अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बंपर जीत हुई है। तमाम आरोप झेलने और महाभियोग तक का सामना करने वाले डोनाल्ड ट्रंप की राहें बेहद मुश्किल रहीं लेकिन उन्होंने अपनी वापसी सुनिश्चित कर ली है। वापसी तय होते ही डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले यही कहा कि उनके कार्यकाल में वह युद्ध नहीं होने देंगे और युद्ध खत्म कराने के प्रयास करेंगे। इतना ही नहीं दुनिया के अन्य देशों पर भी डोनाल्ड ट्रंप की वापसी असर डाल सकती है। इसका उदाहरण बुधवार को ही देखने को मिला जब कई देशों के शेयर मार्केट में बड़े बदलाव नजर आए। युद्ध में व्यस्त देश इजरायल, रूस और यूक्रेन के साथ-साथ यूरोपीय देशों और एशियाई देशों जैसे कि चीन और भारत के लिए भी डोनाल्ड ट्रंप की जीत कई प्रकार से अहम होने वाली है।

 

डोनाल्ड ट्रंप को कमोबेश दक्षिणपंथी विचारधारा का माना जाता है। वह अपने फैसलों को लागू करवाने में एक तरह की जिद दिखाते हैं और हर हाल में उसे लागू करवाने के प्रयास करते हैं। चुनाव के दौरान भी वह 'अमेरिका फर्स्ट' विदेश नीति को बार-बार दोहराते रहे हैं। यही वजह है कि चर्चाएं हैं कि अमेरिका उन देशों से अपने हाथ पीछे खींच सकता है जहां के युद्धों में अमेरिका परोक्ष रूप से संलिप्त है। इसका असर इजरायल-अमेरिका के युद्ध पर भी देखने को मिल सकता है।

रूस-यूक्रेन पर क्या होगा असर?

 

वैसे तो डोनाल्ड ट्रंप क्या करने वाले हैं यह वही जानते हैं। अब तक अमेरिका स्पष्ट रूप से यूक्रेन के साथ खड़ा रहा है और उसी का साथ देता रहा है। वैसे भी रूस और अमेरिका के रिश्ते तो जगजाहिर हैं ही। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप की रिपबलिकन पार्टी यूक्रेन को मदद देने की आलोचना करती रही है। रिपब्लिकन पार्टी ने यह भी कहा था कि वह एक दिन में युद्ध खत्म कर देगी और डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल करने के बाद पहली बात यही कही कि वह अब युद्ध नहीं होने देंगे। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही कि डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन से तो अमेरिका को पीछे हटा ही लेंगे, वह व्लादिमीर पुतिन को भी इस बात के लिए राजी करने की कोशिश कर सकते हैं कि वह युद्ध रोक दें।

 

हालांकि, यह भी आशंका जताई जा रही है कि अगर पुतिन इससे इनकार करते हैं तो डोनाल्ड ट्रंप अलग तरह से फैसले ले सकते हैं। रूस और अमेरिका के रिश्ते चाहे जैसे रहे हों लेकिन डोनाल्ड ट्रंप व्लादिमीर पुतिन और रूस को लेकर अलग रुख रखते हैं। चुनाव के दौरान जहां कमला हैरिस ने पुतिन को तानाशाह कह दिया था, वहीं डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन की आलोचना करने से बचते नजर आए।

भारत का क्या होगा रुख?

 

अमेरिका और भारत जितने अच्छे दोस्त रहे हैं, नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप शायद उससे उच्छे दोस्त बन चुके थे। 2020 के चुनाव से पहले तो पीएम मोदी ने बाकायदा 'हाउडी मोदी' नाम के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था जो कमोबेश राजनीतिक शो जैसा ही था। पीएम नरेंद्र मोदी डोनाल्ड ट्रंप को अपना अच्छा दोस्त बताते रहे हैं और बुधवार को जीत की बधाई देते समय भी उन्होंने यह 'दोस्ती' याद दिलाई। डोनाल्ड ट्रंप भी कई मंचों से नरेंद्र मोदी की तारीफ करते रहे हैं ऐसे में भारत के लिए डोनाल्ड ट्रंप की जीत नए अवसर खोल सकती है। H1-B वीजा के मामले में भी डोनाल्ड ट्रंप का रुख रोचक हो सकता है।

 

पीएम मोदी रूस और यूक्रेन के युद्ध के मामले में बार-बार कहते रहे हैं कि युद्ध कोई समाधान नहीं है और इसका हल बातचीत के जरिए ही निकाला जा सकता है। अब उनको डोनाल्ड ट्रंप के रूप में एक और ऐसा नेता मिल जाएगा जो इन दोनों ही देशों पर दबाव बना सकता है। कनाडा और भारत के संबंधों के मामले में भी भारत की उम्मीद यही होगी कि डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ खड़े होंगे।

चीन का क्या होगा?

 

वैसे तो डोनाल्ड ट्रंप की वापसी चीन के लिए चिंता की बात हो सकती है क्योंकि कारोबारी दिमाग के ट्रंप राष्ट्रपति रहते हुए चीन से होने वाले आयात में मुश्किलें पैदा करते रहे हैं। अगर इस बार भी वह ऐसा ही करते हैं तो चीन भी ऐसे ही फैसले ले सकता है जो इकोनॉमी को अलग दिशा दे सकते हैं और एक तरह से ट्रेड वॉर फिर शुरू हो सकती है।

किधर जाएगा इजरायल?

 

इजरायल और अमेरिका एक तरह से साथ ही चले हैं। हालांकि, इस बार जब इजरायल और हमास भिड़े और ईरान से टकराव हुआ तो अमेरिका ने लगभग तटस्थ रहने जैसा बर्ताव किया। अब डोनाल्ड ट्रंप की जीत में इजरायल को नई उम्मीद दिखी है। यही वजह है कि ट्रंप की जीत पर सबसे पहले बधाई देने वालों में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का नाम शामिल था। नेतन्याहू पहले भी ट्रंप को इजरायल का अब तक का सबसे बेहतर दोस्त बता चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप वैसे भी गाजा और हमास के मुद्दे पर इजरायल के ही साथ रहे हैं।

अब क्या करेगा यूरोप?

 

यूरोपीय देशों में पिछले कुछ सालों में दक्षिणपंथी नेताओं की जीत वैश्विक राजनीति को एक नई दिशा दे रही है। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर खुशियां भी इसी दक्षिण और वाम में बंटती नजर आ रही हैं। जहां कुछ यूरोपीय देशों के नेता ट्रंप की जीत से चिंतित हैं तो कुछ खुशियां भी मना रहे हैं। यूक्रेन के समर्थन में खुलकर खड़े यूरोपीय देशों के लिए डोनाल्ड ट्रंप का रुख बहुत मायने रखने वाला है।

ट्रंप की जीत से किसे टेंशन?

 

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से सबसे ज्यादा चिंतित यूक्रेन हो सकता है क्योंकि युद्ध खत्म करने की बात करने वाले ट्रंप उसका साथ छोड़ सकते हैं या फिर यूक्रेन को दी जाने वाली मदद रोक सकते हैं। यूक्रेन के अलावा ईरान, चीन, जापान, मेक्सिको, ब्रिटेन, फ्रांस, ब्राजील और जर्मनी जैसे देशों के लिए भी डोनाल्ड ट्रंप की वापसी अच्छा संकेत नहीं है। इसके अलावा, पाकिस्तान को भी डोनाल्ड ट्रंप की वापसी चुभ सकती है क्योंकि पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने उसे दी जाने वाली सैन्य मदद रोक दी थी और आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खूब दबाव भी बनाया था।

किसकी होगी बल्ले-बल्ले?

 

डोनाल्ड ट्रंप के अच्छे दोस्त नरेंद्र मोदी के अलावा, सऊदी अरब,  इजरायल, रूस, इटली, तुर्की, नॉर्थ कोरिया, हंगरी और अर्जेंटीना जैसे देश राहत की सांस ले सकते हैं।