सीरिया में जारी संकट के बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाया है। भारत ने बुधवार को 75 भारतीय नागरिकों को सीरिया की राजधानी दमिश्क पर कब्जा होन के बाद वहां से बाहर निकाल लिया है। इन 75 लोगों में कश्मीर के 44 तीर्थयात्री भी शामिल हैं।

इन सभी नागिरकों को पहले लेबनान ले जाया गया इसके बाद वहां कॉमर्शियल फ्लाइट के जरिए वहां से भारत लाया जाएगा।

 

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 'सीरिया में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनज़र दमिश्क और बेरुत में भारतीय दूतावास के सहयोग के बाद नागरिकों को वहां से निकाला गया।'

 

बाहर निकाले गए इन लोगों में जम्मू कश्मीर के 44 'ज़ायरीन' भी शामिल थे जो शिया मुस्लिम के लिए महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल सैय्यदा ज़ायरीन में फंस गए थे।

मंत्रालय ने जारी किया नंबर

जो भारतीय नागरिक अभी भी सीरिया में हैं उनके लिए नंबर और ईमेल आईडी जारी की है। मंत्रालय ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 और ईमेल आईडी hoc.damascus@mea.gov।in के जरिए सीरिया स्थिति भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें.

सोमवार को भारत ने सीरिया की स्थिरता की अपील की थी और कहा था कि सभी लोग मिलकर सीरिया की एकता की दिशा में काम करें.

क्यों ले जाया गया लेबनान

अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि भारतीय लोगों को लेबनान इसलिए ले जाया गया है क्योंकि बाकी के पड़ोसी देशों की राजधानियां बेरुत की तुलना में दूर हैं। इसके अलावा लेबनान की राजधानी बेरुत समुद्र तट पर स्थित है जहां से नागरिकों को जरूरत पड़ी तो जहाज के जरिए भारत लाया जा सके।

 

इसी तरह से भारत ने नागरिकों को 2006 में भी बेरुत से बाहर निकाला था जब इजरायल ने लेबनान पर बमबारी कर दी थी। उस वक्त ऑपरेशन सुकून के अंतर्गत चार जहाजों को तैनात किया गया था जिसके जरिए 12 हजार नागरिकों को बाहर निकाला गया था।