जब भी कोई नई तकनीक आती है तो वह अपने साथ सुविधा ही नहीं लेकर आती, बल्कि कुछ परेशानियां या चुनौतियां भी लेकर आती है। बचपन में हम सबने पढ़ा भी है- 'विज्ञानः वरदान या अभिषाप।' अब यही तकनीक आतंकियों के मंसूबों को भी आसान बना दे रही है। आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है।

 

इस रिपोर्ट में FATF ने बताया है कि आतंकी भी अब टेक-सेवी होते जा रहे हैं। बम बनाने के लिए सामान खरीदने के लिए अब उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ता, बल्कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से उसे खरीद लेते हैं। ऑनलाइन पेमेंट सर्विसेस का इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट में FATF ने चेताते हुए कहा है कि अब फंडिंग और अटैक के लिए आतंकी डिजिटल टेक्नोलॉजी का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में Fintech Platforms के बढ़ने से आतंकियों ने फंडिंग के नए रास्ते निकाले हैं।

 

इसी रिपोर्ट में FATF ने बताया है कि 2019 में पुलवामा में जो हमला हुआ था, उसके लिए आतंकियों ने कुछ सामान Amazon से खरीदा था। इतना ही नहीं, 2022 में गोरखनाथ मंदिर में आतंकी घटना के लिए PayPal से पैसे भेजे गए थे।

 

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रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया है?

  • FATF ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अब दुनियाभर में कई आतंकी संगठन छोटे-छोटे गुट या स्थानीय आबादी के बीच में रहकर काम कर रहे हैं, ताकि पकड़ में न आ सकें। लीबिया में ISIL-लीबिया छोटे-छोटे कारोबार भी चलाता है। इससे न सिर्फ कमाई होती है, बल्कि जांच एजेंसियों की नजर में आने से भी बचते हैं। दक्षिण अफ्रीका में कई आतंकी कार वॉशिंग से लेकर सेकंड हैंड कार बेचने का बिजनेस तक करते हैं। इतना ही नहीं, उत्तरी अफ्रीका में कई मामले सामने आए हैं, जिससे पता चला है कि स्थानीय आबादी के साथ घुलने-मिलने के लिए आतंकी फर्जी शादियां भी कर रहे हैं।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि कई सारे आतंकी संगठन और आतंकी ऐसे भी हैं, जिन्हें केंद्रीय सरकारें सपोर्ट करती हैं। इसमें किसी देश का नाम नहीं लिया गया है। हालांकि, यह जरूर बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित किए गए आतंकी संगठनों और आतंकियों के साथ भी सरकारें मिली हैं।

  • FATF का कहना है कि पहले आतंकी संगठन सेंट्रलाइज्ड होकर काम करते थे लेकिन अब यह ट्रेंड बदल रहा है। उदाहरण के लिए, अल-कायदा की पहले एक सेंट्रलाइज्ड काउंसिल थी, जिसे 'मजलिस अल-शुरा' कहा जाता था। यही काउंसिल सारे फैसले लेती थी। मगर अब रीजनल लेवल तक काउंसिल बन रही है। मसलन, अल-कायदा इन इस्लामिक मगरब (AQIM), अल-कायदा इन अरेबियन पेनिन्सुला (AQAP) और अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS)
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि अब लोन अटैकर्स भी बढ़ रहे हैं। अब ऐसे आतंकियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो किसी आतंकी संगठन का हिस्सा नहीं हैं। यह अकेले ही काम करते हैं। फंडिंग के लिए सोशल मीडिया, नौकरी या छोटे-मोटे अपराधों पर निर्भर हैं।
  • डिजिटल होने के बावजूद कैश का चलन बरकरार है। आतंकी अपने सारे खर्चे कैश से ही करते हैं। बम-बारूद या असलहा भी कैश में ही खरीदा जाता है। हालांकि, आतंकी संगठन इतने सारे चैनल के जरिए यह पैसा पहुंचाते हैं, ताकि इसका पता लगाना मुश्किल हो जाए कि पैसा किसे मिला। किसी हमले से पहले आतंकी अपनी निजी संपत्ति भी बेचकर कैश जुटाते हैं। इसके अलावा, आतंकियों तक कैश क्रॉस बॉर्डर ट्रांसपोर्ट के जरिए भी पहुंचाई जा रही है।
  • कई मामलों में यह भी सामने आया है कि आतंकी अपने पास गोल्ड भी रखते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ISIL और अल-कायदा से जुड़े कई आतंकियों के ठिकानों से गोल्ड भी बरामद हुआ है। इससे पता चलता है कि कुछ फंड के लिए आतंकी गोल्ड अपने पास रखते हैं। इसके अलावा, आतंकी ठिकानों से महंगी घड़ियां और महंगी जूलरी भी बरामद की गई हैं।

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ई-कॉमर्स कैसे बना आतंकियों का मार्केट?

FATF ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अब आतंकियों के लिए नया मार्केट बनता जा रहा है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हथियार, टूल, केमिकल और 3D प्रिंटिंग मटैरियल खरीदने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं।

 

इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी चेताया गया है कि आतंकी इन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल न सिर्फ हथियार या केमिकल खरीदने के लिए कर सकते हैं, बल्कि फंडिंग के लिए भी किया जा सकता है। इसमें उदाहरण देते हुए बताया गया है कि एक आतंकी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से सामान खरीदकर दूसरे को भेज सकता है और फिर वह उसे बेचकर पैसा बना सकता है।

 

पुलवामा अटैक के लिए Amazon से खरीदारी

14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला हुआ था। जैश-ए-मोहम्मद के एक सुसाइड बॉम्बर ने CRPF के काफिले पर हमला कर दिया था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले में सुसाइड बॉम्बर ने अपनी कार CRPF के काफिले से टकरा दी थी।

 

FATF ने इस रिपोर्ट में बताया है कि इस हमले के लिए सीमा पार से बड़ी मात्रा में विस्फोटक आया था। इस हमले में IED का इस्तेमाल हुआ था, जिसके लिए Amazon से 'एल्युमिनियम पाउडर' खरीदा गया था। एल्युमिनियम पाउडर की वजह से इस विस्फोटक का प्रभाव बढ़ा, जिस कारण इतनी जानें गईं।

 

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गोरखनाथ मंदिर में हमले का भी जिक्र

रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकी संगठन और लोन अटैकर्स ऑनलाइन पेमेंट सर्विसेस का इस्तेमाल फंड जुटाने, हथियार और प्रोपेगैंडा मटैरियल खरीदने में कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 साल में ऑनलाइन पेमेंट सर्विसेस काफी तेजी से बढ़ी हैं और आतंकी इनका इस्तेमाल फंडिंग के लिए कर रहे हैं

 

FATF ने अप्रैल 2022 में गोरखनाथ मंदिर में हुए हमले का उदाहरण दिया है। 3 अप्रैल 2022 को ISIL की विचारधारा से प्रेरित हमलावर ने गोरखनाथ मंदिर के सुरक्षा गार्ड पर हमला कर दिया था। उसे तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया गया था।

 

जांच में पता चला था कि मंदिर के सुरक्षा गार्ड पर हमला करने वाले हमलावर ने PayPal के जरिए विदेशी खातों में 6,69,841 रुपये ट्रांसफर किए थे। इस ट्रांजैक्शन को गुमनाम बना रखने के लिए उसने VPN सर्विस का इस्तेमाल किया था। जांच में यह भी सामने आया था कि विदेशों से उसे 10,323 रुपये भी मिले थे।

तकनीक का इस्तेमाल क्यों बढ़ रहा?

आतंकियों के बीच तकनीक का इस्तेमाल खूब बढ़ रहा है। तकनीक का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, क्योंकि इसे पकड़ पाना मुश्किल होता है।

 

FATF ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जांच में सामने आया है कि दुनिया के 69% देशों में टेरर फंडिंग से जुड़े मामलों की जांच और सजा देने की कमी है।

 

FATF की अध्यक्ष एलिसा डी. एंडा माद्राजो ने कहा, 'फाइनेंशियल सिस्टम का लगातार गलत इस्तेमाल हो रहा है, जो वैश्विक सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है।' उन्होंने टेरर फंडिंग पर नकेल कसने के लिए क्रॉस बॉर्डर इंटेलिजेंस शेयरिंग और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में तत्काल सुधार करने की मांग की है।