दुनियाभर में मशहूर अमेरिकी जज फ्रैंक कैप्रियो का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। दिसंबर 2023 में उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर डिटेक्ट हुआ था, जिसके बाद से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। उनके निधन के बारे में जानकारी देते हुए उनके ही सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट कर लिखा, 'फ्रैंक कैप्रियो ने पैंक्रियाटिक कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद शांति से अंतिम सांस ली।' बता दें कि लोग उन्हें अमेरिका के सबसे दयालु जज भी कहते थे। उनके अनोखे अंदाज के लिए वह कई बार चर्चा में रहे।
उनकी मौत से एक दिन पहले ही उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इस वीडियो में उन्होंने बताया कि उनकी तबीयत बिगड़ गई है, जिसके बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया है। उन्होंने कहा, 'मुझे अपनी प्रार्थनाओं में याद रखें।' उन्होंने बताया कि उनकी कैंसर से लड़ाई जारी है। उन्होंने कहा, 'मैं आपसे एक बार फिर से कह रहा हूं कि अगर संभव हो तो मुझे अपनी प्रार्थनाओं में याद रखें। मैं प्रार्थना की शक्ति में बहुत ज्यादा विश्वास रखता हूं।'
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कौन थे फ्रैंक कैप्रियो?
फ्रैंक कैप्रियो अमेरिका के जाने-माने और दुनियाभर में मशहूर जज थे। दुनियाभर में उन्हें अमेरिका के सबसे अच्छे वकील के रूप में जाना जाता था। लोग उन्हें सबसे दयालु जज कहा जाता था। वह जिंदगी के 38 सालों तक अमेरिकन लॉ सिस्टम में रहे। उनका जन्म 1936 में रोड आइलैंड के प्रोविडेंस शहर में एक साधारण इटैलियन-अमेरिकन परिवार में हुआ था। स्कूल के दौरान उन्हें रेसलिंग का शौक रहा। साल 1953 में वह स्टेट रेसलिंग चैंपियन भी बने थे।
1958 में ग्रेजुएशन के बाद बोस्टन की लॉ यूनिवर्सिटी से डिग्री ली। फ्रैंक कैप्रियो ने 1985 से लेकर 2023 तक करीब 40 साल तक प्रोविडेंस की म्युनिसिपल कोर्ट में जज के तौर पर काम किया। उन्होंने कई बार लोगों की परिस्थियों को समझकर फैसले दिए, जिसके चलते उन्हें लोग दयालु जज के रूप में देखने लगे थे।
क्यों कहा जाता है दयालु जज?
फ्रैंक कैप्रियो को उनके इंसानियत भरे फैसलों के कारण दयालु जज के रूप में मशहूर हुए। वह हमेशा क्राइम या किसी गलती के पीछे की वजह को समझने की कोशिश करते थे। अगर किसी की कोई व्यक्तिगत मजबूरी होती थी तो वह उन्हें कठोर सजा देने के बजाय कई बार उनकी सजा माफ कर देते थे या फिर कम कर देते थे। वह सबसे अलग तरीके से कोर्ट चलाते थे। कोर्ट में अक्सर तनावपूर्ण माहौल बना रहता है लेकिन वह अपने ह्यूमर और दोस्ताना बातचीत से हल्का-फुल्का बना देते थे।
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कोर्टरूम में केस की सुनवाई करते हुए उनके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए, जिनमें वह आम लोगों के साथ सहज तरीके से बातचीत करते और संवेदनशील फैसले देते नजर आते थे। कई बार उनके मजाकिया अंदाज के लिए भी वह वायरल हुए। अब लोग उनको याद करते हुए शोक संदेश लिख रहे हैं। उनके निधन पर अमेरिका में रोड आइलैंड में सभी सरकारी दफ्तरों के झंडे आधे झुकाए गए। वहीं उनके सम्मान में अमेरिका की प्रोविडेंस म्यूनिसिपल कोर्टरूम का नाम ‘द चीफ जज फ्रैंक कैप्रियो कोर्टरूम’ रख दिया गया है।
राजनीति में भी आजमाया हाथ
फ्रैंक कैप्रियो ने राजनीति में आने की कोशिश भी की। वह 1962 से 1968 तक फ्रैंक कैप्रियो प्रोविडेंस सिटी काउंसिल के मेंबर रहे। 1970 में उन्होंने रोड आइलैंड का ही अटॉर्नी जनरल इलेक्शन लड़ा लेकिन वह हार गए। 1975 में उन्हें रोड आइलैंड के संवैधानिक सम्मेलन के प्रतिनिधि और रोड आइलैंड बोर्ड ऑफ गवर्नर्स फॉर हायर एजुकेशन के अध्यक्ष रहे। उनका कोर्टरूम शो 'कोट इन प्रोविडेंस ' दुनियाभर में मशहूर हुआ था। इस शो के क्लिप्स सोशल मीडिया पर अरबों बार देखे गए और लोग उन्हें बेस्ट जज कहने लगे थे।
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अपने फैसलों से छुआ लोगों का दिल
जज फ्रैंक कैप्रियो ने अपने कई फैसलों से लोगों के दिलों में जगह बना ली। उन्होंने कई बार लोगों का जुर्माना इसलिए माफ कर दिया क्योकि उन्हें उनकी व्यक्तिगत स्थिति की जानकारी मिल गई थी। एक बार उन्होंने एक महिला का चालान सिर्फ इसलिए माफ कर दिया था क्योंकि महिला ने उन्हें बताया कि कुछ दिन पहले ही उनके बेटे की मौत हो गई थी।
ऐसा ही एक फैसला उन्होंने एक 96 साल के बुजुर्ग के लिए भी दिया क्योंकि उन्होंने नियमों का उल्लंघन इसलिए किया था क्योंकि वह कैंसर से जूझ रहे अपने बेटे क डॉक्टर के पास ले जा रहे थे। एक बार तो उन्होंने अपनी बेटी के इलाज के लिए परेशान मां का जुर्माना माफ करने के साथ-साथ उनकी आर्थिक मदद भी की।