गोविंदा अपने समय के हीरो नंबर वन थे। वह दमदार एक्टर होने के साथ कमाल के डांसर भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने काम से लोगों के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाई। एक समय था जब गोविंदा एक बार में 14 से 15 फिल्में साइन करते थे। दर्शक थिएटर में उनकी फिल्मों के रिलीज होने का इंतजार करते थे। फिर एक ऐसा भी दौर आया जब उन्हें काम मिलना बंद हो गया। 

 

वह अपने कई इंटरव्यू में भी इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि निर्माताओं ने उन्हें काम देना बंद कर दिया था। उनके दोस्तों ने फोन उठाना बंद कर दिया।। पिछले कई सालों से गोविंदा फिल्मों से दूर हैं। अब फिल्म मेकर पहलाज निहलानी ने गोविंदा के डाउनफॉल के बारे में बात की।

 

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कैसे बर्बाद हुआ गोविंदा का करियर

पहलाज ने विक्की लालवानी को दिए इंटरव्यू में कहा, 'गोविंदा एक ऑलराउडर थे। उन्होंने अपने करियर को बहुत अच्छे से संभाला लेकिन उसकी कमजोरी थी कि वह लोगों पर आसानी से भरोसा कर लेता था और इसी वजह से ऐसा हुआ। उसके आसपास सही लोग नहीं थे इसी वजह से वह इधर उधर भटकते रहे। वह अपने आस पास पंडितों और ज्योतिषों को रखते जिस पर उन्हें भरोसा था। उन्हीं की संगति में रहते हैं। इस तरह की बातचीत ने उनकी छवि को बहुत खराब किया और जिस वजह से उनका फिल्मी करियर प्रभावित हुआ'।

 

फिल्म मेकर ने आगे कहा, 'वह सिंगल स्क्रीन होरी थे और जब मल्टीप्लेक्स आए तो लोगों ने उनकी फिल्मों को रिलीज होने से रोक दिया। जब पार्टनर के बाद गोविंदा का टाइम आया तो लोगों ने उन्हें नीचे दिखाया और शो नहीं दिए। डेविड धवन उनके साथ काम कर रहे थे। उन्होंने गोविंदा के मन में मेरे लिए जहर डाल दिया था क्योंकि मैंने पैसा कमाया था जबकि मेरी ही फिल्म से उनका नाम हुआ था'।

 

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गोविंदा का फिल्मी करियर

90 के दशक में गोविंदा अपने करियर के पीक पर थे। उन्हें 'राजा बाबू', 'कूली नंबर वन', 'हीरो नंबर वन', 'साजन', 'साजन चले ससुराल' जैसी फिल्मों से पहचान मिली थी। 2000 के बाद उनकी कोई फिल्म नहीं चली। अब गोविंदा के बेटे यशवर्धन अपना बॉलीवुड डेब्यू फिल्म मेकर साई रजेश की फिल्म से करने वाले हैं।