दक्षिण अफ्रीका के स्टिलफोंटेन इलाके में अवैध खनन करना सैकड़ों लोगों को भारी पड़ा है। सोने की एक खदान के अंदर फंस गए सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 100 से ज्यादा मजदूर भूख और प्यास के चलते मर चुके हैं। दावा किया जा रहा है कि 500 से ज्यादा मजदूर अभी भी इस खदान में फंसे हुए हैं। हाल ही में अंदर फंसे मजदूरों ने कुछ वीडियो भेजे जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि अंदर फंसे सैकड़ों मजदूरों की मौत हो चुकी है। दूसरी तरफ, स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि अंदर फंसे लोगों को जल्द से जल्द निकाला जाए। अभी तक दर्जनों शव निकाले भी जा चुके हैं और नवंबर के महीने से ही इस खदान को लेकर संघर्ष जारी है।

 

जिस खदान में यह हादसा हुआ है, उसे काफी पहले ही बंद कर दिया गया था और वहां खनन का काम नहीं होता था। दक्षिण अफ्रीका में खनिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले माइनिंग अफेक्टेड कम्युनिटिज यूनाइटेड इन एक्शन ग्रुप (MACUA) ने जानकारी दी है कि सोने की खदान में अवैध रूप से खनन कर रहे करीब 100 लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि कई महीनों से मजदूर वहां फसे थे। इनकी मौत का कारण भूख और प्यास माना जा रहा है। MACUA के प्रवक्ता सबेलो मुंगनी ने बताया कि 500 से अधिक खनिक अभी भी खदान में फंसे हुए हैं। मौत का खुलासा तब हुआ जब शुक्रवार को अंदर फंसे लोगों की ओर से एक वीडियो भेजा गया।

अब तक क्या हुआ?

 

शुक्रवार को करीब 18 शवों को खदान से बाहर निकाला गया। 13 जनवरी को बचाव अभियान में 9 और शव निकाले गए थे जबकि 26 जीवित लोगों को बचाया गया। पुलिस के प्रवक्ता ब्रिगेडियर सेबाटा मोकग्वाबोन ने कहा कि उन्होंने सोमवार को नया बचाव अभियान शुरू किया, हालांकि, अब भी इस बात की पुष्टि की जा रही है कि कुल कितने शव बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी खनिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।

 

आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के कई हिस्सों में अवैध  खनन आम बात है। बिना अनुमति के बहुत सारे खनिक खदानों में घुस जाते हैं और बचा-खुचा भंडार खोजने की कोशिश करते हैं। आमतौर पर जिन खदानों में खनन करना सरकारी या प्राइवेट कंपनियों के लिए फायदेमंद नहीं होता, उन्हें छोड़ दिया जाता है। अवैध रूप से खनन करने वाले लोग इन्हीं में बिना अनुमति के घुस जाते हैं। यही वजह है कि कई बार सही उपकरण और मशीनें न होने के चलते ये खनिक हादसों का शिकार भी होते हैं।

क्या है विवाद?

 

स्टिलफेंटोन की इस खदान को लेकर नवंबर से ही संघर्ष जारी है। पहली बार संघर्ष तब हुआ जब पुलिस और प्रशासन ने अवैध रूप से खनन करने वाले लोगों को खदान से बाहर निकालने और इस खदान को सील करने की कोशिश की। पुलिस ने तब बताया था कि ये खनिक खदान से बाहर आने को तैयार नहीं थे क्योंकि उन्हें गिरफ्तारी का डर था।

 

इन लोगों को मजबूर करने के लिए पुलिस ने अंदर तक पहुंचने वाले खाने की सप्लाई भी बंद कर दी। खनिकों के संगठन MACUA ने इस मुद्दे को अदालत में उठाया और दिसंबर महीने में उसके पक्ष में फैसला भी आया। अदालत ने आदेश दिया कि नीचे फंसे खनिकों के लिए खाने, पीने की चीजें और दवाइयों की सप्लाई चालू की जाए।