दक्षिण अफ्रीका में अवैध खनन की समस्या से निपटने के लिए आधिकारिक रणनीति के तहत वहां की सरकार ने उत्तर-पश्चिम प्रांत के स्टिलफोंटेन में स्थित सोने की एक अवैध खदान में ज़रूरी सप्लाई को काट दिया। इसकी वजह से खदान के अंदर सैकड़ों लोग फंस गए हैं। लेकिन सरकार ने उनकी किसी भी प्रकार की मदद करने से इनकार कर दिया है। पुलिस ने भूमिगत लोगों को भोजन और पानी की आपूर्ति रोक दी है, ताकि अंदर मौजूद लोगों को बाहर आने पर मजबूर किया जा सके।
दक्षिण अफ्रीका के खनिज आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अवैध रूप से खनन करने वाले लोग जमीन के अंदर 4 किलोमीटर तक जा सकते हैं और पुरानी खदानों में महीनों तक जमीन के नीचे रह सकते हैं। लेकिन आपूर्ति के बिना, भूमिगत स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं।
हालांकि, इस बात का अभी ठीक-ठीक पता नहीं है कि खदान के अंदर कितने लोग फंसे हैं। उत्तर पश्चिम प्रांत पुलिस के प्रवक्ता सबाटा मोग्क्वाबोने के मुताबिक जो तीन लोग अंदर से बाहर आए हैं उनका कहना है कि अंदर करीब 4 हजार लोग फंसे हैं, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक अंदर फंसे लोगों की संख्या सैकड़े में है।
अंदर किस हाल में हैं अवैध खनन करने वाले
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस प्रवक्ता एथलेंडा मैथे ने संवाददाताओं को बताया कि भूमिगत खदानों में काम करने वालों को भोजन और पानी की आपूर्ति रोक दी गई है। उन्होंने कहा, "हम इन अवैध खनिकों को फिर से सतह पर आने के लिए मजबूर करने के लिए भोजन और पानी को नीचे जाने से रोक रहे हैं, क्योंकि वे जो कर रहे हैं वह अपराध है।" पुलिस प्रवक्ता मैथे ने कहा कि गुरुवार को एक शव सतह पर लाया गया जो कि पूरी तरह से सड़ चुका था।
खनन और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी पर नज़र रखने वाले जोहान्सबर्ग स्थित बेंचमार्क फाउंडेशन के प्रमुख शोधकर्ता डेविड वैन विक ने सीएनएन को बताया कि इस बात की संभावना है कि अंदर अवैध खनिकों की हालत काफी गंभीर हो।
उन्होंने कहा, "इस समय, वे भूख से मर रहे हैं, शरीर में पानी की कमी हो रही है, और जानलेवा धूल में सांस ले रहे हैं। जब वे बाहर निकलेंगे तो वे बहुत कमज़ोर और बीमार हो चुके होंगे।"
दक्षिण अफ़्रीका के ट्रेड यूनियनों के महासंघ (SAFTU) ने कहा कि यह "बेहद चिंतित" करने वाली बात है कि स्थिति "एक त्रासदी का रूप ले सकता है।"
कैसे हुई ये हालत
सीएनएन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक SAFTU के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका में 1,00000 से ज़्यादा कारीगर खनिक हैं, जिन्हें स्थानीय तौर पर "ज़ामा ज़ामास" के नाम से जाना जाता है, कारीगर खनन से प्राप्त ज़्यादातर खनिज "काले बाज़ार और अंतर्राष्ट्रीय अवैध खनिज व्यापारियों को बेचते हैं।" इसका कारण यह था कि सरकार खनन क्षेत्र को विनियमित करने में विफल रही है।
वैन विक ने अवैध खनन में वृद्धि के लिए बड़ी कंपनियों और बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा बंद नहीं की गई हज़ारों परित्यक्त खदानों को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने सीएनएन को बताया, "हमारे देश में करीब 6,000 परित्यक्त खदानें हैं। इन खदानों को कानूनी पैरामीटर के हिसाब से बंद नहीं किया जाता, इसलिए वे इसमें अंदर जाकर कानून तोड़ते हैं।"
उन्होंने कहा कि परित्यक्त खदानों से निकाले गए श्रमिकों के पास "कोई दूसरा विकल्प नहीं है" या अतिरिक्त स्किल नहीं है, "इसलिए वे खदानों में जाते हैं और केवल वही काम करते हैं जो वे कर सकते हैं, यानी उन खदानों में काम करना।"
देश की खनिज परिषद के अनुसार, पुलिस अवैध खननकर्ताओं की गतिविधि को खत्म करने के लिए कोशिश कर रही है, दक्षिण अफ्रीका में अवैध खनन से हर साल एक अरब डॉलर से अधिक का नुकसान होता है।
संसदीय ब्रीफिंग के अनुसार, सोने के काले बाजार के व्यापार ने भी हिंसक संघर्षों को बढ़ावा दिया है, इसलिए साउथ अफ्रीका दुनिया में सबसे अधिक हत्या की दर वाले देशों की समस्या से जूझ रहा है।
क्या है आगे का रास्ता
सीएनएन के मुताबिक मंत्री खुम्बुद्जो एनतशावेनी ने बुधवार को कहा कि अवैध खनन करने वालों को कोई मदद नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, "हम अपराधियों को मदद नहीं भेज रहे हैं।"
सरकारी मीडिया से बात करते हुए, दक्षिण अफ्रीका के जनरल इंडस्ट्रीज वर्कर्स यूनियन के प्रमुख ममेत्लवे सेबेई ने एनतशावेनी की टिप्पणियों की आलोचना की और चेतावनी दी कि यह दृष्टिकोण खदान में काम करने वालों को "लगभग अपराधी जैसा मान रहा है, जिनमें से काफी लोग गरीब हैं।"
सेबेई ने कहा कि कोई भी अवैध इंडस्ट्री अक्सर "भयावह परिस्थितियों" में और संगठित अपराध सिंडिकेट के नियंत्रण में होता है। पुलिस प्रवक्ता मैथे के अनुसार, प्रेशर कैंपेन के दौरान अब तक कम से कम 1,172 अवैध खनिक स्वेच्छा से सामने आए हैं।
मैथे ने यह भी कहा कि स्थानीय लोग शेष खनिकों को निकालने के लिए समुदाय के नेतृत्व में प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "समुदाय के सदस्य आगे आकर मांग कर रहे हैं कि वे खुद जाकर इन अवैध खनिकों को बचाएं। हम उन्हें छूट देने के लिए क्षतिपूर्ति फॉर्म पर हस्ताक्षर करवा रहे हैं। हमने उन्हें ऐसा करने के खतरों और परिणामों से अवगत कराया है।"
पुलिस और रक्षा अधिकारी शुक्रवार को घटनास्थल का दौरा करेंगे। पुलिस के एक बयान में कहा गया है कि इसका उद्देश्य "इस ऑपरेशन को सुरक्षित और वैध निष्कर्ष पर पहुंचाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करना है।"