ईरान परमाणु हथियार बना सकता है, सिर्फ इस आशंका में इजरायल ने तेहरान में ऐसी तबाही मचाई है कि दोनों देश जंग की कगार पर आ गए। ईरान ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव की इमारतों को नुकसान पहुंचाया है। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स का दावा है कि उन्होंने इजरायल के परमाणु संयंत्रों पर, पावर प्लांट पर और सैन्य ठिकानों को तबाह किया है। इजरायल भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर जमकर बम बरसाए। दोनों देश शुक्रवार से ही ऐसे उलझे हैं कि अमेरिका से लेकर रूस तक चिंता में आ गए हैं। ऐसा नहीं है कि इजरायल और ईरान की जंग नई है, ईरान से प्रॉक्सी वार एक अरसे से इजरायल लड़ रहा है। ईरान के रिवोल्यूशनी गार्ड कोर के अलावा, कई प्रॉक्सी आर्मी ऐसी है, जिसकी वजह से इजरायल हर दिन जंग से ही जूझता है।
ईरान के रिवोल्यूशनी गार्ड कोर (IRGC) के कमांडर, चीफ ऑफ स्टाफ और कई सीनियर अधिकारी मारे गए हैं। कुछ देश इजरायल के साथ खड़े हैं, कुछ देश ईरान के साथ। इस्लामिक देशों ने इजरायल की निंदा की है, चीन भी इजरायल के खिलाफ खड़ा है। इजरायल का सबसे बड़ा डर है कि ईरान, परमाणु हथियार बनाने के बेहद करीब है, अगर उसने परमाणु हथियार बना लिए तो यह इजरायल की संप्रभुता के लिए खतरा होगा।
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ईरान को खतरा क्यों मान रहा है इजरायल?
- ईरान का परमाणु हथियार प्रेम, न्यूक्लियर प्रोजेक्ट पर जोर
- इजरायल विरोधी बयानबाजी, वैश्विक लामबंदी
- हिजबुल्लाह और हमास जैसे समूहों को समर्थन
- क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने की कोशिश
- मिसाइल और ड्रोन तकनीक का विस्तार
- सीरिया और इराक में सैन्य मौजूदगी
ईरान, इजरायल से उलझने के लिए कई प्रॉक्सी संगठनों का सहारा लेता है। इनमें के कुछ बेहद अहम और खतरनाक हैं-
- हिजबुल्लाह: साल 1982 में ईरान की मदद से यह संगठन अस्तित्व में आया। यह शिया लड़ाकों का हथियारबंद समूह है, सबसे ताकतवर संगठन है, जो इजरायल की मुश्किलें बढ़ाता है। हिजबुल्लाह के पास हजारों रॉकेट और मिसाइलें हैं जिनकी मदद से इजरायल पर हमले होते हैं। साल 2023-2024 के बीच में इस संगठन ने इजरायल में खूब हमले किए। ईरान से मिले ड्रोन और मिसाइलों के साथ हिजबुल्लाह इजरायल के लिए बड़ा खतरा है। सितंबर 2024 में इजरायल ने बेरूत में हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह को मार गिराया था, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया था। सीरिया में यह संगठन, ईरान समर्थित संगठनों की मदद से सक्रिय है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट और ट्रेजरी रिपोर्ट्स, वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी और काउंटर एक्सट्रीमिज्म प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट बताती है कि हिजबुल्लाह को हर साल 70-100 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता ईरान देता है। यह संगठन लैटिन अमेरिका और यूरोप में ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों में शामिल है।
- हमास: फिलिस्तीन में मौजूद यह संगठन, गाजा में सक्रिय है। ईरान इस संगठन को मदद देता है। ईरान के साथ कई मुद्दों पर मतभेद है लेकिन मदद दी जाती है। इसी संगठन ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमला किया था। 1200 लोगों की मौत हुई थी, इजरायल हमास के बीच जंग छिड़ी है। हमले में ईरान की मदद के दावे किए गए। हमास ,गाजा से इजरायल के शहरों पर रॉकेट दागता है, जिससे दहशत फैलती है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट और ट्रेजरी रिपोर्ट्स की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान इस संगठन को हर साल 10 से 15 करोड़ डॉलर हर साल देता है। ईरान से ही इन्हें हथियार मिलते हैं।
- हूती विद्रोही: हूती विद्रोही यमन में सक्रिय हैं। यह शिया लड़ाकों का एक समूह है। साल 2014 से ही ईरान इसे सपोर्ट करता है। लाल सागर में इजरायल के सामने इस संगठन से बड़ी चुनौती कुछ भी नहीं है। इजरायल और हमास के बीच जंग छिड़ने के बाद साल 2023-2024 में हूतियों ने लाल सागर में इजरायल-जुड़े जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिसका असर वैश्विक व्यापार पर पड़ा, इजरायल को नुकसान हुआ। हूतियों के पास ईरान की लॉन्ग रेंज मिसाइलें भी हैं। यह संगठन, इजरायल के दक्षिणी बंदरगाहों में तबाही मचाता है। इलात भी इस संगठन की रेंज में है। यह संगठन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे इजरायल के सहयोगियों पर भी हमले करता है। ईरान इस संगठन को हथियार, ड्रोन और ट्रेनिंग देता है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान इस संगठन को 5 से 10 करोड़ डॉलर तक की मदद देता है। यह संगठन ड्रग तस्करी, सोमालिया और पूर्वी अफ्रीका के साथ व्यापार करके पैसे कमाता है। हूती नियंत्रित बंदरगाहों से तेल बेचकर यह संगठन अपना काम चलाता है।
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कतायब हिजबुल्लाह और अन्य शिया मिलिशिया
इराक में ईरान समर्थित शिया मिलिशिया समूह, पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेस (PMF) का हिस्सा हैं। कतायब हिजबुल्लाह बेहदम अहम हैं। ये संगठन, इजरायल की सीरिया में चुनौती बढ़ाते हैं। अमेरिकी ठिकानों पर हमले करते हैं। इराक में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर ड्रोन और रॉकेट हमले में इन संगठनों की अहम भूमिका है। इन्हें IRGC के जरिए सालाना करोड़ों डॉलर की मदद दी जाती है। तेल की तस्करी से भी इनकी कमाई होती है। प्रतिबंधों के बावजूद यह संगठन, चीन और अन्य देशों को तेल बेचता है।
IRGC: इजरायल की सबसे बड़ी चुनौती
ईरान का इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) प्रॉक्सी समूहों को हथियार, प्रशिक्षण और फंड देता है। IRGC का बजट सीधे ईरान के सर्वोच्च नेता तय करते हैं। सीरिया, इराक और लेबनान तक में IRGC का व्यापार फैला है। यह संगठन, इजरायल को उत्तरी दिशा में हिजबुल्लाह की मदद से घेरता है। दक्षिण में हमास और हूती की मदद से चुनौतियां बढ़ाता है। इराकी मिलिशिया की भी मदद से यह संघठन इजरायल की मुश्किलें बढ़ाता है।
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कब तक जंग चलेगी?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू:
कुछ वक्त पहले इजराइल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू किया है जो इसराइल के अस्तित्व के लिए ईरानी खतरे को कम करने के लिए एक लक्षित सैन्य अभियान है। हाल के महीनों में ईरान ने ऐसे कदम उठाए हैं जो उसने पहले कभी नहीं उठाए थे। ईरान संवर्धित यूरेनियम से हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है। अगर इसे नहीं रोका गया तो ईरान बहुत ही कम वक्त में परमाणु हथियार बना सकता है। इसमें कुछ महीने या एक साल से भी कम समय लग सकता है। यह इजराइल के अस्तित्व के लिए साफ खतरा है। अब ये हमले उतने दिनों तक जारी रहेंगे, जितने दिनों तक जरूरत पड़ेगी।