इजरायल ने गुरुवार देर रात ईरान के खिलाफ बड़ा हमला किया है। इस हमले में राजधानी तेहरान सहित ईरान के प्रमुख शहरों में जोरदार विस्फोटों की खबरें सामने आई हैं। ईरान की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बड़े इजरायली हवाई हमले में ईरान के तीन शीर्ष नेताओं की मौत हो गई। मरने वालों में 'ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड' (IRGC) के प्रमुख हुसैन सलामी, परमाणु ऊर्जा संगठन के पूर्व अध्यक्ष फिरेदून अब्बासी और इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष मोहम्मद मेहदी तेहरानची शामिल हैं। हालांकि इजरायल ने अभी आधिकारिक रूप से इन तीनों की मौत की पुष्टि नहीं की है। इस हमले ने ईरान और इजरायल के बीच पहले से चल रहे तनाव को और बढ़ा दिया है।
इजरायल ने इस हमले को 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' नाम दिया है। बताया जा रहा है कि यह हमला ईरान के परमाणु ठिकानों और रिवॉल्यूशनरी गार्ड के मुख्यालय को निशाना बनाकर किया गया था। हमले में ईरान की सैन्य और वैज्ञानिक क्षमता को गहरा नुकसान पहुंचा है। मीडिया के अनुसार, हवाई हमलों के दौरान कई और सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक भी मारे गए, जबकि कुछ आम नागरिकों की भी जान गई है। ईरान को इन 3 बड़े नेताओं की मौत से बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। कौन थे ये नेता और ईरान के लिए क्यों थे इतने जरूरी?
कौन थे हुसैन सलामी?
इस घटना में ईरान के हुसैन सलामी की मौत हुई है। वह ईरान की सैन्य शक्ति का बड़ा चेहरा थे। वह अप्रैल 2019 से जून 2025 तक ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख थे। ईरान की सैन्य रणनीति के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते थे। उनका जन्म 1960 में ईरान के इस्फहान प्रांत के गोलपायगान शहर में हुआ था। उन्होंने इमाम हुसैन यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर IRGC की सैन्य अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त किया। हुसैन सलामी ने ईरानी सेना में सक्रिय भूमिका निभाई और उनकी इसी भूमिका के चलते उन्हें सेना में तेजी से प्रमोशन मिला। वह ईरानी सेना का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे।
हुसैन सलामी धीरे-धीरे IRGC एयर फोर्स के प्रमुख और फिर संगठन के डिप्टी कमांडर बने। 2019 में उन्हें IRGC का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने अमेरिका, इजरायल और अन्य विरोधी ताकतों के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाई। वह अकसर अपने तीखे और चेतावनी भरे बयानों के कारण चर्चा में रहते थे। उन्होंने सीरिया, इराक, लेबनान और यमन जैसे देशों में ईरानी प्रभाव को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। हुसैन सलामी ईरान के प्रमाणु कार्यक्रम के कट्टर समर्थक थे और उन्होंने पश्चमी देशों के प्रतिबंधो पर कड़ा रुख अपनाया था। अमेरिका ने उन्हें आतंकवादी नेता घोषित किया है लेकिन ईरान में उन्हें एक क्रांतिकारी नेता के रूप में देखा जाता है। आज (13 जून 2025) को इजरायल ने तेहराइन पर बड़े हवाई हमले किए इन हमलों में मारे गए लोगों में एक नाम हुसैन सलामी का भी है। उनकी मौत से ईरान में शोक की लहर दौड़ गई।
कौन थे प्रमाणु वैज्ञानिक फिरेदून अब्बासी?
फिरेदून अब्बासी ईरान के एक जाने-माने परमाणु वैज्ञानिक और राजनेता थे, जो कई सालों तक ईरान के परमाणु कार्यक्रम की योजना और उसके संचालन में अहम भूमिका निभाते रहे। उनका जन्म 11 जुलाई 1958 को ईरान के अबादान ईरान में हुआ था। उन्होंने न्यूक्लियर फिजिक्स में डॉक्टरेट की पढ़ाई की थी और बाद में शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया। उन्हें 2011 में ईरान की परमाणु ऊर्जा संगठन का प्रमुख बनाया गया, जहाँ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दबावों और प्रतिबंधों के बीच ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया। वे ईरान की संसद के सदस्य भी रह चुके हैं।
दुनिया की नजरों में फिरेदून अब्बासी पहली बार तब आए जब 2010 में उनकी हत्या का प्रयास किया गया था। उन्हें राजधानी तेहरान में कुछ हमलावरों ने एक बम से उड़ाने की कोशिश की थी लेकिन इस हमले में गंभीर रूप से घायल होने रे बावजूद वह बच गए थे। इस घटना के पीछे इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद पर शक जताया था। इसके बाद से उन्हें ईरान की सरकार ने कड़ी सुरक्षा दी और वह और भी ज्यादा सख्ती के साथ ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बचाव में लग गए।
दुनिया के कई देश खासकर पश्चिम के देश उन्हें एक खतरनाक परमाणु वैज्ञानिक मानते थे लेकिन ईरान में उन्हें राष्ट्र को समर्पित वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है। वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बचाव में अक्सर कहते थे किईरान का परमाणु कार्यक्रम सिर्फ ऊर्जा और वैज्ञानिक शोध के लिए है, न कि हथियारों के लिए। हालांकि, पश्चमि देशों ने उनकी इस बात पर विश्वास नहीं किया। आज (13 जून) को वह इजरायल के हवाई हमलों का शिकार हो गए और उनकी मौत हो गई। फिरेदून अब्बासी की मौत से यह साफ गया कि इजरायल ने इस हमले में सिर्फ सैन्य ठिकानों को नहीं, बल्कि ईरान की वैज्ञानिक शक्ति को भी निशाना बनाया है। उनकी मौत से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को एक बड़ा झटका लगा है।
मोहम्मद मेहदी तेहरानची कौन थे?
मोहम्मद मेहदी तेहरानची ईरान के शिक्षा और विज्ञान जगत का बड़ा नाम थे। वह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक, प्रोफेसर और शिक्षाविद थे, जो इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष थे। उनका जन्म साल 1965 में ईरान की राजधानी तेहरान में हुआ था। उन्होंने फिजिक्स में उच्च शिक्षा हासिल की और क्वांटम फिजिक्स जैसे जटिल विषयों में विशेषज्ञता पाई। वे लंबे समय तक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और वैज्ञानिक शोधकर्ता के रूप में जुड़े रहे। उनकी पहचान एक गंभीर वैज्ञानिक और देशभक्त शिक्षाविद के रूप में थी, जो हमेशा ईरानी युवाओं को विज्ञान और तकनीक में आगे बढ़ाने की कोशिश करते थे।
तेहरानची को साल 2018 में ईरान की प्रमुख यूनिवर्सिटी इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनके नेतृत्व में यूनिवर्सिटी में विज्ञान, इंजीनियरिंग और रिसर्च के कई नए प्रोग्राम शुरू किए गए। उन्होंने ईकरान के विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय स्वाभिमान और इस्लामी मूल्यों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। वे कई वैज्ञानिक संस्थाओं के सदस्य भी थे और देश के विज्ञान नीति निर्माण में सलाहकार की भूमिका निभाते थे। वे हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि ईरान को पश्चिमी देशों पर निर्भर हुए बिना वैज्ञानिक प्रगति करनी चाहिए। उन्होंने अपने कई भाषणों में अमेरिका और इजरायल की आलोचना की और ईरान की स्वतंत्र शिक्षा नीति का समर्थन किया। इजरायल ने 13 जून को ईरान पर हवाई हमले किए जिनमें ईरान के प्रमुख वैज्ञानिक ठिकानों को निशाना बनाया गया था। इन हमलों में 13 जून 2025 को मोहम्मद मेहदी तेहरानची की मौत हो गई।
हमले पर क्या बोला ईरान?
ईरान ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और खुला युद्ध करार दिया है। ईरान ने इन हत्याओं की कड़ी निंदा की है और कड़ी जवाबी कार्रवाई चेतावनी दी है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, 'इजरायल ने हमारी संप्रभुता पर हमला किया है और हम इसका कड़ा जवाब देंगे।' ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तत्काल बैठक बुलाने और इजरायल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि 'इजरायल ने एक गंभीर अपराध किया है और इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा।' तेहरान में हजारों लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
यह हमला उस समय हुआ है जब दुनिया ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दोबारा बातचीत शुरू करने की कोशिश कर रही थी। अब इस घटना के बाद मध्य पूर्व में हालात और बिगड़ने की आशंका है। अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय देशों ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। जानकारों का मानना है कि यह हमला सिर्फ सैन्य हमला नहीं, बल्कि ईरान की राजनीतिक, वैज्ञानिक और शैक्षिक ढांचे को कमजोर करने की एक कोशिश है।