पुष्पा 2 में अल्लू अर्जुन का एक खास अवतार खूब वायरल है। नीली साड़ी, चेहरे पर नीला रंग, गले में नींबू की माला और पुष्पा का स्वैग, लोगों को खूब पसंद आ रहा है। अब लोगों को ये तो समझ में आ रहा है कि ये साउथ इंडिया का कोई रिचुअल या त्योहार है। लेकर असलियत में इसे क्या कहते हैं वो काफी कम लोग ही जानते हैं। क्यूरियोसिटी तब और बढ़ रही है, जब ये पता चल रहा है कि सऊदी अरब के सेंसर बोर्ड ने इस 19 मिनट के सीन को हटा दिया है। अब ऐसा क्यों हैं, जानते हैं इस खबर में।
फिल्म में इंटरवेल के बाद एक फाइट सीन है। इस सीन में अल्लू अर्जुन नीली साड़ी पहने हुए हैं। अल्लू अर्जुन के गले में नींबू की माला है और एक खास तरह का वो मेकअप किए हुए हैं। 19 मिनट लंबे इस सीन को गंगम्मा जतरा सीन कहा जा रहा है।
क्या है गंगम्मा जतरा?
मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म की वेबसाइट के मुताबिक गंगम्मा, भगवान श्री वेंकटेश्वर की छोटी बहन हैं। आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा की जाती है। तिरुपति के लोग गंगम्मा की पूजा करने के लिए गंगम्मा जतरा मनाते हैं। शुरुआत में ये पूजा तिरुपति के मूल निवासी ही किया करते थे। अब ये आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों से होते हुए तेलंगाना तक फैल चुकी है। हर साल मई महीने की शुरुआत में इस त्योहार को मनाया जाता है। इस दिन भगवान वेंकटेश्वर की ओर से तिरुमाला तिरुपति देवस्थान मंदिर गंगम्मा को एक उपहार भेजते हैं। इसे कहा जाता है परिसु। इसमें नीली साड़ी, हल्दी, कुमकुम और चूड़ियां होती हैं।
किंवदंती है कि तिरुपति इलाके में पालेगाडु नाम का एक आदमी रहा करता था। ये उस इलाके का मुखिया था और काफी दुष्ट था। वो इलाके की महिलाओं पर बुरी नजर रखता था। उसकी हरकतों से परेशान होकर इलाके की महिलाओं ने तिरुपति मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर से मदद मांगी। कुछ दिनों बाद तिरुपति के ही पास मौजूद अविलाला गांव में भगवान वेंकटेश्वर ने गंगम्मा के रुप में जन्म लिया। जब गंगम्मा बड़ी हुईं तो पालेगाडु की नजर उन पर भी पड़ी। जब पालेगाडु ने गंगम्मा के साथ छोड़खानी की। सरेआम उनका हाथ पकड़ लिया। इस हरकत से गुस्साई गंगम्मा ने अपना रौद्र रूप दिखाया। जिसे कहा जाता है विश्वरुपम। गंगम्मा के इस रुप को देखकर पालेगाडु डर गया और कहीं जा कर छिप गया।
क्या करते हैं स्थानीय लोग?
ऐसा कहा जाता है कि गंगम्मा, 3 दिनों तक पालेगाडु को खोजती रहीं। इस दौरान वो अलग-अलग तरीके से तैयार होतीं और अलग-अलग तरह से कपड़े पहनतीं। चौथे दिन गंगम्मा ने पालेगाडु के मालिक डोरा का वेश धारण किया। जब पालेगाडु ने देखा की उसे बचाने उसके मालिक आए हैं तो वो तुरंत बाहर आ गया। फिर देवी गंगम्मा ने पालेगाडु को मार डाला।
देवी को धन्यवाद देने के लिए हर साल तिरुपति के स्थानीय लोग इस त्योहार को मनाते हैं। लोग पागोड़ा के एक छोटे रुप को सजाते हैं, कंधे पर रखते हैं और मंदिर तक लेकर जाते हैं। इसे कहा जाता है सापरलाउ। ये तरह से मन्नत पूरी होने का प्रतीक माना जाता है। सापरलाउ एक पालकीनुमा चीज होती है। पागोड़ा चौकोर गुंबदनुमा आकृति को कहा जाता है। ये भारत के साथ ही साउथ एशिया के देशों में भी दिखाई देता है।
अल्लू अर्जुन क्यों बने औरत?
इस गंगम्मा जतरा के आखिरी दिन यानी चौथे दिन पुरुष महिलाओं की तरह सजते-धजते हैं। नीली साड़ी पहनते हैं। अलग तरह से मेकअप करते हैं। खुद को नीले रंग रंंगते हैं। जैसे अल्लू अर्जुन ने पुष्पा 2 में किया है। और फिर इसी अवतार में पुरुष मंदिर में पूजा करने जाते हैं। इस रश्म को कहा जाता है पेरंटालु वेशम।
पारंपरिक रूप से ये रश्म सिर्फ कैकला कबिले के पुरुष किया करते थे। धीरे-धीरे ये दूसरे समाज तक भी फैलता गया। अब तिरुपति से बाहर, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई हिस्सों में ये गंगम्मा जतरा त्योहार मनाया जाता है। इस तरह से साड़ी पहन कर नीला मेकअप करना, यूथ के बीच फैशन स्टेटमेंट बन चुका है। यूथ बड़े शौख से इस तरह से तैयार होकर घूमते हैं। पुष्पा 2 में भी अल्लू अर्जुन आपको ये त्योहार मनाते दिखाई देंगे। वो साड़ी पहनेंगे। खुद को नीला रंगेंगे। नींबू की माला पहनेंगे। और फिर आएगा वो फाइट सीन।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब को इस बात से परेशानी है कि हीरो को एक महिला के ड्रेस में दिखाया गया है। सऊदी अरब एक रूढ़ीवादी मुस्लिम देश है, जो LGBTQ को स्वीकार नहीं कर पाया है। इसलिए वो इस तरह से किसी हिरो के साड़ी पहनने को LGBTQ से जोड़ कर देख रहा है। इसके अलावा सऊदी अरब के भीतर फिल्म में हिंदू देवताओं के बहुत ज्यादा चित्रण पर भी आपत्ति है। ये एक बड़ी वजह है कि सऊदी के सेंसर बोर्ड ने फिल्म के 19 मिनट लंबे इस गंगम्मा जतरा सीन को उड़ा दिया है।