थाईलैंड और कंबोडिया के बीच गहराते सीमा विवाद के बीच, थाईलैंड सरकार पर बड़ा संकट गहरा गया है। मंगलवार को थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा को देश की संवेधानिक कोर्ट ने निलंबित कर दिया। कोर्ट ने यह फैसला नैतिकता के उल्लंघन के मामले में लिया है। इस फैसले से थाई सरकार की स्थिरता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

 

38 साल की पैटोंगटर्न शिनवात्रा हाल ही में कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन के साथ एक फोन कॉल लीक हुई, जिसके बाद पूरा विवाद शुरू हुआ। इस कॉल में वह हुन सेन को 'अंकल' कहकर बात कर रही थीं और एक थाई सैन्य अधिकारी की आलोचना कर रही थीं।

 

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आखिर क्यों हुई पैटोंगटर्न शिनवात्रा की निलंबना?

उन्होंने फोन पर यह भी कहा कि अगर हुन सेन को कुछ चाहिए, तो वह उसका ध्यान रखेंगी। यह बातचीत उस वक्त सामने आई जब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव और हिंसा चरम पर था।

 

इस लीक के बाद भुमजईथाई पार्टी, जो उनकी सरकार का एक बड़ा सहयोगी दल था, गठबंधन से बाहर हो गया। उन्होंने कहा कि इस बातचीत ने 'देश, जनता और सेना की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।'

संवैधानिक अदालत का फैसला

थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने 7-2 मतों से निर्णय लिया कि प्रधानमंत्री को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। खास बात यह रही कि यह निर्णय उस दिन आया जब प्रधानमंत्री ने खुद को सांस्कृतिक मंत्री भी नियुक्त करने की घोषणा की थी। इस पूरे घटनाक्रम के बाद शिनवात्रा ने माफी मांगी थी और कहा था कि वह कानून की प्रक्रिया में पूरा सहयोग करेंगी लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया।

 

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थाईलैंड में यह पहला मामला नहीं

पैटोंगटर्न शिनवात्रा, पिछले एक साल में दूसरी प्रधानमंत्री हैं जिन्हें नैतिक उल्लंघन के चलते निलंबित किया गया है। अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री स्रेट्ठा थाविसिन को भी इसी तरह पद से हटाया गया था। स्रेट्ठा पर आरोप था कि उन्होंने एक आपराधिक मामलों से संबंध रखने वाले व्यक्ति पिचित चुएनबान को प्रधानमंत्री कार्यालय का मंत्री नियुक्त किया। पिचित वही वकील थे जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री थाक्सिन शिनवात्रा के 'लंचबॉक्स रिश्वत' मामले में सुप्रीम कोर्ट को रिश्वत देने की कोशिश की थी, जिसके लिए उन्हें जेल भी हुई थी।