पिछले कुछ दिनों से सीरिया में विद्रोही एक के बाद एक शहर पर कब्ज़ा करते जा रहे हैं। शुक्रवार को विद्रोहियों ने घोषणा की कि उन्होंने सीरिया के एक और शहर दारा पर कब्ज़ा कर लिया है। दारा सीरिया का चौथा सबसे बड़ा शहर है और यहां की जनसंख्या करीब एक लाख है। खास बात है कि यह देश की राजधानी दमिश्क से सिर्फ लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है। दूसरी बात यह वही शहर है जहां से 13 साल पहले असद सरकार के खिलाफ पहली बार विद्रोह शुरू हुआ था।
दो तरफ से लड़ रहे हैं लड़ाके
राजधानी दमिश्क तक पहुंचने के लिए लड़ाके उत्तर और दक्षिण दोनों तरफ से लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि, सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई बयान जारी नहीं किया है लेकिन स्थानीय विद्रोही लड़ाकों ने बयान जारी करके कहा है कि उन्होंने दारा पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है और तमाम सरकारी व अन्य संस्थानों पर उनका कब्जा हो गया है।
किन शहरों पर हो चुका है कब्ज़ा
विद्रोहियों ने पिछले हफ्ते सीरिया के उत्तर-पश्चिम स्थित देश के सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया था और उसके बाद उन्होंने आगे बढ़ते हुए मध्य सीरिया के शहर होम्स पर भी कब्ज़ा कर लिया। विद्रोहियों के कब्जे के बाद हज़ारों लोग शहर छोड़कर भाग गए हैं। अब दारा पर कब्जे के बाद विद्रोही धीरे-धीरे नेशनल हाइवे से होते हुए राजधानी दमिश्क की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। इसके अलावा विद्रोहियों ने उत्तर की ओर से लड़ रहे इस्लामिक संगठन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) की अगुवाई में दक्षिण की ओर बढ़ने से पहले हमा शहर पर भी कंट्रोल कर लिया।
साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग हो चुके बेघर
इन घटनाओं की वजह से सीरिया में अब तक साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। बेघर होने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। खबरों के मुताबिक वहां काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि सैकड़ों लोग मर चुके हैं और घायल हैं लेकिन वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं।
कैसे शुरू हुआ युद्ध
साल 2011 में अरब स्प्रिंग के वक्त सीरिया में बशर-अल-असद सरकार के खिलाफ भी बड़े स्तर पर विद्रोह होने लगा। इसके बाद असद सरकार ने विद्रोहियों को कुचलने की कार्रवाई की। इस दौरान फ्री सीरियन आर्मी जैसे तमाम विद्रोही ग्रुप पैदा हो गए। लेकिन साल 2012 के मध्य तक इसने पूरी तरह से युद्ध का रूप ले लिया।
विद्रोही गुटों को उस वक्त नाटो और गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल से सहायता मिल रही थी जबकि असद सरकार को ईरान और रूस की आर्मी मदद कर रही थी। हालांकि, विद्रोही गुटों ने साल 2013 में रक्का और 2015 में इदलिब पर कब्जा कर लिया। लेकिन 2018 आते आते फिर से इदलिब को छोड़कर बाकी का एरिया असद सरकार के कंट्रोल में चला गया। तब से लेकर अब तक सीरिया में असद सरकार और विद्रोहियों के बीच कब्जे को लेकर लड़ाई चल रही है।
तो क्या विद्रोही कर पाएंगे कब्ज़ा
होम्स पर कब्जे के बाद चिंताएं काफी बढ़ गई हैं क्योंकि इसकी सीमा लेबनान, ईराक और जॉर्डन से भी लगती है। माना जाता है कि होम्स दमिश्क के लिए दरवाजे की तरह है। इसी के मद्देनज़र असद आर्मी को बुलाकर दमिश्क के चारों तरफ तैनात कर रहे हैं ताकि वह राजधानी शहर की सुरक्षा कर सकें। लेकिन इस वजह से वह एक के बाद एक प्रमुख शहरों को खोते जा रहे हैं।
पश्चिम एशिया के शहरों में इसका क्या असर होगा
विद्रोहियों के कब्जे का पश्चिम एशिया में क्या फर्क पड़ेगा इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि हाल ही में एक संयुक्त बयान में तीनों देशों ईरान, ईराक और सीरिया के विदेश मंत्रियों ने बयान दिया था कि विद्रोहियों का आगे बढ़ना तीनों देशों के नागरिकों के लिए बड़ा खतरा है। तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने विद्रोहियों को 'आतंकवादी' कहकर संबोधित किया और पूरी दुनिया से मिलकर इससे लड़ने की अपील की।
इज़रायल भी तैयार
इस बीच इज़रायल ने भी सीरिया में हो रही घटनाओं पर नजर बना रखी है। बढ़ते खतरे को देखते हुए शुक्रवार को इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा बलों को उच्च स्तरीय तैयारी करके रखने को कहा गया है।
शुक्रवार को ही इजरायल के सेना ने कहा था कि उसने सीरिया के उन स्थानों पर हमला किया है जहां से हिज़्बुल्लाह हथियारों की तस्करी करता था। इजरायली सेना का कहना है कि इन्ही रास्तों से हिज्बुल्लाह सीरिया के जरिए लेबनान में हथियार लाने की कोशिश करता था।