फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी लिगामामाडा राबुका भारत दौरे पर हैं। वह 24 अगस्त से लेकर 27 अगस्त तक भारत में रहेंगे। इस दौरान उनका अलग-अलग राज्यों में कार्यक्रम है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वह मुलाकात भी करने वाले हैं। एक जमाने में सितिवेनी राबुका ने भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ विद्रोह किया था, उन्होंने मई 2023 में माफी भी मांग ली थी। 

जिस देश का वह प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहां भारतीय मूल के लोग छाए हुए हैं। इतने कि इंडो-फिजी समुदाय की संख्या, फिजी के मूल निवासियों से भी ज्यादा हो गई है। फिजी, प्रशांत महासागार में स्थित एक छोटा सा देश है। यह 1874 में ब्रिटिश कॉलोनी बना तो 1879 से 1916 के बीच भारत से 60 हजार से ज्यादा लोगों को वहां पहुंचाया गया। उन्हें गन्ने खेतों में काम करने के लिए लाया गया था। 

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फिजी में भारतीय भाषाएं बोली जाती हैं, भोजपुरी भी लोग बोलते हैं। वहां की सत्ता में भी भारतीय समुदाय का दबदबा है। भारत और फिजी के व्यापारिक संबंध, दशकों पुराने हैं। आजादी के बाद भी दोनों देशों के बीच व्यापार जारी रहा है। फिजी भारत के लिए खास क्यों है, क्या व्यापार होता है, आइए समझते हैं-

सितिवेनी राबुका:-
मैं 14 मई 1987 को सैन्य तख्तापलट के लिए माफी मांगता हूं। हम इंडो-फिजी लोगों को आहत करने की गलती मान रहे हैं।'

जब फिजी में भारतीय मूल के दबदबे वाली सरकार का किया तख्तापलट

फिजी के मौजूदा प्रधानमंत्री सितिवेनी राबुका तब लेफ्टिनेंट कर्नल थे। उन्होंने 1987 में भारतीय मूल के लोगों के प्रभुत्व वाली सरकार का तख्तापलट किया था। उस वक्त भारतीय फिजियनों की आबादी मूल फिजियनों से ज्यादा हो गई थी। वहां के मूल निवासियों में भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ असंतोष बढ़ने लगा था। तख्तापलट के बाद भारतीयों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ। मई 2023 में सितिवेनी राबुका ने माफी मांग ली थी।

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केंद्रीय मंत्री सुकांता मजूमदार के साथ फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी लिगामामाडा राबुका। (Photo Credit: Sukanta Majumdar)

अब फिजी के साथ भारत के रिश्ते कैसे हैं?

भारत और फिजी अच्छे दोस्त हैं। हिंदुस्तानी मूल के लोगों का सत्ता में दबदबा है, भारत से उनका जुड़ाव स्वाभाविक भी है। साल 1920 में जब मजदूरी प्रथा खत्म हुई, तब बेहद संभावनाओं की तलाश में भारतीय व्यापारी और मजदूर वहां बसने लगे। फिजी की एक-तिहाई आबादी भारतीय मूल की है और हिंदी यहां की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। दोनों देशों के बीच व्यापार करोड़ों में है।

राजनायिक संबंध कैसे हैं?

साल 1948 से भारत ने फिजी में भारतीय मूल के लोगों के हितों की रक्षा के लिए एक आयुक्त की नियुक्ति की थी। 1970 में जब फिजी को आजादी मिली, उसके बाद, आयुक्त को उच्चायुक्त बना दिया गया। साल 1971 में फिजी के प्रधानमंत्री रतू सर कामीसेसे मारा भारत आए। साल 1981 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी फिजी पहुंची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में फिजी का दौरा किया था। दोनों देशों के संबंध अब और बेहतर हुए हैं। फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स को-ऑपरेशन (FIPIC) की शुरुआत ने इन संबंधों को और बेहतर किया। 

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कूटनीतिक दौरे जो चर्चा में रहे  

  • 2023: विदेश मंत्री एस जयशंकर फरवरी 2023 में फिजी पहुंचे, 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में हिस्सा लिया।
    मकसद: वीजा छूट समझौते पर हस्ताक्षर हुए, सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का उद्घाटन हुआ
  • 2024: अगस्त 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने फिजी की पहली राजकीय यात्रा की। 
    मकसद: संसद में संबोधन, राजकीय अतिथि बनीं, राष्ट्रीय युद्ध सम्मारक का दौरा किया। 
  • 2025: मई 2025 में विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने 146वें गिरमिट दिवस समारोह में हिस्सा लिया 
    मकसद: भारत-फिजी संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए कूटनीतिक वार्ता की गई।

भारत फिजी को क्या देता है?

भारत ने फिजी के विकास में अहम भूमिका निभाई है। भारत ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं की सौगात दी है, IT सेक्टर, डिजास्टर मैनेजमेंट में भी भारत, फिजी की मदद करता है। भारतीय उत्पाद, फिजी में बेचे जाते हैं। साल 2020 में जब फिजी में चक्रवात यासा ने फिजी में तबाही मचाई थी, तब भारत ने फिजी के लिए राहत सामग्रियों का पिटारा खोला था।  

भारत और फिजी के बीच सांस्कृतिक संबंध कैसे हैं? 

भारत ने फिजी में स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की है। यह भारतीय नृत्य, संगीत और योग के लिए बेहद अहम है। साल 2024 में सुवा में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया, जिसमें फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी राबुका शामिल हुए। तमिल भाषा शिक्षण कार्यक्रम और भारत-फिजी मैत्री उत्सव जैसे आयोजनों ने दोनों देशों को और नजदीक किया है। 

सितिवेनी लिगामामाडा राबुका।

भारत और फिजी के बीच व्यापार कैसा है?

भारत और फिजी के बीच व्यापार बढ़ रहा है। न्यू इंडिया इंश्योरेंस और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे संस्थान फिजी में सक्रिय हैं। फिजी में करीब 2300 प्रवासी भारतीय काम कर रहे हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। भारत और फिजी के बीच डिजिटल परिवर्तन, बायोफ्यूल और फार्मास्यूटिकल सहयोग जैसे नए क्षेत्रों में समझौते हुए हैं। FIPIC और सागर अमृत स्कॉलरशिप जैसे कार्यक्रमों ने दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत किया है। दोनों देशों के बीच साल 2022-23 में कुल व्यापार 80.12 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।

सितिवेनी राबुका हैं कौन?

सितिवेनी लिगामामाडा राबुका फिजी के प्रधानमंत्री हैं। वह पूर्व सैन्य अधिकारी रहे हैं। उनका जन्म 13 सितंबर, 1948 को हुआ था। वह फिजी की सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल रहे हैं। वह विवादास्पाद नेता रहे हैं। उन्होंने साल 1987 में दो सैन्य तख्तापलट किए। तर्क दिया कि वह फिजियन के मूल निवासियों के हितों के लिए ऐसा कर रहे हैं। राबुका 1992-1999 तक फिजी के प्रधानमंत्री रहे। साल 2022 में वह फिर से चुने गए। वह सोशल डेमोक्रेटिक लिबरल पार्टी और पीपुल्स अलायंस के नेता रह चुके हैं। वह विपक्ष के नेता भी रहे हैं। फिजी रग्बी यूनियन के अध्यक्ष भी रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा विवादास्पद रही है।