नए साल के पहले ही दिन पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। यह देश दो साल तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर काम करेगा। 1 जनवरी, 2025 से पाकिस्तान ने अस्थायी सदस्य के तौर पर काम शुरू कर दिया है।

 

इसपर खुशी जताते हुए संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में सकारात्मक भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की मौजूदगी सुरक्षा परिषद में भी महसूस की जाएगी। बता दें कि 15 सदस्यीय अस्थायी सदस्यों की परिषद में पाकिस्तान 8वीं बार ये भूमिका निभा रहा है। 

 

ऐसे में सवाल है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान अस्थायी सदस्यों कैसे चुना गया? इस मंच का पाकिस्तान कैसे इस्तेमाल करेगा? 

 

अमेरिका, रूसी गणराज्य, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देश हैं। वहीं, 10 अस्थायी सदस्य दे हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा चुने जाते है। हर साल UNGA 5 अस्थायी सदस्य देशों को चुनती है। हर अस्थायी देश 2 साल के लिए चुना जाता है। इसमें अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिए 5 सीटें तय है। एक सीट पूर्वी यूरोपीय देशों को मिलती है। इसके अलावा 2 सीटें लातिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों के लिए निर्धारित की गई हैं। एक-एक सीट पश्चिमी यूरोपीय और किसी अन्य क्षेत्र के देश को दी जाती है।

पाकिस्तान का चुनाव इस तरीके से हुआ 

UNGA सदस्यों के लिए पिछले साल जून में चुनाव हुआ जिसमें पाकिस्तान को समर्थन मिला। 193 सदस्य देशों में से 182 ने पाकिस्तान के पक्ष में वोट डाले थे। बता दें कि पाकिस्तान आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना है। इससे पहले 1952-53, 1968-69, 1976-77, 1983-84, 1993-94, 2003-04 और 2012-13 में अस्थायी सदस्य के तौर पर काम किया है।  UNGA के नए अस्थायी सदस्य स्थायी सदस्यों के साथ काम करेंगे जिनके पास वीटो पावर है। 

 

अस्थायी सदस्य के तौर पर पाकिस्तान क्या करेगा?

पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान इस मौके का फायदा कश्मीर मुद्दा उठाने में कर सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान अतंरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए इस मंच का इस्तेमाल कर सकता है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान ने फलस्तीन का समर्थन किया था और कश्मीर मुद्दा उठाया था जिससे यह पूरी उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार भी पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा उठा सकता है। संयुक्त राष्ट्र परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर पाकिस्तान अपनी कूटनीतिक प्राथमिकताओं को और मजबूती दे पाएगा।