प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार से श्रीलंका के दौरे पर रहेंगे। पीएम मोदी का यह दौरा तीन दिन का होगा। श्रीलंका में सत्ता बदलने के बाद पीएम मोदी का यह पहला दौरा है। 

 

श्रीलंका में पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके की जीत हुई थी। दिसानायके जिस जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) पार्टी से आते हैं, वह भारत विरोधी मानी जाती है। हालांकि, सत्ता में आने के बाद दिसानायके ने भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश की है। इस साल जनवरी में दिसानायके ने भी भारत का दौरा किया था। राष्ट्रपति बनने के बाद दिसानायके का यह पहला विदेशी दौरा था।


2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह चौथा श्रीलंका दौरा है। पीएम मोदी इससे पहले 2015 और 2017 में श्रीलंका जा चुके हैं। आखिरी बार उन्होंने 9 जून 2019 को श्रीलंका का दौरा किया था। तब श्रीलंका में आतंकी हमले के बाद एकजुटता दिखाने के मकसद से पीएम मोदी वहां गए थे।

भारत और श्रीलंका: क्यों एक-दूसरे के लिए जरूरी?

  • भारत के लिएः दो लिहाज से जरूरी है। पहला- दिसानायके वामपंथी विचारधारा के हैं और चीन इसका फायदा उठाते हुए उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करेगा। दूसरा- बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट होने के बाद श्रीलंका की अहमियत और भी बढ़ जाती है। क्योंकि भारत के सभी पड़ोसियों में अब चीन का दखल बढ़ता जा रहा है। इसलिए जरूरी है श्रीलंका को अपने साथ रखे, ताकि चीन वहां अपने पैर न जमा सके।
  • श्रीलंका के लिएः दिसानायके भले ही वामपंथी हैं लेकिन उनके लिए चीन से ज्यादा जरूरी भारत है। क्योंकि संकट के समय में भारत ही श्रीलंका की मदद के लिए आगे आया है। श्रीलंका को दिवालिया करने में अहम भूमिका चीन की थी, जबकि भारत ने उसे इसे संकट से निकालने में मदद की। दिसानायके के लिए फिलहाल अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती है और इसमें भारत उसका अहम साझीदार बन सकता है।

श्रीलंका के विकास के लिए कितना अहम भारत?

श्रीलंका के विकास में भारत की अहम भूमिका है। भारतीय उच्चायोग की वेबसाइट के मुताबिक, भारत ने श्रीलंका को 7 अरब डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ रुपये) से ज्यादा की मदद कर चुका है। इसमें लोन से लेकर स्वैप एग्रीमेंट तक शामिल हैं।


इसके अलावा, श्रीलंका के विकास प्रोजेक्ट में भारत 78 करोड़ डॉलर (करीब 6,674 करोड़ रुपये) की मदद भी कर चुका है। इनमें से 39 करोड़ डॉलर के प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। 21 करोड़ डॉलर के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है और 17.8 करोड़ डॉलर के प्रोजेक्ट अभी पाइपलाइन में हैं। इतना ही नहीं, श्रीलंका के 25 से ज्यादा जिलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, हाउसिंग, हेल्थ, एजुकेशन, एग्रीकल्चर, रिन्यूएबल एनर्जी, रेलवे और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट जैसे प्रोजेक्ट में भी भारत मदद कर रहा है।


इंडियन हाउंसिंग प्रोजेक्ट के तहत, भारत सरकार श्रीलंका में चार फेज में 60 हजार घर बना रही है। इस प्रोजेक्ट की लगात 1,800 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इस प्रोजेक्ट का ऐलान पीएम मोदी ने 2017 में किया था। चौथे फेज में बागान क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के लिए 10 हजार घर बनाए जाएंगे। इसके साथ श्रीलंका में यूनिक डिजिटल आइडेंटिटी प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए भी भारत ने 300 करोड़ रुपये की मदद की है। 


इतना ही नहीं, 2023 तक भारत ने श्रीलंका में 2.25 अरब डॉलर (करीब 20 हजार करोड़ रुपये) का निवेश किया है। अकेले 2023 में ही भारत ने 19.81 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। वहीं, जनवरी से सितंबर 2024 के बीच भारत ने श्रीलंका में 8 करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश किया था। भारत सबसे ज्यादा निवेश एनर्जी, हॉस्पिटैलिटी, रियल एस्टेट, मैनुफैक्चरिंग, टेलीकॉम, बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विस में करता है।

आर्थिक संकट में भारत ने की थी 4 अरब डॉलर की मदद

अप्रैल 2022 में श्रीलंका दिवालिया हो गया था। उस पर 50 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज आ गया था। श्रीलंका के इतिहास में यह पहली बार था जब वह इतने गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था।


श्रीलंका का आर्थिक संकट इतना भयावह था कि तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए थे। आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका में लोगों के सामने खाने-पीने तक का सामान नहीं था। सरकार के पास इतना पैसा भी नहीं था कि वह पेट्रोल खरीद सके। उसका आयात ठप हो गया था।


इस आर्थिक संकट में भारत उसके लिए 'संकटमोचक' साबित हुआ था। आर्थिक संकट के दौरान भारत ने सीधे तौर पर 4 अरब डॉलर (करीब 34,223 करोड़ रुपये) की मदद की थी। इसमें पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की सप्लाई के लिए 50 करोड़ डॉलर की मदद शामिल थी। इसके साथ ही इसमें 40 करोड़ डॉलर की करंसी स्वैप भी शामिल थी। 1 अरब डॉलर में खाने-पीने का सामान, दवाएं और ईंधन जैसी जरूरी चीजें शामिल थीं। इसके साथ ही RBI ने 2 अरब डॉलर के कर्ज के भुगतान में भी समय दिया था।


कोविड महामारी के दौरान भी भारत ने श्रीलंका को कोविशील्ड वैक्सीन की 5 लाख डोज दी थीं। साथ ही फरवरी 2022 में कोविड टेस्टिंग के लिए एंटीजन टेस्ट की 1 लाख किट भी दी थीं।

कारोबार के लिहाज से कितने अहम हैं दोनों देश?

भारत के कुल कारोबार में श्रीलंका की हिस्सेदारी महज 0.5 फीसदी है। हालांकि, श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी देश भारत ही है। श्रीलंका की खाने-पीने, दवाएं और ईंधन तक की सारी जरूरतें भारत ही पूरी करता है।


कॉमर्स मिनिस्ट्री का डेटा बताता है कि 2023-24 में भारत और श्रीलंका के बीच 45,914 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। इसमें भारत ने 34,110 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट किया था और 11,804 करोड़ रुपये का इम्पोर्ट किया था। 2024-25 में अप्रैल से दिसंबर के बीच ही दोनों देशों के बीच 36,747 करोड़ रुपये का कारोबार हो चुका है। इसमें 28,903 करोड़ का एक्सपोर्ट और 7,844 करोड़ रुपये का इम्पोर्ट शामिल है।


श्रीलंका को भारत से सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल और ईंधन मिलता है। 2022 में संकट के दौरान भारत ने करीब ढाई लाख टन ईंधन दिया था। इसके अलावा, भारत से श्रीलंका को जेनेरिक दवाएं और फार्मा प्रोडक्ट भी मिलता है। 2023-24 में भारत ने श्रीलंका को 2,119 करोड़ रुपये की दवाएं और फार्मा प्रोडक्ट का निर्यात किया था। इसके अलावा, ऑटो पार्ट्स, शक्कर, दालें, अनाज और कपड़ा भी सबसे ज्यादा निर्यात किया जाता है।


वहीं, श्रीलंका से भारत सबसे ज्यादा चाय और मसाले खरीदता है। 2023-24 में भारत ने श्रीलंका से 859 करोड़ रुपये की चाय और मसाले आयात किए थे। इसके अलावा, 702 करोड़ रुपये के फल खरीदे थे। 

टूरिज्म के लिए भी भारत का साथ जरूरी

श्रीलंका में भारतीय मूल के करीब 10 हजार लोग रहते हैं। इनमें सिंधी, बोरा, गुजराती, मेमन, पारसी, मलयाली और तेलुगु भाषी लोग ज्यादा हैं। यह श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं। इसके अलावा, श्रीलंका एक द्वीप पर बसा है और उसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है। हर साल लाखों भारतीय टूरिस्ट श्रीलंका जाते हैं। 2023 में करीब 3 लाख भारतीय टूरिस्ट श्रीलंका गए थे। वहीं, 2024 में 4.16 लाख से ज्यादा भारतीय पर्यटक श्रीलंका गए थे।