केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार की तीन भाषा नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मुखर आलोचकों में से एक द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सांसद कनिमोई करुणानिधि ने स्पेन में कुछ ऐसा कहा है कि जिसकी तारीफ उनके विरोधी दलों के लोग भी कर रहे हैं। वह देश में केंद्र सरकार को तीन भाषा नीति के मुद्दे पर जमकर घेरती हैं, हिंदी के कथित तौर पर थोपे जाने को लेकर संसद से सड़क तक आवाज उठाती हैं। जब उनसे स्पेन में एक शख्स ने भारत की राष्ट्रीय भाषा से जुड़ा एक सवाल किया तो उन्होंने ऐसा जवाब दिया, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है।
भारत के ऑल पार्टी डेलिगेशीन को लीड कर रहीं DMK सांसद कनिमोई करुणानिधि ने सोमवार स्पेन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए किसी ने उनसे सवाल किया कि भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या है। उन्होने जवाब में दिल छू लेने वाली बात कही। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय भाषा विविधता और एकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल पूरी दुनिया को यही संदेश देने आया है। उनकी बातचीत का यह क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
DMK सांसद कनिमोई ने कहा:-
'भारत की राष्ट्रीय भाषा है एकता और विविधता। यही सबसे जरूरी संदेश है जो आज दुनिया तक पहुंचाना चाहिए।'
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क्यों हो रही है कनिमोई की तारीफ?
कनिमोई और उनकी पार्टी डीएमके केंद्र की तीन भाषा नीति की मुखर विरोधी है। डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हिंदी भाषा नीति के खिलाफ लामबंद करने की कोशिशें करते रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार, हिंदी न अपनाने की वजह से राज्य के शिक्षा फंड को रिलीज नहीं कर रही है। डीएमके सांसद कनिमोई भी देश में यही कहती हैं। उनका कहना है कि लोग तमिल नहीं सीख रहे हैं, हिंदी को जबरन तमिल के लोगों को सिखा रहे हैं। लेकिन अब उन्होंने स्पेन में जो कहा है, उसकी तारीफ हो रही है।
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भाषा विवाद है क्या?
15 फरवरी 2025 को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु सरकार के विषय में कहा था कि राज्य को समग्र शिक्षा मिशन के लिए 2,400 करोड़ की धनराशि तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक वहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाया नहीं जाता। इसका पहला मुखर विरोध 18 फरवरी को उदयनिधि स्टालिन ने दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भाषा युद्ध छेड़ रही है। एमके स्टालिन ने कहा कि जो राज्य हिंदी अपनाते हैं, अपनी मातृ भाषा खो देते हैं। केंद्र सरकार भाषा युद्ध छेड़ रही है। उन्होंने कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी साधने की कोशिश की। अब कनिमोई की तारीफ इसलिए हो रही है कि उन्होंने देश के मुद्दों को देश के भीतर ही रखा, दुनिया को यह संदेश दिया कि भाषाई तौर पर भारत भले ही बटा है लेकिन देश की राष्ट्रीय भाषा विविधता और एकता ही है।