सीरीया- वो देश जो अब शायद जंग से थक चुका है। दो हफ्ते पहले विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद की हुकूमत का खात्मा कर दिया था। इस समय सीरिया के नेता अहमद अल शरा है। बता दें कि सीरिया में मौजूद गुटों में एचटीएस का दबदबा रहा है।

 

हालांकि, एचटीएस आतंकवादी संगठन की लिस्ट में शामिल है। यूनाइटेड नेशन, अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने इस विद्रोही ग्रुप को आतंकवादी संगठनों की लिस्ट में रखा है। 2016 में जब अल-कायदा के साथ फूट पड़ी तो अल-शरा ने इससे अलग होकर अपने संगठन एचटीएस का गठन किया। 

 

एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान नेता अल-शरा ने बताया कि एचटीएस संगठन अल-कायदा से बेहद अलग है। उनका संगठन गैर -सैन्य इलाकों या आम लोगों को कभी निशाना नहीं बनाता। वहीं, अफगानिस्तान में अलकायदा का आंतवादी समूह अपनी पैठ बना रहा है।

 

ऐसे में सवाल खड़े होते है कि क्या सीरिया भी दूसरा अफगानिस्तान बन जाएगा? असद के अत्याचारों से पीड़ित यह देश अफगानिस्तान से कितना अलग होगा? 

 

क्या दूसरा अफगानिस्तान बनेगा सीरिया?

2021 में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबानियों ने कब्जा कर लिया था। तभी से वहां तालिबान की सरकार चल रही है। इसके सत्ता में आ जाने से बहुत कुछ बदल गया। महिलाओं की पढ़ाई रोक दी गई। शरिया कानून लागू होने के बाद से इससे सबसे ज्यादा महिलाएं प्रभावित हुई। नौकरी न करने से लेकर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के दरवाजे तक उनके लिए बंद कर दिए गए।

 

अब बात करें सीरिया की तो यहां भी विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया है। दोनों ही देश कई मामलों में सामान्य है। गरीबी, देश की इकोनॉमी और महंगाई ने आम लोगों की जीना मुहाल कर दिया है। आलम यह है कि सीरिया की जीडीपी महज 898 करोड़ डॉलर ही रह गई है।  देश की 90 फीसदी जनता गरीबी रेखा में है। 

 

सवाल है कि क्या सीरिया भी दूसरा अफगानिस्तान बन जाएगा? बीबीसी हिंदी को दिए एक इंटरव्यू में सीरिया के नेता अल-शरा ने दावा किया कि वह सीरिया को अफगानिस्तान नहीं बनाना चाहते हैं। उनका मानना है कि अफगानिस्तान और सीरिया बहुत अलग मुल्क है। दोनों की परंपराएं और कल्चर बिल्कुल अलग है। अल-शरा के मुताबिक, अफगानिस्तान में एक कबायली समाज है। 

महिलाओं के लिए कैसी सोच रखते हैं सीरियाई नेता? 

अल-शरा के मुताबिक, सीरिया एक अलग किस्म की सोच रखता है। वह महिलाओं को शिक्षा देने में यकीन रखते हैं। बता दें कि इदलिब के यूनिवर्सिटी में महिलाओं की संख्या 60 फीसदी से अधिक है। सीरिया को लंबे समय से अरब दुनिया की सबसे मजबूत शिक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है।

 

माना जा रहा है कि सीरिया में मुस्लिम और ईसाई दोनों धर्मों में स्कूल में विषय पढ़ाया जाएगा। प्राइमरी स्कूलों में लड़के और लड़कियां एक साथ पढ़ेंगे। जबकि सेकेंडरी एजुकेशन काफी हद तक अलग-अलग रह सकती है। कानून से जुड़े कई सवाल है जिन्हें सीरिया में नया संविधान लिखने के बाद तय किया जाएगा। हालांकि, बहुत सारे सीरियाई को अल-शरा पर यकीन नहीं है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया में महिला साक्षरता 1970 के दशक में 60% से घटकर आज 30% रह गयी है। 

 

अगले कुछ महीनों में सीरिया के नए शासकों की मंशा बताएगी कि वो सीरिया के लोगों को कैसी जिंदगी देना चाहते हैं। इस देश पर कैसा शासन चलेगा और इसे किस तरह का देश बनाया जाएगा इसका तो जवाब आने वाला भविष्य ही बताएगा।