बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की आवाज बने चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों को भी कट्टरपंथी निशाना बना रहे हैं। इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने दावा किया है कि चिन्मय कृष्ण दास की ओर से एक मुकदमे में पैरवी करने वाले हिंदू वकील रमन रॉय पर कट्टरपंथियों ने जानलेवा हमला किया है। उनके घर में भी लोगों ने तोड़फोड़ की है।

 

राधारमण दास का कहना है कि वे एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। इस्कॉन प्रवक्ता का कहना है कि उनकी गलती सिर्फ इतनी सी थी कि वे कृष्ण दास का कोर्ट में बचाव कर रहे थे।

राधारमण दास ने कहा कि रमन रॉय पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें से बेहद गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। वे इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती हैं और इलाज चल रहा है। उन्होंने X पर पोस्ट किया, 'रमन रॉय घायल हो गए हैं। उनके लिए प्रार्थना कीजिए। उनकी इकलौती गलती कोर्ट में कृष्ण दास का बचाव करना था। वे जीवन-मौत से जूझ रहे हैं।'

क्यों रमन रॉय पर हुआ हमला?
समाचार एजेंसी PTI ने लिखा, 'रमन रॉय पर यह हमला चिन्मय कृष्ण प्रभु का वकील होने की वजह से हुआ है। बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकार खतरे में हैं। उनके हक में जो भी आवाज उठाएगा, उन पर खतरा मंडरा रहा है।'



चिन्मय कृष्ण दास, बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हैं। बीते सप्ताह उन्हें ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। वे एक रैली में भाग लेने के लिए चटगांव जा रहे थे। बांग्लादेश की अदालत ने चिन्मय दास को जमानत देने से इनकार कर दिया है और उन्हें जेल भेज दिया। चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में हिंसक झड़पों के बाद एक सरकारी वकील की हत्या कर दी गई। 

क्यों फिर सुलगा है बांग्लादेश?
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर हिंदू संगठन भड़के हुए हैं। उनका कहना है कि उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन का हक नहीं दिया जा रहा है। अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार किया जा रहा है। चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है, जो अनैतिक है। 

बांग्लादेश में हिंसक झड़प के दौरान एक सरकारी वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की मौत हो गई थी। चटगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर नूरुल आलम ने दावा किया था कि सैफुल इस्लाम अलिफ के सिर में चोट लगी थी। वकील की मौत पर भी बांग्लादेश में हंगामा बरपा है।

बांग्लादेश में हाशिए पर हिंदू आबादी!
जब साल 1971 में मुक्ति संग्राम के बाद बांग्लादेश को आजादी मिली थी। तब देश में 22 फीसदी आबादी हिंदू थी। बांग्लादेश में अरसे तक आबादी ऐसी ही रही है लेकिन अब गिरावट आ रही है। अब देश में अल्पसंख्यक समुदायक की आबादी महज 8 फीसदी है। बांग्लादेश में हिंदू पलायन कर रहे हैं, राजनीतिक तौर पर उन्हें हाशिए पर रखा गया है और बहुसंख्यक आबादी के अत्याचार के कई मामले सामने आ चुके हैं।