अमेरिका के लॉस एंजिल्स में पुलिस ने अभी 35 वर्षीय एक युवक को गोली मार दी। शख्स सड़क के बीचोबीच एक गंडासी नुमा हथियार लहरा रहा था। लॉस एंजिल्स पुलिस ने घटना का वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड किया है। वीडियो देखने से पता चलता है कि शख्स को सीधे सीने पर गोली मारी गई है। वह तुरंत औंधे मुंह गिर पड़ा। अब सवाल उठता है कि भारत में जहां पुलिस अधिकांश मौकों पर पैर में गोली मारती है तो वहीं अमेरिका में पुलिस सीने या शरीर के ऊपरी हिस्से को क्यों निशाना बनाती है? इससे जुड़े नियम क्या हैं?

 

अमेरिका में अभी तक पैर में गोली मारने से जुड़ा कोई नियम नहीं है। अमेरिका की पुलिस अलग माइंड सेट से काम करती है। यहां किसी भी खतरे की स्थिति में अपराधी को रोकना लक्ष्य होता है, न कि उसे घायल करना। अमेरिकी पुलिस ट्रेनिंग के मुताबिक जवानों को गोली 'Center Mass' यानी शरीर के बीच छाती और धड़ वाले हिस्से में चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।

 

इसके पीछे रणनीति यह है कि खतरे को तुरंत ही निष्क्रिय किया जा सकता है। अमेरिका की पुलिस खतरे को रोकने के सिद्धांत पर काम करती है। उसका मानना है कि पैर पर गोली मारना बेहद जोखिम भरा होता है। लगतार मूवमेंट होने के कारण निशाना चूक भी सकता है। इससे खतरे और भी बढ़ने की आशंका होती है। गुुरप्रीत सिंह से जुड़ा मामला आप यहां क्लिक करके पूरा पढ़ सकते हैं।

 

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कब और किस पर गोली चलाने का नियम?

अमेरिकी न्याय विभाग ने किसी अपराधी पर पुलिस फायरिंग से जुड़े कुछ नियम बना रखे हैं। उनका पालन हर अधिकारी को करना होता है। एक अधिकारी किसी भी व्यक्ति के खिलाफ उतना ही बल का इस्तेमाल कर सकता है, जितना उस वक्त जरूरी था। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने ग्राहम बनाम कॉनर (1989) मामले में बल प्रयोग के नियम बनाए हैं। इसमें यह बताया गया है कि कोई अधिकारी कब गोली चलाने का फैसला ले सकता है।

 

  • अपराध की गंभीरता के आधार पर।
  • आम लोगों और अधिकारी की सुरक्षा को खतरा होने पर। 
  • अगर अपराधी ने गिरफ्तारी देने से मना कर दिया।
  • गिरफ्तारी से बचने के लिए भागने पर।
  • अगर कोई वाहन से पुलिस या आम लोगों को डरा रहा है और इससे गंभीर चोट या जान को खतरा है तो पुलिस गोली चला सकती है।
  • गाड़ी पर गोली चलाने के पीछे पुलिस के पास उचित वजह का होना जरूरी है।
  • अगर संभव हो तो पुलिस को पहले मौखिक चेतावनी भी देनी चाहिए। 

कब गोली नहीं चला सकती पुलिस?

  • अगर कोई संदिग्ध सिर्फ भाग रहा तो उस पर गोली नहीं चलाई जा सकती।
  • अगर कोई वाहन को भगा रहा तो पुलिस उसे रोकने के लिए फायरिंग नहीं कर सकती।
  • कोई व्यक्ति खुद को या अपनी संपत्ति को चोट पहुंचा रहा तो उस पर गोली नहीं चलाई जा सकती।
  • निहत्थे और कोई खतरा पैदा नहीं करने वाले व्यक्ति पर गोली चलाना गैर-कानूनी है। 

 

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कैसे होगी पुलिस एक्शन की जांच?

1985 में टेनेसी बनाम गार्निर मामले में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस कब किसी व्यक्ति पर गोली चला सकती है? इसके मुताबिक पुलिस के पास संभावित वजह होनी चाहिए कि संदिग्ध खतरनाक था। वह गंभीर खतरा पैदा करता और उसे रोकने के लिए बल प्रयोग करना ही जरूर था। ग्राहम बनाम कॉनर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस की कार्रवाई न्याय संगत है या नहीं इसकी जांच इस आधार पर होगी कि घटना के वक्त मौजूद एक सामान्य और प्रशिक्षित अधिकारी उसी हालात में, ठीक वैसा ही निर्णय लेता या नहीं।

 

अमेरिका का अनुच्छेद 396-97 कहता है कि जब पुलिस एनकाउंटर की जांच होगी तो उस वक्त इस तथ्य को भी ध्यान रखना होगा कि पुलिस अक्सर तनाव भरे, अनिश्चित और तेजी से बदलती परिस्थितियों में काम करती है। बेहद कम समय में उसे निर्णय लेना पड़ता है। इसमें घटना का आकलन स्पॉट पर मौजूद एक विवेकशील अधिकारी के नजरिये से करने की सलाह दी गई।