अमेरिका में एक हीरो समझे जाने वाले लेकिन अपने ही देश पाकिस्तान में 'देशद्रोही' कहे जाने वाले डॉक्टर शकील अफरीदी को अभी भी जेल में रखा गया है। यह वही डॉक्टर हैं जिन्होंने अल-कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन को पकड़ने में अमेरिका की मदद की थी। अब एक बड़े अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल से कहा है कि वह अपनी सरकार से अफरीदी को जेल से रिहा करने की बात जोर-शोर से उठाएं। उन्होंने कहा कि अफरीदी को रिहा करना 9/11 हमलों के पीड़ितों के लिए एक बड़ा कदम होगा। शेरमैन ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करने और वहां की धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पूरी मेहनत करे। शकील अफरीदी एक बार फिर चर्चा में हैं, तो चलिए समझते हैं कि वह हैं कौन।
शकील अफरीदी कौन हैं?
डॉ. शकील अफरीदी एक पाकिस्तानी डॉक्टर हैं, जिनका नाम ओसामा बिन लादेन की तलाश में अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA की मदद करने को लेकर सुर्खियों में आया था। उन्होंने 1990 में पेशावर के खैबर मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और बाद में खैबर पख्तूनख्वा में सीनियर हेल्थ ऑफिसर के तौर पर काम किया। इसके बाद वह खैबर दर्रे के पास एक निजी क्लिनिक के सह-मालिक भी बने।
साल 2008 में, उन्हें लश्कर-ए-इस्लाम नाम के आतंकी संगठन के कमांडर मंगल बाग ने अगवा कर लिया था। अफरीदी को छुड़वाने के लिए उनके परिवार को 10 लाख पाकिस्तानी रुपये की फिरौती चुकानी पड़ी। रिहाई के बाद वह अपने परिवार के साथ अमेरिका चले गए लेकिन वहां की जिंदगी उन्हें कुछ खास पसंद नहीं आई। नेशनल जियोग्राफिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 2009 के अंत में वापस पाकिस्तान लौटने का फैसला किया।
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ओसामा बिन लादेन की मौत में डॉ. की भूमिका
डॉ. शकील अफरीदी ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को बताया कि उन्हें अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA ने यूएसएआईडी के जरिए भर्ती किया था। उन्हें बच्चों को टीका लगाने वाले एक कार्यक्रम में 'सेव द चिल्ड्रन' के साथ मिलकर काम करने का जिम्मा मिला था। डॉ. अफरीदी खैबर इलाके में सरकारी हेल्थ अफसर थे और उन्होंने कई अमेरिकी फंड से चल रहे टीकाकरण कार्यक्रमों की निगरानी की थी। इसी दौरान CIA ने उन्हें अपने लिए काम पर लगा लिया, क्योंकि वह एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के छिपे होने की पुष्टि करना चाहती थी।
CIA की योजना थी कि एबटाबाद में एक हेपेटाइटिस-बी का टीकाकरण अभियान चलाया जाए। इसके जरिए वह वहां रहने वाले बच्चों से खून के नमूने लेकर यह पता लगाना चाहते थे कि क्या वह बिन लादेन के रिश्तेदार हैं। अप्रैल 2011 में, डॉ. अफरीदी एबटाबाद के उस मकान तक पहुंचे, जो ऊंची दीवारों से घिरा हुआ था और जहां बिन लादेन छिपा हुआ था। जब उन्होंने दरवाजा खटखटाया, तो एक औरत बाहर आई और बोली कि घर में कोई नहीं है। जब अफरीदी ने मकान मालिक का नाम और नंबर पूछा, तो उसने 'इब्राहिम सईद अहमद' नाम का जिक्र किया।
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CIA का मददगार बना था डॉक्टर
CIA पहले से जानती थी कि इब्राहिम सईद अहमद नाम का एक व्यक्ति बिन लादेन का भरोसेमंद संदेशवाहक था। इसी सुराग से उन्हें यकीन हो गया कि बिन लादेन इसी घर में छिपा हुआ है। इसके बाद, 2 मई 2011 को अमेरिका की नेवी सील टीम ने एबटाबाद के उस घर पर छापा मारा और बिन लादेन को मार गिराया। अमेरिकी कमांडोज उसका शव भी अपने साथ ले गए।
जब डॉक्टर के खिलाफ हो गया था पाकिस्तान
यह पूरी कार्रवाई पाकिस्तान के लिए बहुत शर्मिंदगी की बात बनी, क्योंकि बिन लादेन वहां की मिलिट्री ठिकानों के बेहद करीब छिपा हुआ था। बिन लादेन की मौत के ठीक 20 दिन बाद, 23 मई 2011 को डॉ. अफरीदी को गिरफ्तार कर लिया गया। पाकिस्तान में उनके खिलाफ लोगों में जबरदस्त गुस्सा था।
डॉ. शकील अफरीदी को 48 साल की उम्र में गिरफ्तार किया गया था। उन पर पहले देशद्रोह का आरोप लगा। बाद में उन्हें एक प्रतिबंधित आतंकी समूह को आर्थिक मदद देने के लिए 33 साल की सजा सुनाई गई, जो फिरौती के रूप में दी गई थी। सजा बाद में 23 साल कर दी गई। वह अब भी जेल में हैं और उनकी याचिका लंबित है।
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वैक्सीन अभियान से जनता का घटा भरोसा
कहा जाता है कि उन्होंने सीआईए की मदद की थी लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता था कि टारगेट ओसामा बिन लादेन था। अफरीदी की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में वैक्सीन अभियानों पर जनता का भरोसा घटा और बच्चों को टीके लगवाने से रोका जाने लगा। पाकिस्तानी एजेंसियों का मानना है कि विदेशी एजेंसियों के लिए काम करना देश के खिलाफ अपराध है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अफरीदी ने इसकी भारी कीमत चुकाई है।