जशनप्रीत सिंह जो कभी पंजाब के जालंधर में रहा करते थे आज अमेरिका में खुशी से रह रहे है। 24 साल के जशन समलैंगिक है और इस वजह से उन्हें हर दिन प्रताड़ित किया जाता था। आसपास के पड़ोसियों से लेकर उनके अपने भी उन्हें काफी टॉर्चर करते थे। हालात तब बिगड़े जब बात गाली-गलौज से मारपीट पर पहुंच गई। एक बार उन पर 15 से 20 लोगों ने हमला कर दिया और जान से मारने की कोशिश की। इस मारपीट में उनका एक हाथ भी पूरी तरह से खराब हो गया।

 

क्या है डंकी रूट?

जशन ने सोचा कि वह जालंधर छोड़कर किसी और शहर में बस जाएंगे, लेकिन उन्हें ये भी पता था कि भारत में वह कहीं भी सुरक्षित नहीं रह सकते है। जशन ने सोच लिया था कि वह अब भारत में नहीं रह सकते और इसी कारण उन्होंने ‘डंकी रूट’ ऑप्शन चुना। डंकी रूट, जिसमें कोई व्यक्ति एक देश से दूसरे देश अवैध तरीके से जाता है। डंकी रूट के जरिए जशन ने पहले तुर्कीये और फ्रांस का सफर तय किया और फिर जैसे-तैसे वह मैक्सिको बॉर्डर पहुंचे और वहां से उन्होंने अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर क्रॉस करके अमेरिका की धरती पर कदम रखा।

 

बॉर्डर क्रॉस करने के बाद क्या?

बॉर्डर क्रॉस करने के बाद जशन ने शरणार्थी (Asylum Seek) के लिए अप्लाई कर दिया और इमिग्रेशन कोर्ट से उन्हें अमेरिका में रहने का अप्रूवल भी मिल गया। अगर आपके मन में भी सवाल आ रहा है कि यह सबकुछ करने के लिए डंकी रूट को ही क्यों चुना गया तो बता दें कि शरण उन्हीं लोगों को दिया जाता है जो असल में उस देश में मौजूद होते हैं। अमेरिका के नियमों के अनुसार, अगर आप शरणार्थी का रास्ता चुनते है तो आपका अमेरिका में मौजूद होना जरूरी होता है।

 

डंकी रूट के बाद आती है बड़ी मुश्किलें

हालांकि, ऐसे मामले काफी कम होते है। बता दें कि इकॉनोमिक माइग्रेशन को शरणार्थी की कैटगरी में नहीं रखा जाता है। इसके कारण कई प्रवासियों को महीनों और यहां तक की सालों तक जांच से गुजरना पड़ता है। इस दौरान उन्हें कई टॉर्चर और प्रताड़ना सहन करनी पड़ती हैं। दरअसल, एक शरणार्थी के एप्लीकेशन को कोर्ट तक पहुंचने में कभी-कभी सालों तक का समय लग सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि आप कई साल तक अमेरिका रहते है और फिर जांचकर्ता इस नतीजे पर पहुंचता है कि आपको डिपोर्ट (वापस उसके देश भेज दिया जाए) कर दिया जाए।

 

पकड़े गए तो बद से बदतर हो जाती है जिंदगी

ये भी बात याद रखे कि जब आप कोई भी देश का बॉर्डर क्रॉस करते है तो ऐसा नहीं होता कि तुरंत आपको इमीग्रेशन कोर्ट के सामने पेश कर दिया जाता है। सबसे पहले आपको डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। वहां के हालत इतने खराब होते है कि उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। ऐसे कई डिटेंशन सेंटर है जहां ढेर सारे लोगों को छोटे से सेल में बंद कर दिया जाता है। यहां वह हफ्तों और महीनों तक पड़े रहते है जब तक कि उनका नाम कोर्ट में पेश होने के लिए नहीं आ जाता।

 

इन मौके पर ही लगेगा शरणार्थी का ठप्पा

डंकी रूट के जरिए जब आप अमेरिका, कनाडा या किसी भी देश में अवैध तरीके से घुस जाते है तो उसके बाद आप ये मत समझिए की आप आजाद हो गए। असली मुसीबत तो तभी शुरू होती है। अगर आपको सुरक्षा अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया तो समझिए आपकी उल्टी गिनती शुरू हो गई। कुछ लोग जानबूझकर गिरफ्तार होते है ताकि वह शरण का रास्ता चुन सके। हालांकि, शरण आपको केवल इन कारणों पर ही मिल सकता है। जैसे- जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता और राजनीतिक राय

 

हर साल युवा उठाते है बड़ा जोखिम 

हरियाणा, गुजरात और पंजाब भारत के इन तीन राज्यों से सबसे ज्यादा युवा डंकी का रूट चुनते हैं। इसके लिए वह लाखों रुपये तक खर्च कर अपनी जान जोखिम पर लगाते है। कोई अपना घर, खेत यहां तक की अपनी जिंदगी की सारी कमाई तक दांव पर लगा देता है। अच्छी लाइफस्टाइल, नौकरी और पैसों के लिए इन राज्यों के युवा हर साल डंकी रूट से अमेरिका, कनाडा और अन्य देश जाने का जोखिम उठाते हैं।

 

राहुल की कहानी भी कुछ ऐसी ही...

ऐसा ही कुछ अमृतसर के राहुल कुमार ने भी किया। उन्होंने नौकरी और ज्यादा पैसे कमाने के लिए इटली जाने का प्लान बनाया। ऐजेंट को पैसे दिए और डंकी रूट के जरिए निकल पड़े अपनी जर्नी पर। एजेंट को पैसे देने के लिए राहुल ने लोन तक लिया था। अमृतसर से पहले वह दुबई पहुंचे फिर कुवैत से मिस्र और फिर लिबिया। एजेंट ने उन्हें बोला कि वह नाव के जरिए इटली पहुंच जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह सीधा लिबिया एयरपोर्ट पहुंचे। वहां के हालात देखकर राहुल समझ गए थे कि उनके साथ धोखा हुआ है। राहुल का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और यहां से उनकी जिंदगी बद से बदतर हो गई।

 

लिबिया पहुंचते ही राहुल का फोन रख लिया गया। न ढंग का खाना और न ही पीने का साफ पानी राहुल को नसीब हो रहा था। कभी-कभी उन्हें टॉयलेट का पानी पीकर भी गुजारा करना पड़ा। राहुल को लगा कि वह अब वापस कभी भारत नहीं लौट पाएंगे। हालांकि, करीब 6 महीने बाद यानी सिंतबर 2023 को राहुल और कई अन्य भारतीय सदस्यों को वापस भारत लाया गया। दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड करते ही राहुल के आंखों में आसूं थे और वह बस अपने परिवार को गले लगाकर फूट-फूट कर रो रहे थे। उन्हें बस अपने देश की मिट्टी की खुशबू महसूस हो रही थी। वह कहते हैं कि ‘जैसे ही मैं दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा वहां में सुकून की सांस ले रहा था। देश की खुशबू को महसूस किया और फिर लगा कि हां मैं वापस घर आ गया हूं।‘