नेपोलियन बोनापार्ट। यूरोप के एक सैनिक का सम्राट बनना, किसी चमत्कार से कम नहीं था। वह क्रूर शासक था, जिसने अलग-अलग युद्धों में लाखों लोगों की जान ले ली। जब वो दुनिया से गया तो उसका पेट फाड़ा गया, उसकी लाश डॉक्टरों के लिए एक टेस्टिंग ऑब्जेक्ट बन गई और तो और, लाश से उसके गुप्तांग को काटकर भी अलग कर दिया गया। एक महान सम्राट का अंत ऐसा दर्दनाक होगा, किसी इतिहासकार की कल्पना से परे था। नेपोलियन ने महज 52 साल की कुल उम्र में अपना उत्थान और पतन, दोनों देख चुका था। 15 अगस्त 1769 में नेपोलियन, फ्रांस के कोर्सिका में पैदा हुआ था।  उसका परिवार इटैलियन मूल का था। 

मामूली सैनिक जो बन गया तानाशाह
नेपोलियन बोनापार्ट, फ्रांस की सेना में एक मामूली सैन्य अधिकारी था। नेपोलियन ने फ्रांस में दस्तक 1779 में दी थी। वह साल 1785 में फ्रांस की शाही सेना में भर्ती हो गया। कोर्सिका की लड़ाई में नोपोलियन ने अदम्य साहस दिखाया। साल 1793 में टूलॉन की घेराबंदी और 1795 में पेरिस युद्ध के बाद उसे सेना में पदोन्नति मिलती गई। 1796 में ही नेपोलियन ने ऑस्ट्रिया के खिलाफ जंग के बाद वह फ्रांस का हीरो बन गया।  18 मई 1804 तक वह फ्रांस का सम्राट बन गया था।

कैसे बढ़ता गया नेपोलियन का कद?
जब फ्रांस में आंदोलन शुरू हुए तो उसने यूरोप के खिलाफ कई युद्धों में अहम भूमिका निभाई।  1996 से लेकर 1815 तक के बीच उसने कई लड़ाइयां लड़ीं। साल 1799 से लेकर 1804 तक वह फ्रेंच गणराज्य का पहला कॉन्सुल बना। वह साल 1804 से लेकर 1814 तक फ्रांस का सम्राट रहा।

नेपोलियन के हौसले बुलंद थे। वह एक के बाद एक जंग जीतता चला जा रहा था। फिर आई 18 जून 1815 की वो तारीख, जिसके बाद नेपोलियन का सिर कभी उठा नहीं। यह उसके पतन का दौर था। उसने 19वीं शताब्दी में यूरोप को तो जीत लिया लेकिन ड्यूक ऑफ वेलिंगटन के नेतृत्व में लड़ी गई वाटरलू की जंग में वह बुरी तरह हार गया। बेल्जियम में हुई इस लड़ाई का हासिल ठीक नहीं निकला। 

एक जंग और हाथों से फिसल गई सत्ता
यूरोप को हराने वाला नेपोलियन हार गया था। उसने आत्मसमर्पण कर दिया क्योंकि उसके पास कोई चारा नहीं था। ब्रिटिश फौज ने उसे मारा नहीं क्योंकि अगर वह मारा जाता तो फ्रांस के लोगों के लिए वह शहीद हो जाता। उसे घुट-घुटकर मरना नसीब हुआ। उसे वाटरलू से बहुत दूर दक्षिण अटलांटिक महाद्वीप के सेंट हेलेना आइलैंड पर भेज दिया गया। 

बदहाली में बीते आखिरी लम्हे
नेपोलियन को जिस घर में ठहराया गया था, उसे लॉन्गवुड के नाम से लोग आज जानते हैं। नेपोलियन का अंतिम वक्त किसी राजनीतिक कैदी या सम्राट के तौर पर नहीं बीता। उसे एक सड़े-गले, फंफूदी वाले घर में रखा गया, जहां इधर-उधर चूहे दौड़ते थे। वह किसी कबाड़घर की तरह था। उनके साथ आए लोगों ने दुनिया को बताया कि जिस घर में नेपोलियन को नजरबंद किया गया था, वह कबाड़ से भरा हुआ था।


वहां टूटी हुई फर्श थी, ठंड से लोग कांपते थे और बेहद बुरी स्थिति में लोग रहने के लिए मजबूर थे। नेपोलियन को 28 लोगों के साथ इसी द्वीप पर छोड़ दिया गया था। नेपोलियन पहली बार जब पकड़ा गया था तो वह कैद वाली जगह से भागकर महज 3 महीने में सेना खड़ी कर ली थी और फिर हमला बोलने के लिए तैयार हो गया था। दूसरी बार अंग्रेज ये चूक नहीं करना चाहते थे। 

हारकर भी खुद को सम्राट ही मानता था नेपोलियन
नेपोलियन को नजरबंद रखा जाता था। उसे यह आदेश दिया गया था कि वह अपने घर से हर हाल में लोगों को नजर आए। नेपोलियन हारा जरूर था लेकिन सम्राट होने की ठसक उसके मन से नहीं गई थी। उसके आसपास के सैनिक अपनी वर्दी में ही रहते थे और वह खुद भी सम्राट वाले कपड़े पहन रहा था। उसके साथ रखी गई महिलाएं भी शाही पोशाक में नजर आती थीं। 

एक सम्राट का हुआ दर्दनाक अंत
जीवन के अंतिम दिनों में उसने जूलियस सीजर पर एक किताब लिखी। नेपोलियन योद्धा था लेकिन गुलाम होने के बाद उसने वर्जिश छोड़ दी थी। वह दिनभर पड़ा रहता था। उसे असहनीय पेट दर्द होता था, उसे कब्ज की शिकायत थी और वह उल्टी करता था। फरवरी 1821 तक वह बुरी तरह बीमार हो गया था। उसे एहसास हो गया था कि अब वह नहीं बचेगा। 5 मई 1821 को उसने महज 51 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। एक योद्धा की विदाई बहुत बुरी हुई थी। 

मौत के बाद काट लिया गया था लिंग
नेपोलियन की मौत के बाद उसकी अटॉप्सी कराई गई थी। उसके डॉक्टर फ्रांसेस्को एंटोमार्ची ने उसका पोस्टमार्टम किया था। उसके शरीर से आंत और दिल निकाल लिया गया था। उनका लिंग भी काट लिया गया था। वजह किसी को आज तक नहीं पता है। कुछ इतिहासकारों का दावा है कि नेपोलियन बोनापार्ट को पेट का कैंसर था, वही उसकी मौत की वजह बनी। कुछ लोगों ने कहा कि जैसे ही वह गुलाम बना, उसके मौत की तारीख तय हो चुकी थी। वह जिंदा लाश बचा था।