सूरीनाम की संसद नेशनल एसेंबली के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अश्विन अधीन ने 29 जून को अपने पद की शपथ संस्कृत भाषा में ली। वे सूरीनाम के दूसरे ऐसे नेता बन गए हैं, जिन्होंने संस्कृत में शपथ ली। इससे पहले 2020 में सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद 'चान' संतोखी ने भी अपनी शपथ संस्कृत में ली थी।

 

सूरीनाम में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच 'X' पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें अश्विन अधीन को संस्कृत में शपथ लेते दिखाया गया। दूतावास ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘नवनिर्वाचित नेशनल एसेंबली के अध्यक्ष श्री अश्विन अधीन सूरीनाम के दूसरे नेता बने, जिन्होंने भारत की शास्त्रीय भाषा संस्कृत में शपथ ली।’

 

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भारत के राजदूत सुभाष गुप्ता सूरीनाम की नेशनल एसेंबली के उद्घाटन सत्र में शामिल हुए, जिसमें अश्विन अधीन को अध्यक्ष चुना गया। राजदूत गुप्ता ने अधीन को उनके चुनाव के लिए बधाई दी। दूतावास ने 'X' पर लिखा, ‘राजदूत सुभाष गुप्ता ने 29 जून को नेशनल एसेंबली के सत्र में हिस्सा लिया, जहां भारतीय मूल के अश्विन अधीन को अध्यक्ष चुना गया। वे संस्कृत में शपथ लेने वाले दूसरे नेता बने। बाद में राजदूत ने उन्हें बधाई दी।’

 

भारत से रहे अच्छे रिश्ते

भारत और सूरीनाम के बीच गहरे, मैत्रीपूर्ण और सांस्कृतिक रिश्ते हैं। भारतीय दूतावास के अनुसार, डेढ़ सदी पहले सूरीनाम पहुंचे भारतीय प्रवासियों ने इन रिश्तों को मजबूत किया है। आज सू्रीनाम की 6.2 लाख की आबादी में 27 प्रतिशत से अधिक भारतीय मूल के लोग हैं। भारत और सूरीनाम के बीच 1976 में कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए थे। 1977 में सूरीनाम की राजधानी पैरामारिबो में भारतीय दूतावास और 2000 में नई दिल्ली में सूरीनाम का दूतावास खोला गया।

 

इस ऐतिहासिक मौके पर अश्विन अधीन के संस्कृत में शपथ लेने से भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिली। यह घटना दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करती है। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस पल की सराहना की और इसे भारतीय विरासत का सम्मान बताया।

कौन हैं अश्विन अधीन

माइकल अश्विन सत्येंद्र अधीन सूरीनाम के एक प्रमुख शिक्षाविद, राजनेता और संस्कृत विद्वान हैं। अधीन भारतीय मूल के हिंदू हैं और सूरीनाम में भारतीय प्रवासियों की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में सक्रिय हैं।

 

अश्विन अधीन ने अपनी शिक्षा पैरामारिबो में शुरू की और 2001 में एंटोन डे कोम यूनिवर्सिटी ऑफ सूरीनाम से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (सूचना प्रौद्योगिकी) में बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने नीदरलैंड की डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से 2004 में टेलीकम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त की। वे वैदिक विज्ञान में डॉक्टरेट धारक भी हैं और वेद, उपनिषद, भगवद गीता जैसे ग्रंथों पर व्याख्यान दे चुके हैं।

2013 से राजनीति में आए

राजनीति में उनकी यात्रा 2013 में शुरू हुई, जब वे सूरीनाम के शिक्षा और सामुदायिक विकास मंत्री बने। 2015 में, मात्र 35 वर्ष की आयु में, वे सूरीनाम के सबसे युवा उपराष्ट्रपति बने, जो 2020 तक इस पद पर रहे। 

 

इस दौरान उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार किए, जैसे तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा (TVET) और आईसीटी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम। उन्होंने सूरीनाम में पहला प्री-कॉलेज ब्रिजिंग इंस्टीट्यूट भी स्थापित किया।

 

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संस्कृति संरक्षण के लिए किया काम

अधीन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के सदस्य हैं और 2015 में पैरामारिबो से नेशनल एसेंबली के लिए चुने गए। 2025 में, उन्होंने 34 वोटों के साथ नेशनल एसेंबली के अध्यक्ष का चुनाव जीता।

 

वे संस्कृतिक के संरक्षण की  दिशा में उन्होंने काफी काम किया। 2011 से 2014 तक वे सांस्कृतिक यूनियन सूरीनाम के अध्यक्ष रहे। भारत के साथ उनके गहरे संबंध हैं, और 2017 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर आयुर्वेद और आर्थिक सहयोग पर चर्चा की। अधीन का विजन सूरीनाम की अर्थव्यवस्था को विविधता देना और स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देना है।