कुछ हफ्तों के बाद पूरी दुनिया में 'हो-हो और जिंगल-बेल' के गाने सुनाई देने लगेंगे। क्रिसमस एक ऐसा फेस्टिवल है जिसे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक बहुत शौक से मनाते है। ऐसे में सांता कलॉज को प्रेरित करने वाले व्यक्ति का चेहरा लगभग 1700 सालों में पहली बार सामने आया है।
जी हां, असल में सांता कैसे दिखते थे यह पता चल गया है। रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने सांता क्लॉज के कॉन्सेप्ट को प्रेरित करने वाले वास्तविक जीवन के बिशप, मायरा के सेंट निकोलस की खोपड़ी से मिले डेटा के आधार पर चेहरा बनाया है। इसमें फोरेंसिक विज्ञान और 3डी तकनीक की मदद ली गई है।
मायरा के संत निकोलस कौन थे?
मायरा के संत निकोलस एक ईसाई संत थे और उन्हें तोहफे देने का बहुत शौक था। इस शौक ने डच लोक चरित्र सिंटरक्लास को प्रेरित किया, जो बाद में सांता क्लॉज बन गए। सिसेरो मोरेस बताते है कि संत निकोलस जरूरतमंदों की इतनी मदद करते थे कि जब लोग क्रिसमस के लिए दयालुता का प्रतीक चाहते थे तो प्रेरणा उन्हीं से मिलती थी।
पहली बार उनका असली चेहरा ऐसा दिखा
हालांकि, लोकप्रिय होने के बावजूद मायरा के संत निकोलस का कोई भी डिसक्रिप्शन नहीं है। अब, लोग पहली बार उनका असली चेहरा देख सकते हैं। नए स्टडी के प्रमुख लेखक सिसेरो मोरेस ने बताया कि चेहरे की बनावट से पता चलता है कि संत का चेहरा स्ट्रोंग और जेंटल था। उनका चेहरा 1823 की कविता, 'ए विजिट फ्रॉम सेंट निकोलस' में वर्णित चौड़े चेहरे से भी मिलती है। इसे ट्वाज द नाइट बिफोर क्रिसमिस के रूप में जाना जाता है। मोटी दाढ़ी के साथ मिलकर उस आकृति को बहुत याद दिलाती है जो हमारे दिमाग में सांता क्लॉज के बारे में सोचते समय आती है।