एलेक्जेंडर द ग्रेट। इतिहास का सबसे महान योद्धा जिसका साम्राज्य युनान से लेकर ईरान, इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान तक फैला हुआ था। जिसने महज 32 साल की उम्र में दुनिया जीत ली। जिस वक्त वह मैसोडोनिया का राजा बना, उसकी उम्र महज 20 साल थी, अगले 12 साल में उसने अनगिनत लड़ाइयां लड़ी, साम्राज्यों को ध्वस्त किया, रजवाड़ों को मिटाया और खुद को विश्वविजेता बनाता गया। सिकंदर को एहसास होने लगा कि वह आम इंसान नहीं है, वह देवता है और देवताओं को कोई हरा नहीं सकता।

क्या सिकंदर को डर नहीं लगता था? क्या सिकंदर को किसी का खौफ नहीं था? ऐसा आप सोचते हैं तो बेहद गलत हैं। सिकंदर हर पल डरता था। उसे अपनी मौत से डर लगता था। लगे भी क्यों न, लाखों लोगों को जंग में मार डाने वाले सिकंदर का मौत से डरना लाजमी ही थी।

कैसे थे सिंकदर के आखिरी दिन?
सिंकदर ने अपनी आखिरी सांसें 323 ईसा पूर्व बेबीलोन में ली थी। इस जगह को आज लोग इराक के नाम से जानते हैं। सिकंदर की मौत को लेकर कई तरह की जनश्रुतियां प्रचलित हैं। कुछ लोग इन्हें ऐतिहासिक तथ्यों का नाम देते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सिंकदर की मौत नहीं हुई थी, वह कोमा में था और उसे मरा मान लिया गया था। इन सबको लेकर अटकलें इसलिए लगाई गईं क्योंकि अपनी मौत के 6 दिन बाद तक भी सिकंदर की लाश में सड़न नहीं शुरू हुई थी।

खुद को इंसान नहीं मानता था सिकंदर
मैसोडोनिया साम्राज्य के राजा सिकंदर के बारे में लोग कहते थे कि वह इंसान नहीं है। इंसानी ताकतें कभी उसका मुकाबला नहीं कर सकतीं। वहां के लोग उसे भगवान मानने लगे थे। उसे खुद भी भरोसा हो गया था कि वह इंसान नहीं है, भगवान है। सिकंदर के आखिरी 12 दिन बेहद खराब रहे। वह युद्ध लड़ने वाला था। उसकी सेनाएं थक चुकी थीं। वह गंभीर रूप से बीमार पड़ा था। वह गिर चुका था। जगह-जगह जख्म लगे थे। 

इतिहासकार उसकी मौत की वजहों पर एकमत नहीं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि किसी अपने ने उसे धीमा जहर दिया था, किसी इतिहासकार का मानना है कि उसे मलेरिया हो गया था, कुछ लोग कहते हैं कि वह टाइफाइड से जूझ रहा था। कुछ लोगों ने कहा कि वजह जहरीली शराब पीने से मरा लेकिन उसकी जिंदगी के आखिरी दिन, बेहद बुरे रहे।

सिकंदर और उसकी मौत से जुड़े राज
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर की मौत गियान बेरे सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome) की वजह से हुई है। यह एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जब आपके शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र, आपके तंत्रिका तंत्र के खिलाफ काम करने लगता था। आसान भाषा में आपकी इम्युनिटी, आपके नर्व पर हमला बोल देती है, जिसकी वजह से पैरालाइसिस या लकवा जैसी स्थिति बन जाती है। 

क्यों सिंकदर की मौत को लोग बताते हैं रहस्य
यहीं से सिंकदर की मौत की अटकलों को हवा मिल जाती है। ऐसा कहा जाता है कि सिकंदर लकवाग्रस्त हो गया था, जिसकी वजह से वह कुछ प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहा था। वह मरा ही नहीं था, उसे लोगों ने मरा मान लिया था। शायद तभी 6 दिन बाद भी उसकी लाश से बदबू नहीं आ रही थी। मरने के लक्षण नहीं दिख रहे थे। 

मौत नहीं, मौत के भ्रम में मरा सिकंदर!

द एंसिएंट हिस्ट्री बुलेटिन नाम की एक मैगजीन में डॉ। कैथरिन हाल ने एक आलेख लिखकर बताया कि सिकंदर अपने आखिरी दिनों में पेट के दर्द से जूझ रहा था और उसे तेज बुखार था। वह लकवाग्रस्त हो गया था, उसका शरीर काम कर रहा था लेकिन प्रतिक्रिया नजर नहीं आ रही थी। उन्होंने माना कि वह गियान बेरे सिंड्रोम से पीड़ित था। वह लगातार लड़ाइयां लड़ रहा था, उसके शरीर में कैम्पिलोबैक्टर पाइलोरी (Campylobackter Pylori) बैक्टीरिया फैल गई थी, जिसकी वजह से वह अचेत हो गया और लगवाग्रस्त हो गया। 

डॉ। कैथरीन हेल का दावा है कि लोगों को लग रहा था कि सिकंदर की मौत हो गई है लेकिन, जब उन्हें ऐसा लग रहा था, तब सिकंदर जिंदा रहा होगा। लोगों को लगा होगा कि सिकंदर की सांसें थम गई हैं लेकिन जब लकवा एक हद से ज्यादा बढ़ जाता है, तब श्वसन की प्रक्रिया, आंखों से नजर नहीं आती है। 

ईसा पूर्व, ऐसे कोई साधन नहीं थे कि जिनसे शरीर की स्थिति भांपी जा सके। लोग नसों को टटोलकर किसी के जिंदा या मुर्दा होने की अटकलें लगाते थे। सिकंदर का शरीर पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गया होगा। लोग उसके जिंदा होने के बाद भी मरा मान बैठे। ये दुनिया जीतने वाले के आखिरी दिनों की कहानी थी, जिसके बारे में लोग ये सोचते हैं कि उसे मरने से पहले मरा मान लिया गया था।