साल 2024 में 8 दिसंबर को अपना देश छोड़ने के बाद सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद का पहली बार बयान आया है। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक देश छोड़ने के बाद पहले बयान में उन्होंने कहा कि देश छोड़ना और 'शरण लेना कभी भी उनके लिए विकल्प नहीं था।' यह बयान सीरिया के राष्ट्रपति के टेलीग्राम चैनल पर पब्लिश किया गया था।

 

टाइम्स ऑफ इजरायल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक असद ने कहा कि 8 दिसंबर को विद्रोही गुट द्वारा दमिश्क पर कब्जे के बाद उन्होंने देश छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि रूसी साथियों की मदद से वे तटीय शहर लाटकिया के एयर बेस गए, लेकिन जब उस रात रूसी बेस कैंप पर ड्रोन से हमला हुआ तो रूस ने उन्हें मॉस्को शिफ्ट करने का फैसला किया।

देश छोड़ने की योजना नहीं थी

उन्होंने कहा कि योजना के तहत मैंने देश नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा, 'इन घटनाओं के दौरान किसी भी समय मैंने पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा और न ही किसी व्यक्ति या पार्टी ने ऐसा कोई प्रस्ताव रखा। कार्रवाई का एकमात्र तरीका आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ाई जारी रखना था।'

 

टाइम्स ऑफ इजरायल के मुताबिक उन्होंने कहा कि वह सीरिया में विद्रोह शुरू के बाद पूरे दशक तक रहे लेकिन जब देश आतंकवाद की भेंट चढ़ गया और कुछ भी सार्थक कर पाने की स्थिति नहीं बची तो फिर ऐसी स्थिति में कोई पद होने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

भागने की आई थी खबर

8 दिसंबर को विद्रोहियों के सीरिया की राजधानी दमिश्क पर कब्जे की घोषणा के बाद बशर अल-असद के भागने की खबरें आने लगी थीं। इस बीच उनके विमान के क्रैश होने की खबरें भी आईं लेकिन बाद में शाम को रूस ने बयान दिया कि वह सुरक्षित हैं। हालांकि, उस वक्त रूस ने यह स्पष्ट नहीं किया था कि वह कहां पर हैं।

24 सालों की सत्ता का हुआ था अंत

बशर अल-असद उनके पिता हाफिज अल-असद के बाद साल 2000 में सीरिया की सत्ता पर काबिज हुए थे। उन्होंने सत्ता के महत्त्वपूर्ण पदों पर इस तरह से अपने लोगों को काबिज कर दिया था कि यह सोचना भी मुश्किल था कि उन्हें अपदस्थ किया जा सकता है। हालांकि, अरब स्प्रिंग के वक्त 2011 में उनके सत्ता के खिलाफ शुरू हुआ विद्रोह अंत में उनकी सत्ता को उखाड़ फेंकने का कारण बन गया।