विशाल भारद्वाज इंडस्ट्री के बेहतरीन फिल्म मेकर्स में से एक हैं। उनकी फिल्मों के किरदार लीक से हटकर होते हैं। वह निर्देशक होने के साथ-साथ कवि, निर्माता, लेखक और संगीतकार भी हैं। अपने काम से उन्होंने करोड़ों लोगों के दिलों को जीता है। आप उनकी कोई भी फिल्म उठाकर देख लें। सब एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। मकड़ी, ओमकारा, मकबूल, सात खून माफ, हैदर, कमीने जैंसे तमाम फिल्मों का निर्देशन उन्होंने किया है।

 

निर्देशक की फिल्मों में आप देखेंगे की उनके हीरो-हीरोइन ज्यादा बदलते नहीं है। वो रिपीट एक्टर के साथ काम करते हैं। फिर चाहें वो नसीरुद्दीन, इरफान, शाहिद, तबू आपको उनकी फिल्मों में जरूर नजर आएंगे।

 

कैसे एक लाइटर से जुड़े हैं संजीव और विशाल

 

विशाल ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि वह गुलजार साहब के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। उनकी हर फिल्म में उनके गाने होते हैं। निर्देशक ने बताया कि गुलाब साहब की मेरी फेवरेट फिल्म 'इलजाम' है। उन्होंने बताया कि मेरे लिए उनकी बात पत्थर की बात होती है। मुझे लगता था कि वो जो कह रहे हैं सही ही होगा। संजीव कुमार के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा वो पानी की तरह था। किसी भी कैरेक्टर में ढल जाते थे।

 

गुलजार साहब और संजीव कुमार ने साथ में कई फिल्मों में काम किया। एक बार संजीव कुमार को आंधी या किसी फिल्म के फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। उन्होंने गुलजार साहब को Dunhell का लाइटर दिया था। करीब 40 या 45 साल बाद गुलजार साहब ने वो लाइटर मुझे हैदर के बाद दिया। आज तक मेरे पास वो लाइटर पड़ा हुआ है। मैं तुम्हारे लिए लेकर आता। भले ही हम कभी मिले नहीं। लेकिन हम एक लाइटर से जुड़े हुए हैं। 

 

'हैदर' को बताया सबसे मुश्किल फिल्म

 

इसके अलावा विशाल ने अपनी फिल्म 'हैदर' के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगा था कि मैं हैदर जैसी फिल्म बनाना बहुत मुश्किल है। मुझे लगता है कि वो किस्मत है। वरना तो मैं हर बार ऐसा करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगा था कि 'कमीने' कभी इतनी बड़ी हिट होगी। मुझे लग रहा था कि ये फिल्म का क्या होगा। इस फिल्म के सेट पर कास्ट और क्रू में बहुत ज्यादा झगड़े होते थे।