इजरायल और हमास के बीच शांति की दिशा में जो कदम बढ़ाए गए थे अब एक बार फिर वे रुक गए हैं। मंगलवार सुबह ही इजरायल ने गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बनाकर हमला करने का दावा किया। अब गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि इन हमलों में बच्चों और महिलाओं समेत कम से कम 326 लोगों की जान चली गई है। इस मामले पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू का कहना है कि युद्ध विराम बढ़ाने के लिए हो रही वार्ता में कोई खास प्रगति न होने के कारण उन्होंने यह हमला करने का आदेश दिया। कहा जा रहा है कि जनवरी में युद्ध विराम लागू होने के बाद यह अब तक का सबसे भीषण हमला है। अमेरिका ने भी इजरायल के इस फैसले का समर्थन किया है और कहा है कि इस हमले से पहले उससे भी सलाह ली गई थी।
अमेरिकी सरकार का कहना है कि दोबारा युद्ध जैसी स्थिति के लिए हमास जिम्मेदार है। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने कहा कि चरमपंथी समूह युद्ध विराम को बढ़ाने के लिए बंधकों को रिहा कर सकता था लेकिन उसने इनकार कर दिया और युद्ध को चुना। मिस्र और कतर के साथ मध्यस्थता प्रयासों का नेतृत्व कर रहे अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ ने पहले ही आगाह किया था कि हमास को जीवित बंधकों को तुरंत रिहा करना चाहिए या फिर भारी कीमत चुकानी होगी।
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इजरायल ने दी खुली चेतावनी
इस मामले पर इजरायली पीएम बेंजमिन नेतन्याहू के दफ्तर का कहना है, 'इजरायल अब सैन्य ताकत बढ़ाकर हमास के खिलाफ कार्रवाई करेगा।' बता दें कि इजरायली सेना ने लोगों को पूर्वी गाजा छोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद लोग मध्य की ओर बढ़ रहे हैं जो दर्शाता है कि इजरायल जल्द ही नए सिरे से जमीनी स्तर पर अभियान शुरू कर सकता है। रातभर हुए हमलों ने शांति का दौर खत्म कर दिया है और 17 माह से जारी संघर्ष के फिर से शुरू होने की आशंका को बढ़ा दिया है जिसमें 48,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए थे और गाजा तबाह हो गया।
हमास द्वारा बंधक बनाकर रखे गए लगभग 24 इजरायली नागरिकों के भविष्य के बारे में इजरायल के हमलों के कारण संशय की स्थिति पैदा हो गई है जिनके बारे में माना जाता है कि वे अब भी जीवित हैं। हमास ने आरोप लगाया कि नेतन्याहू ने संघर्ष विराम समझौते को खत्म कर दिया और बंधकों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। बयान में हमास ने मध्यस्थों से इजरायल को समझौते का उल्लंघन करने और उसे खत्म करने के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार ठहराने का आह्वान किया। इसने एक बयान में इजरायल की ओर से किए गए हमलों की निंदा की और कहा कि इन हमलों ने बंधकों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है।
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दोनों तरफ से हो रही बयानबाजी
हमास के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि फिर से युद्ध छेड़ने का नेतन्याहू का फैसला शेष बंधकों के लिए 'मौत की सजा' के बराबर है। इज्जत अल-रिशेक ने आरोप लगाया कि नेतन्याहू ने अपने गठबंधन को बचाने के लिए हमले किए हैं और मध्यस्थों से इसका खुलासा करने का आह्वान किया कि किसने संघर्ष विराम को तोड़ा है। दक्षिणी शहर खान यूनिस में ‘एसोसिएटेड प्रेस’ के संवाददाताओं ने धमाकों के बाद जगह-जगह धुएं का गुबार देखा। घायल लोगों को एंबुलेंस से नासिर अस्पताल ले जाया गया जहां मरीज फर्श पर पड़े थे और दर्द से तड़प रहे थे। एक छोटे लड़के के सिर पर पट्टी बंधी हुई थी जबकि एक स्वास्थ्यकर्मी यह जांच रहा था कि उसे कहीं और तो चोट नहीं आई है। हाथ में गंभीर चोट आने से एक लड़की भी दर्द से चिल्ला रही थी।
कई फिलस्तीनियों ने कहा कि जब फरवरी की शुरुआत में संघर्ष विराम के दूसरे चरण पर वार्ता निर्धारित समय पर शुरू नहीं हो पाई तभी उन्हें युद्ध फिर से शुरू होने की आशंका लग रही थी। इजरायल ने एक वैकल्पिक प्रस्ताव को अपनाया और हमास पर इसे स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए क्षेत्र के 20 लाख फिलस्तीनियों को भोजन, ईंधन तथा अन्य सहायता की सभी आवश्यक चीजों की आपूर्ति को रोक दिया। इस बीच, एक इजरायली अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि इजरायल हमास के उग्रवादियों, इसके नेताओं और बुनियादी ढांचों पर हमला कर रहा है तथा हवाई हमलों से परे अभियान को और बढ़ाने की योजना बना रहा है।
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इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने कहा कि अगर बंधकों को रिहा नहीं किया गया तो गाजा में और बुरी हालत होगी। उन्होंने कहा, 'हम तब तक लड़ाई नहीं रोकेंगे जब तक हमारे सभी बंधक घर नहीं पहुंच जाते। बमबारी के कई घंटों बाद भी हमास द्वारा किसी भी हमले की कोई सूचना नहीं है जिससे संकेत मिलता है कि उसे अभी भी संघर्ष विराम बहाल होने की उम्मीद है। बंधकों के परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्य समूह ने सरकार पर संघर्ष विराम से पीछे हटने का आरोप लगाया। बंधकों और लापता परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले मंच ने एक बयान में कहा, ‘हम अपने प्रियजनों को हमास की कैद से वापस लाने की प्रक्रिया को जानबूझकर खत्म करने से हैरान हैं। इसको लेकर असंतोष भी है।’