अगरतला में मंगलवार को हुई हिंसा के एक दिन बाद बांग्लादेश ने भारत के राजदूत प्रणय वर्मा को तलब किया है और अगरतला में अपने असिस्टेंट हाई कमीशन की वीज़ा सेवाएं बंद कर दी हैं। हिंसा की घटना के बाद भारत ने कार्रवाई करते हुए सात लोगों को गिरफ्तार किया था और तीन पुलिस वालों को गिरफ्तार कर लिया था। प्रदर्शनकारी बांग्लादेश में हिंदू साधु चिन्मय दास की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे।

 

बांग्लादेश मिशन के प्रथम सचिव मोहम्मद अल-अमीन ने कहा, 'सुरक्षा उपायों के मद्देनजर अगरतला में बांग्लादेश असिस्टेंट हाई कमीशन की सारी वीजा और कॉन्सुलर सर्विसेज को बंद कर दिया गया है।'

 

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक डेली स्टार ने बताया कि भारती राजदूत वर्मा ने बांग्लादेश के कार्यकारी विदेश सचिव रियाज हमीदुल्लाह से बात करने के बाद कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच संबंध काफी गहरे हैं और इसे सिर्फ इसे सिर्फ मुद्दे से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।

 

'शेख हसीना का बांग्लादेश नहीं'

मंगलवार को अलग से, बांग्लादेश सरकार के विधि मामलों के सलाहकार ने कहा कि अगरतला में हुई घटना भारत सरकार की “विफलता” है। विधि मामलों के सलाहकार आसिफ नज़रुल ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “भारत को यह समझना चाहिए कि यह शेख हसीना का बांग्लादेश नहीं है।”

 

एक दिन पहले, अगरतला में हज़ारों लोगों ने बांग्लादेश के मिशन के पास प्रदर्शन किया था, जिसमें हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी के साथ-साथ बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों का विरोध किया गया था। 

 

मंगलवार को भारतीय राजदूत की यात्रा पर अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में, विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने मीडिया से कहा कि “उन्हें (वर्मा को) आने के लिए कहा गया है”।

चिन्मय दास के वकील पर हुआ हमला

 

याचिका पर टली सुनवाई

बांग्लादेश की एक अदालत ने मंगलवार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर सुनवाई अगले महीने के लिए टाल दी, क्योंकि उनकी ओर से कोई वकील पेश नहीं हुआ।

 

सम्मिलित सनातनी जागरण जोत में उनके सहयोगी स्वतंत्र गौरांग दास ने दावा किया कि “राजनीति से प्रेरित वकीलों के समूह” की धमकियों के कारण किसी भी वकील ने हिंदू संत चिन्मय दास को रिप्रेजेंट नहीं किया।

 

चटगांव की अदालत में जमानत की सुनवाई अब 2 जनवरी तक के लिए टाल दी गई है।