बुर्किना फासो की सेना ने मार्च के महीने में कम से कम 100 से ज्यादा लोगों का नरसंहार किया है। बुर्किना फासो के पश्चिमी हिस्से सोलेंजो में लोग जातीय नरसंहार के शिकार बने हैं। बुर्किना फासो की फौज की वहां के आम लोगों की हत्या कर रही है। लोग इस नरसंहार की वजह से वहां से भाग रहे हैं। बुर्किना फासो की फौज मिलिशिया के निशाने पर वहां के फुलानी समुदाय के लोग हैं। 

फुलानी, अफ्रीका का एक चरवाहा समुदाय है। बुर्किना फासो की सरकार इसे इस्लामिक विद्रोहियों का समूह करार देती है। समुदाय के नेताओं का कहना है कि वे विद्रोही नहीं, आम नागरिक हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि बुर्किना फासो का 40 फीसदी हिस्सा अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के कब्जे में है। पश्चिमी अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में ये सक्रिय हैं। 

हजारों लोग यहां मारे जा चुके हैं, लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। बुर्किना फासो की सेना वादा कर चुकी है कि शांति बहाल की जाएगी लेकिन मार्च में ही सिर्फ 130 से ज्यादा लोग मारे गए। एक तरफ HRW की यह रिपोर्ट सामने आई, दूसरी तरफ एक बार फिर बुर्किना फासो में कई जगह विद्रोही गुटों और सेना के बीच जंग  हुई, कई लोग मारे गए। सैनिक और विद्रोही दोनों गुटों के लोग मारे गए।

यह भी पढ़ें: अब्दुल रऊफ: आतंकियों के जनाजे में फातिहा पढ़ने वाला शख्स कौन?

नरसंहार अब बुर्किना फासो का 'न्यू नॉर्मल'

बुर्किना फासो की सरकार बार-बार ऐसी खबरों को खारिज करती आई है लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वहां हालात बेहद खराब हैं। HRW रिपोर्ट में बीते साल दावा किया गया था कि बुर्किना फासो के 223 ग्रामीणों का नरसंहार किया गया था। बुर्किना फासो में मानवाधिकरों को सरकार ने भी ताक पर रखा है। HRW की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आतंक के खिलाफ निपटने के लिए यहां के सशस्त्र बल मानवाधिकारों को ताक पर रखकर नरंसहार करते हैं। जिन लोगों पर अत्याचार किया गया, उनसे बातचीत के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च में हुए नरसंहार में भी सेना शामिल रही है।

जुंटा नेता कैप्टन इब्राहिम त्राओर। 

सेना ने ही मार डाले 100 से ज्यादा लोग

HRW ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जो स्थानीय लोग सेना की मदद कर रहे थे, उन्हें भी जिहादी संगठनों ने मार डाला। जिहादी संगठनों और सेना की लड़ाई में 100 से ज्यादा लोगों को वहां की फौज ने ही मार डाला। वहां के लोग दोहरी चुनौती से निपट रहे हैं। एक तरफ जिहादी संगठन उन्हें निशाना बनाते हैं, दूसरी तरफ सेना का भी प्रहार उन्हीं पर पड़ता है। जुंटा नेता कैप्टन इब्राहिम त्राओर, मॉस्को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने गए थे। वहां उन्होंने मांग उठाई कि साहेल इलाके में सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त हो। 

बुर्किना फासो में की समस्या क्या है?
बुर्किना फासो में करीब 2.3 करोड़ लोग रहते हैं। चारो तरफ इस्लामिक स्टेट और जिहादी समूहों का बोलबाला है। पड़ोसी देश भी इन्हीं समस्याओं से गुजर रहे हैं। अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों के प्रभाव वाले इस देश में सेना की कार्रवाई में भी लोग मारे जाते हैं और जिहादों के हमलों में भी। बुर्किना फासो में आर्मी जुंटा ने साल 2022 में सत्ता संभाली। वहां स्थिरता बहाल नहीं हो सकी। बुर्किना फासो में सरकार और विद्रोही गुटों, दोनों का शासन है। 60 फीसदी हिस्सा सैन्य नियंत्रण से बाहर है, वहां चरमपंथ ही सरकार चला रहे हैं। 20 लाख से ज्यादा लोग लगातार चल रहे गृहयुद्ध में विस्थापित हो गए हैं, वहीं 60 लाख लोग जिंदा रहने के लिए भी दूसरे देशों से मिलने वाली मदद पर निर्भर हैं। 

यह भी पढ़ें: पिता आतंकी, बेटा PAK सेना का प्रवक्ता; जनरल अहमद शरीफ चौधरी की कहानी


'जानवरों की तरह लोगों का किया गया कत्ल'

पश्चिमी हिस्से में 27 फरवरी से हमले शुरू हुए, 2 अप्रैल तक चले। इस दौरान जमकर नरसंहार हुआ। हिंसा के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्हें जानवरों की तरह मारा गया, ड्रोन बरसाए गए। सेना ने सिर पर ड्रोन उड़ाए, कई महिलाओं और बच्चों को सिर्फ इसलिए मर जाना पड़ा क्योंकि वे भाग नहीं सकते थे। अत्याचार का आलम यह हुआ हजारों की संख्या में लोग सीमा पार कर माली भाग गए।

सेना में गैर प्रशिक्षित लोगों को भर्ती कराने के आरोप विद्रोही गुट लगा रहे हैं। 

सोलेंजो में मौजूद लोगों का कहना है कि फुलानी समुदाय के ज्यादातर लोगों को या तो मार दिया गया है, या वे जगह छोड़कर भाग गए हैं। जैसे ही सेना जाती है, विद्रोही गुटों के लोग आते हैं, स्थानीय लोगों पर सेना की मदद करने का आरोप लगाकर उन्हें मारते हैं। जनता दोनों तरफ से पिस जाती है। वहां के विद्रोही गुटों में 'जमात-अत-नसर अल-इस्लाम-वल मुस्लिम' (JNIM) भी शामिल है। इस संगठन ने भी सेना के जाने के बाद कई आम नागरिकों को मौत के घाट उतारा।

यह भी पढ़ें: 150 वांटेड आतंकियों का 'अड्डा' है PAK, फिर भी IMF से कैसे मिल गया लोन?


'बिना ट्रेनिंग के सैनिक बनाती है बुर्किनो की सरकार'

हेल्थ सेंटर के बाहर ही लोगों को चुन-चुनकर मार दिया गया। एक महिला ने कहा, 'सोलेंजो को टिआओ गांव में 5 अप्रैल को नरसंहार हुआ। मैंने 70 से ज्यादा लाशें गिनीं।' सैन्य जुंटा बिना ट्रेनिंग के वहां के स्थानीय लोगों को भर्ती करा रहा है। जो लोग इसके खिलाफ बोलते हैं उन्हें सेना जबरन उठा लेती है, जेल में ठूंसती है या जबरन सैनिक बना देती है।