हैं। आज बाबा सहगल अपना यूट्यूब चैनल चलाते हैं लेकिन उनके सब्सक्राइबर्स की संख्या सिर्फ 1.21 लाख ही है।