लंबे समय से अशांत चल रहे मध्य पूर्व एशिया का देश सीरिया दशकों से चर्चा में रहा है। इराक, तुर्की और जोर्डन से घिरे इस देश में एक बार फिर से विद्रोही ताकतें सिर उठा रही हैं। विद्रोह करने वाले लोगों के अलेप्पो शहर में घुसने के बाद अलेप्पो के एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया है। अलेप्पो शहर सीरिया की राजधानी दमस्कस से लगभग साढ़े 3 सौ किलोमीटर दूर है। रिपोर्ट के मुताबिक, सीरिया के प्रशासन ने विद्रोहियों को रोकने के लिए एयरपोर्ट के साथ-साथ उन सभी सड़कों को भी बंद कर दिया है जो अलेप्पो शहर की ओर जाती हैं। कहा जा रहा है कि सेना को भी आदेश दिए गए हैं कि वह उन इलाकों से निकल जाए जहां विद्रोही घुस चुके हैं। दूसरी तरफ, रूस ने सीरिया को सैन्य मदद देने का वादा किया है ताकि सीरिया इन विद्रोहियों को नियंत्रित कर सके।

 

भले ही सीरिया की राजधानी दमस्कस है लेकिन अलेप्पो शहर सीरिया की सांस्कृतिक और आर्थिक राजधानी कहा जाता है। पहले भी कई बार यह संघर्ष का केंद्र बना है और एक बार फिर यह जंग का मैदान बनता दिख रहा है। विद्रोहियों को जिस तरह से कई संगठनों और अप्रत्यक्ष रूप से कुछ देशों का समर्थन भी मिल रहा है, उससे यह सिर्फ सीरिया ही नहीं बल्कि आसपास के अन्य देशों के लिए भी चिंता का विषय है।

सीरिया में क्या हो रहा है?

 

बशर अल असद साल 2000 से सीरिया की सत्ता पर काबिज हैं। 2011 से ही सीरिया में गृह युद्ध चल रहे हैं। साल 2016 में उनकी ही सरकार ने विद्रोहियों को अलेप्पो से खदेड़ दिया था। एक बार फिर से ये विद्रोही सिर उठा रहे हैं और कत्लेआम पर उतर आए हैं। इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन हयात तहरीर अल शाम (HTS) की अगुवाई में इन विद्रोहियों ने अलेप्पो शहर पर लगभग अपना कब्जा कर लिया है। अब असद की अगुवाई वाले सीरिया की सेना इन विद्रोहियों के आगे कमजोर पड़ती दिख रही है। सीरिया के दोस्त ईरान और रूस अपने-अपने युद्धों में व्यस्त हैं ऐसे में विद्रोहियों ने मौके का फायदा उठाया है।

 

हालांकि, रूस की ओर से आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही सैन्य मदद भेजी जाएगी। कहा जा रहा है कि अलेप्पो में विद्रोह कर रहे गुट को तुर्की की ओर से मदद भी मिल रही है। कह जा रहा है कि इन विद्रोहियों ने सीरिया के दर्जनों सैन्य ठिकानों को अपने कब्जे में ले लिया है जिससे सेना बैकफुट पर आ गई है। इन विद्रोहियों ने बुधवार को अपने इस अभियान की शुरुआत की थी और अलेप्पो के आसपास के इलाकों में खूब तबाही मचाई। बता दें कि 2016 में असद ने रूस और ईरान के साथ मिलकर ही इन विद्रोहियों को अलेप्पो से बाहर खदेड़ा था।

क्या चाहते हैं ये विद्रोही?

 

विद्रोहियों का कहना है कि वे रूस और सीरिया की सेना की ओर से की जा रही कार्रवाई के जवाब में लड़ने उतरे हैं। इनके मुताबिक, इदलिब जो कि विद्रोहियों का इलाका है उस पर सीरिया और रूस की एयरफोर्स ने बीते दिनों खूब हमले किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, तुर्की की इंटेलिजेंस एजेंसी भी इन विद्रोहियों का साथ दे रही है। हालांकि, तुर्की के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि तुर्की का प्रयास यही है कि इस क्षेत्र में टकराव न बढ़े।

 

बता दें कि 2016 में विद्रोहियों को खदेड़ने के बाद भी टकराव जारी था लेकिन साल 2020 में तुर्की और रूस के बीच एक समझौता हुआ था जिसमें इस बात पर सहमति जताई गई थी कि इस टकराव को कम किया गया था। सीरिया मामले पर संयुक्त राष्ट्र के डिप्टी रीजनल ह्यूमनटेरियन कोऑर्डिनेटर डेविड कार्डेन ने कहा है, 'पिछले 3 दिन में लगातार हुए हमलों में 27 आम नागरिकों की जान गई है जिसमें 8 साल की उम्र के छोटे बच्चे भी शामिल हैं।' बता दें कि 2011 से ही सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध में अब तक 5 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।