कंबोडिया और थाईलैंड हिंसक जंग रोकने पर सहमत हो गए हैं। करीब एक हफ्ते से दोनों देशों के बीच रॉकेट, तोप और लड़ाकू विमानों से जंग जारी है। हिंसक झड़प के बाद हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। दोनों देशों के बीच दुश्मनी का इतिहास काफी पुराना है। जुलाई में पांच दिन की झड़प में 48 लोगों की जान गई थी। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दखल पर दोनों देशों ने सीजफायर पर सहमति जताई, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सका।
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच ताजा झड़प इसी महीने शुरू हुई। 20 दिन की जंग में 101 लोगों की जान गई और करीब 5 लाख लोगों को अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ा। सीजफायर के बाद दोनों देशों ने संयुक्त बयान में कहा, 'दोनों देश कोई और गतिविधि के बिना मौजूदा सैन्य तैनाती को बनाए रखने पर सहमत हैं।' मतलब साफ है कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं तैनात रहेंगी। मगर उकसावे वाली कोई हरकत नहीं करेंगे।
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आसियान की पर्यवेक्षक टीम करेगी निगरानी
ताजा युद्धविराम की निगरानी दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) की एक पर्यवेक्षक टीम करेगी। इसके अलावा दोनों देशों के रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख सीधे बातचीत करेंगे। वहीं कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि किसी भी प्रकार की अतिरिक्त सैन्य तैनाती से तनाव बढ़ेगा। इससे स्थिति को सुलझाने के दीर्घकालिक कोशिशों पर बुरा असर पड़ेगा।
नागरिकों पर बल इस्तेमाल नहीं करने पर सहमति
समझौते के तहत दोनों देश विस्थापितों की वापसी पर भी सहमत है। यह भी तय किया गया है कि कोई भी देश नागरिकों के खिलाफ बल का इस्तेमाल नहीं करेगा। अगर पहले 72 घंटे युद्धविराम कायम रहता है तो थाईलैंड उन 18 कंबोडियाई सैनिकों को वापस करेगा, जिन्हें जुलाई में हिंसक झड़प के बाद पकड़ा गया था। बता दें कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किमी लंबी सीमा है। कईं बिंदुओं पर दोनों देशों के बीच विवाद है और एक-दूसरे की जमीन पर दावा करते हैं।
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कैसे सीजफायर पर बनी बात?
जुलाई झड़प के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की मदद से दोनों देशों के बीच युद्धविराम समझौता करवाया था। ट्रंप कई बार इसका क्रेडिट भी ले चुके हैं। मगर दूसरी बार युद्ध छिड़ने पर दोनों नेताओं को सीजफायर करवाने में सफलता नहीं मिली। सोमवार को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आसियान देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक बुलाई गई। इस बैठक के बाद थाईलैंड और कंबोडिया ने तीन दिनों तक सीजफायर पर बातचीत की। सीमा पर सभी हमलों को रोकने और कंबोडियाई सैनिकों की वापस के बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बनी।
