समलैंगिक जोड़ों के लिए दुनियाभर के देश अब खुलकर बात करने के साथ में उनके अधिकारों की वकालत कर रहे हैं। हॉगकांग की सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए एक ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक जोड़ों को समान विरासत (Equal Inheritance) और आवास लाभ (Housing Benefits) देने के पक्ष में फैसला सुनाया। 

 

इससे पहले हॉगकांग के एलजीबीटीआई कार्यकर्ता जिमी शम साल 2018 से ही अपने वैध विदेशी समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग कर रहे थे। देश की शीर्ष अदालत ने एक फैसले में जिमी शम के समलैंगिक विवाह को मान्यता दे दी। 

LGBTQ समुदाय के लिए बड़ी जीत 

हॉगकांग की सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश में LGBTQ समुदाय के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है क्योंकि हॉगकांग में काफी समय से समलैंगिक जोड़ों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 

सरकार की अपील खारिज

एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतिम अपील कोर्ट के सर्वसम्मत फैसले ने हॉगकांग सरकार की अपील को खारिज कर दिया। इसमें इसमें तर्क दिया गया था कि विदेशों में विवाहित समलैंगिक जोड़ों को हेट्रोसेशुअल कपल के समान आवास लाभ और उत्तराधिकार अधिकार नहीं मिलना चाहिए। इस फैसले के साथ ही सालों की लड़ाई लड़ने के बाद समलैंगिक विवाहित जोड़ों को सब्सिडी वाले घर और उत्तराधिकार सुरक्षा प्राप्त नहीं करने देती थीं।

सरकार की आवास नीतियों की आलोचना 

चीफ जस्टिस एंड्रयू चेउंग ने अपने फैसले में सरकार की आवास नीतियों की आलोचना की। इसमें उन्होंने तर्क दिया कि समलैंगिक विवाहित जोड़ों को मिलने वाले लाभों से उनके लिए सब्सिडी वाले घर देने में बढ़ोतरी होगी। हालांकि, कोर्ट को इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला कि समलैंगिक जोड़ों को इन लाभों देने से हेट्रोसेशुअल कपल को नुकसान होगा।

 

चीफ जस्टिस एंड्रयू चेउंग ने फैसले में कहा, 'चुनौती वाली नीतियों को सही नहीं ठहराया जा सकता।' कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी का कि उत्तराधिकार कानून के कुछ प्रावधान, जो समलैंगिक जीवनसाथियों को छूट देते हैं, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक हैं।