पाकिस्तान ने भारत के हालिया सैन्य और कूटनीतिक कदमों के जवाब में एक बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को, पाकिस्तान ने घोषणा की कि वह वैश्विक समर्थन हासिल करने और अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कई देशों में अपनी कूटनीतिक डेलिगेशन भेज रहा है। यह पहल भारत की उस रणनीति से प्रेरित है, जिसमें भारत ने अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद 33 देशों में अपनी कूटनीतिक टीमें भेजी थीं। पाकिस्तान का यह कदम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत द्वारा पिछले महीने उसके हवाई अड्डों और आतंकी ठिकानों पर किए गए हमलों के जवाब में आया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार, दो अलग-अलग टीमें विभिन्न देशों में जाकर वहां की सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, सांसदों, थिंक टैंकों, मीडिया और प्रवासी पाकिस्तानियों से मुलाकात करेंगी। ये टीमें भारत के हालिया सैन्य कदमों के खिलाफ पाकिस्तान का पक्ष रखेंगी और शांति व कूटनीति के महत्व पर जोर देंगी। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि ये टीमें सिंधु जल संधि को फिर से सुचारू रूप से लागू करने की जरूरत पर भी बल देंगी।
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बिलावल भुट्टो करेंगे नेतृत्व
पहली टीम का नेतृत्व पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी कर रहे हैं। यह नौ सदस्यीय उच्च-स्तरीय टीम न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी, लंदन और ब्रुसेल्स का दौरा करेगी। इस टीम में संघीय मंत्री मुसादिक मलिक, पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार और खुर्रम दस्तगीर खान, पूर्व मंत्री सैयद फैसल अली सब्जवारी, शेरी रहमान, सीनेटर बुशरा अंजुम बट और दो पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी और तहमीना जंजुआ शामिल हैं।
दूसरी टीम का नेतृत्व प्रधानमंत्री के विशेष सहायक सैय्यद तारिक फातमी कर रहे हैं, जो 2 जून से मॉस्को का दौरा करेगी। हालांकि, इस दूसरी टीम में कौन लोग शामिल हैं इसके बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की गई है।
भारत के हमले के बाद उठाया कदम
पाकिस्तान की यह कूटनीतिक पहल भारत के उस हमले के बाद आई है, जिसमें 7 मई को भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। ये हमले 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में थे, जिसमें पाकिस्तान से जुड़े आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के बायसरन मैदान में 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी।
इसके बाद, पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने इसका कड़ा जवाब दिया। आखिरकार, 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद एक युद्धविराम ‘समझौता’ हुआ, जिसके तहत सभी सैन्य कार्रवाइयां रोक दी गईं।
पाकिस्तान का कहना है कि उसकी कूटनीतिक टीमें भारत के इन ‘आक्रामक’ कदमों के खिलाफ अपनी बात रखेंगी और यह बताएंगी कि युद्ध और टकराव के बजाय बातचीत और कूटनीति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने हाल ही में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन के साथ 26 मई को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने क्षेत्रीय शांति और सहयोग की वकालत की थी।
कूटनीतिक स्थिति मजबूत करने की कोशिश
यह कूटनीतिक पहल दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और वैश्विक मंच पर अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा है। जहां भारत ने पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई को सही ठहराया है, वहीं पाकिस्तान इसे आक्रामकता करार दे रहा है। दोनों देशों की यह कूटनीतिक जंग अब वैश्विक मंच पर पहुंच चुकी है, जहां दुनिया के ताकतवर देशों का समर्थन हासिल करना दोनों के लिए अहम हो गया है।
हालांकि, इस तनाव के बीच यह सवाल बना हुआ है कि क्या कूटनीति और बातचीत दोनों देशों के बीच शांति स्थापित कर पाएगी? आने वाले दिन इस क्षेत्रीय तनाव और वैश्विक समर्थन की दौड़ के लिए महत्वपूर्ण होंगे।