प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून 2025 को क्रोएशिया का दौरा पूरा किया। यह पहली बार था जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस बाल्कन देश की यात्रा पर गया। इस दौरे का मकसद भारत और क्रोएशिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना था। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने क्रोएशिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भारत की समृद्ध कला-संस्कृति से जुड़े कुछ उपहार भेंट किए, जो भारतीय हस्तशिल्प परंपरा की पहचान हैं।
राजस्थान की चांदी की कैंडल स्टैंड – प्रधानमंत्री एंड्रेज प्लेंकोविक को उपहार
प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशिया के प्रधानमंत्री एंड्रेज प्लेंकोविक को एक सुंदर चांदी की मोमबत्ती स्टैंड (Silver Candle Stand) भेंट की। यह स्टैंड राजस्थान की पारंपरिक धातु शिल्पकला से जुड़ा है। यह कैंडल स्टैंड पूरी तरह हाथ से बना है, जिसे कुशल शिल्पकारों ने तैयार किया है। इसमें बारीक फूल-पत्तियों और आकृतियों की नक्काशी की गई है, जो सदियों पुराने पारंपरिक तकनीकों से बनाई जाती हैं।
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इसका आकार और डिजाइन इसे शाही और पुराने समय का प्रतीत करवाता है। राजस्थान के उदयपुर, जयपुर जैसे शहर चांदी की कलाकृतियों के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं, जहां महलों और मंदिरों से प्रेरित डिजाइन बनाए जाते हैं। यह उपहार न सिर्फ भारतीय कारीगरी की खूबसूरती दिखाता है बल्कि दोनों देशों के सांस्कृतिक रिश्ते भी मजबूत करता है।
ओडिशा की पट्टचित्र पेंटिंग – राष्ट्रपति जोरान मिलनोविक को उपहार
पीएम मोदी ने क्रोएशिया के राष्ट्रपति जोरान मिलनोविक को भारत की पारंपरिक चित्रकला पट्टचित्र भेंट की, जो ओडिशा की एक प्रसिद्ध कला शैली है। ‘पट्ट’ का मतलब है कपड़ा, और ‘चित्र’ का अर्थ है चित्रकारी। इस कला में भगवान श्रीकृष्ण, भगवान जगन्नाथ और अन्य पौराणिक कथाओं को प्राकृतिक रंगों और हाथ से बने ब्रश की मदद से कपड़े पर चित्रित किया जाता है।
इसमें मोटी रेखाओं और जटिल डिजाइनों से जीवन्त चित्र उकेरे जाते हैं। यह कला रूप सदियों पुराना है और आज भी ओडिशा के गांवों में पारंपरिक ढंग से जीवित है। पट्टचित्र न केवल एक कलात्मक भेंट है, बल्कि यह भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। इस उपहार के माध्यम से प्रधानमंत्री ने भारत की विविध कला परंपरा को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया।
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प्रधानमंत्री मोदी को मिला- वेजडिन की संस्कृत व्याकरण पुस्तक
क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का उपहार भेंट किया। उन्होंने 'वेजडिन की संस्कृत व्याकरण पुस्तक' का पुनर्प्रकाशित संस्करण प्रधानमंत्री मोदी को भेंट किया। यह पुस्तक साल 1790 में क्रोएशियाई विद्वान और मिशनरी फिलिप वेजडिन द्वारा लिखी गई थी। यह पहली संस्कृत व्याकरण पुस्तक थी जिसे लैटिन भाषा में छापा गया था।
फिलिप वेजडिन (1748–1806) ने भारत में, खास तौर से केरल में ब्राह्मणों और प्राचीन पांडुलिपियों से सीखकर, भारतीय भाषाओं और संस्कृति पर यह काम किया था। वह यूरोप के पहले वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने भारतीय भाषाओं का गंभीर अध्ययन किया।
ब्रास (पीतल) से बना बोद्धि पेड़ – कनाडा के पीएम मार्क कार्नी को
यह बोद्धि पेड़ की मूर्ति बिहार की कारीगरों द्वारा पिघली हुई पीतल से हाथों से बनाई गई थी । यह पेड़ बोधगया का प्रतीक है, जिसके नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसकी पत्तियों व शाखाओं की नक्काशी स्थानीय कलाकारों द्वारा ही बारीकी से की गई है । बुद्ध धर्म में बोद्धि पेड़ को ज्ञान, शांति और आत्म-जागरण का प्रतीक माना जाता है।
तारकसी (तार-कसि) सिल्वर क्लच पर्स – कनाडा की राज्यपाल मैरी साइमन को
यह ओडिशा के कटक में कलाकारों द्वारा तैयार किया गया सिल्वर फिलिग्री (तारकसी) पर्स है । इसमें बहुत बारीक चांदी के तारों के जटिल डिजाइन होते हैं। यह हस्तकला करीब 500 वर्ष पुरानी है, और यह महाराजाओं के संरक्षण में विकसित हुई थी।
मधुबनी पेंटिंग- दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्यांग को
मधुबनी पेंटिंग, जिसे मिथिला आर्ट भी कहा जाता है, बिहार की एक प्रसिद्ध पारंपरिक कला है। यह ज्यादातर महिलाओं द्वारा की जाती है और पीढ़ियों से चली आ रही है। पुराने समय में यह पेंटिंग मूल रूप से त्योहार और शादियों के दौरान आशीर्वाद लेने के लिए दीवार पर बनाई जाती थीं। अब कागज, कपड़े और कैनवास पर बनाई गई यह कला बोल्ड आउटलाइन, चमकीले रंगों और विस्तृत डिजाइन के लिए जानी जाती है।
कागज–माचे बॉक्स गोल्ड लीफ के साथ – अल्बर्टा की लेफ्टिनेंट गवर्नर सलमा लखानी को
यह बॉक्स जम्मू और कश्मीर की कागज-माचे कला है, जिसमें कागज को कई परतों में ढालकर मजबूत रूप में तैयार किया जाता है। इसके ऊपर सुनहरे पत्तों की नक्काशी होती है, जिसमें फूल, चिनार के पत्ते, पक्षी और दृश्य चित्रित होते हैं । यह सिर्फ शो-पीस या सजावट के लिए होती है ।
डोक्रा नंदी मूर्ति – फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को
यह मूर्ति तमिलनाडु की डोक्रा कला से बनी है, जिसमें लॉस्ट-वैक्स तकनीक का उपयोग होता है । यह भगवान शिव के वाहन नंदी को दर्शाती है और इसमें जालीदार ढांचा व लाल रंग की काठी दिखती है ।