बांग्लादेश की सरकार, नया इतिहास लिख रही है। बांग्लादेश के नेशनल कैरिकुलम एंड टेक्स्ट बोर्ड (NCTB) ने स्कूलों की किताबों और पाठ्यक्रमों में कई ऐसे बदलाव किए हैं, जिनके चलते लोगों को देश का वास्तविक इतिहास नहीं पता चल पाएगा। ये बदलाव शैक्षणिक वर्ष 2025 के लिए किए गए हैं। अब नए सिरे से इतिहास लिखा जा रहा है।

अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार की विदाई के बाद की गतिविधियों को इतिहास की किताबों में जगह मिली तो मुक्ति संग्राम से जुड़े कुछ किस्से हमेशा के लिए हटा लिए गए हैं। अब देश के राष्ट्रीय इतिहास को बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। 

भारत की भूमिका सिमटी, कई तस्वीरें हटाई गईं
बांग्लादेश की आजादी में भारत ने दुनिया की परवाह बिना किए, पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा लिया था। वहां की मुक्ति संग्राम में भारत के सैनिकों ने भी कुर्बानी दी थी। कई ऐतिहासिक तथ्यों को हटा दिया गया है, 2 ऐतिहासिक तस्वीरों को हटाया गया है। 

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शेख मुजीबुर्रहमान और इंदिरा गांधी की तस्वीरों को हटाया गया है। यह वही तस्वीरें हैं, जो 6 फरवरी 1972 को क्लिक की गई थीं, जब दोनों ने संयुक्त प्रेस वार्ता की थी। 17 मार्च 1972 की भी एक अहम तस्वीर किताबों से हटा दी गई है। 

जिन्होंने दिलाई आजादी, उन्हीं की तस्वीरें गायब

भारतीय सेना की मुक्ति संग्राम में भूमिका और मुक्ति वाहिनी की जंग जस की तस रखी गई है। पाकिस्तान के 16 दिसंबर 1972 के ऐतिहासिक आत्मसमर्पण को भी बरकरार रखा गया है। बंगबंधु की भूमिका सीमित की गई है। वह बांग्लादेश के संस्थापकों में शुमार हैं लेकिन आजादी की लड़ाई में उनकी भूमिका ही सिमटा दी गई है। कई दूसरे नेताओं के नाम भी हटाए गए हैं। 

बांग्लादेश में पढ़ा जाएगा नया इतिहास

बांग्लादेश के शिक्षा मंत्रालय के 57 विशेषज्ञों की समिति की सिफारिशों पर ये बदलाव किए गए हैं। बांग्लादेश में अब 40 करोड़ के आसपास नई किताबें छप रही हैं। पहले की किताबों में बांग्लादेश की आजादी को सबसे पहले मान्यता देने का श्रेय भारत को दिया गया था लेकिन अब भूटान को दिया गया था। नई किताब के मुताबिक 3 दिसंबर 1971 को भूटान ने बांग्लादेश को पहले मान्यता दी। 

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किस इतिहास को मिटा रहा बांग्लादेश?
बांग्लादेश की नई सरकार मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका को ही दरकिनार कर चुकी है। पाठ्यपुस्तकों  से प्रधानमंत्री शेख हसीना की सारी तस्वीरों को स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली सारी किताबों से हटा दिया गया है।बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के नाम से मशहूर बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति की भूमिका कुछ किताबों में सिमटाई गई है, कुछ किताबों से हटा दी गई है।

इंदिरा-बंगबंधु के श्रेय को हाशिए पर रखा

बांग्लादेश की आजादी में भारत की भूमिका  का जिक्र तो है लेकिन इंदिरा गांधी और मुजीबुर्रहमान की तस्वीरें हटा दी गई हैं। किताबों के पीछे शेख हसीना के संदेश को हटा दिया गया है। अब उसकी जगह जुलाई 2024 के विद्रोह और राष्ट्रव्यापी आंदोलनों को तरजीह दी गई है।