पड़ोसी देश पाकिस्तान में इन दिनों अमेरिका की फास्ट-फूड चेन KFC के आउटलेट्स में जमकर तोड़फोड़ और हमले किए जा रहे हैं। हमले के साथ ही हजारों की तादात में लोग हिंसक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। देश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था के बाद पुलिस ने दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है। इन विरोध-प्रदर्शनों में एक शख्स की मौत भी हुई है। आरोप है कि भीड़ ने केएफसी के एक कर्मचारी को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची, लाहौर और राजधानी इस्लामाबाद में 11 जगहों पर भीड़ ने केएफसी के आउटलेट्स पर हमले किए हैं। भीड़ में शामिल लोगों ने लाठी-डंडों और हथियार के बल पर केएफसी के आउटलेट्स में जमकर तोड़फोड़ की है।
क्यों हो रहे हैं केएफसी पर हमले?
दरअसल, केएफसी आउटलेट्स पर यह हमले अमेरिका विरोधी भावना और गाजा में इजरायल के हमलों को लेकर किए जा रहे हैं। गाजा में युद्ध से नाराज प्रदर्शनकारी लोगों से इस केएफसी का बहिष्कार करने का आग्रह कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि केएफसी अमेरिका और उसके सहयोगी इजरायल का प्रतीक है। लोगों को लगता है कि केएफसी की कमाई का पैसा अमेरिका और इजरायल के पास जाता है, जिससे वह हथियार खरीदकर गाजा में हमले करते हैं।
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केएफसी आउटलेट्स पर 20 हमले- तलाल चौधरी
पाकिस्तान के गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने बताया है कि पिछले हफ्ते देश भर में केएफसी आउटलेट्स पर 20 हमले किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक इन मामलों में 178 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि लाहौर में इसी हफ्ते अज्ञात हथियारबंद लोगों ने गोली मारकर एक केएफसी के कर्मचारी की हत्या कर दी थी। उन्होंने बताया कि उस दौरान वहां किसी तरह का विरोध-प्रदर्शन नहीं हुआ था।
केएफसी का मुनाफा पाकिस्तान के पास आता है- मंत्री
इन प्रदर्शनों की वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। वीडियो में देखा जा रहा है कि भीड़ केएफसी स्टोर में घुसकर स्टोर्स को जलाने की धमकी दे रही है। इसी कड़ी में कराची में दो केएफसी स्टोर में आग लगा दी गई। हालांकि, गृह मंत्री तलाल चौधरी ने साफ किया कि देश में केएफसी चलाने वाले ज्यादातर लोग पाकिस्तानी हैं और इसका मुनाफा पाकिस्तान के पास आता है।
इसके अलावा पाकिस्तान में कई प्रभावशाली लोगों ने गाजा में युद्ध की निंदा की है। इस्लामिस्ट पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने इजरायल और अमेरिका के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया है लेकिन केएफसी पर हमलों में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।
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धर्म गुरुओं ने भी की अपील
पाकिस्तान के कई धर्म गुरुओं ने भी लोगों से अमेरिका-इजरायल के किसी भी प्रोडक्ट को ना खरीदने की बात कही है। एक धर्म गुरु ने कहा कि अपना विरोध और बहिष्कार जारी रखें लेकिन ये सब शांतिपूर्ण तरीके से करें। इसमें हिंसा या अशांत व्यवहार का कोई तत्व नहीं होना चाहिए।
बता दें कि गाजा पर इजरायल के हमले और इसमें मारे गए हजारों महिलाओं और बच्चों की मौतों के बाद पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों में पश्चिमी देशों के उत्पादों के खिलाफ या बहिष्कार करने की मुहीम छेड़ी गई है। इसका मकसद पश्चिमी देशों को आर्थिक तौर पर चोट पहुंचाना है। पिछले साल मैकडॉनल्ड्स ने माना था कि लोगों के बहिष्कार की वजह से उसकी बिक्री में गिरावट आई थी। गाजा के समर्थन में इसी तरह का बहिष्कार भारत में भी देखने को मिला है।
केफसी को दी जा रही सुरक्षा
पाकिस्तान के अधिकारियों के मुताबिक, लाहौर शहर में 27 केफसी आउटलेट्स हैं, जिन्हें सुरक्षा दी जा रही है। इसी बीच लाहौर में केएफसी दो आउटलेट पर हमले हो चुके हैं जबकि 5 हमलों को पुलिस ने रोका है। लाहौर पुलिस के सीनियर अधिकारी फैसल कामरान का कहना है कि इन हमलों को लेकर जांच की जा रही है कि इनके पीछे कोई संगठन है या हमले लोगों ने खुद से किए हैं।
वहीं, गाजा सरकार के मुताबिक इजरायल-हमास के बीच बीते 18 महीने की लड़ाई में अबतक गाजा में 61 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसमें मरने वालों में महिलाएं-बच्चों की संख्या हजारों में है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी देते हुए कहा है कि गाजा में हजारों लोग पर भूखे मरने का जोखिम है।
