भारतीय मूल के चर्चित ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर हमला बोलने के आरोपी हादी मतार दोषी करार दिया गया गया है। उसने सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला किया था। उनके सिर, गर्दन, धड़, बाएं हाथ और आंख को निशाना बनाकर एक के बाद एक कई बार हमलावर ने चाकू मारा था। हमले के बाद सलमान रुश्दी ने अपनी आंखें गंवा दी थीं।

सलमान रुश्दी की लीवर और आंत में घाव हो गया था। शनिवार को पश्चिमी न्यूयॉर्क में एक जूरी ने सलमान रुश्दी के हमलावर को हत्या की कोशिश के आरोप में दोषी ठहराया है। 23 अप्रैल को सलमान रुश्दी के हमलावर को सजा सुनाई जाएगी। उसे कम से कम  25 साल तक की सजा हो सकती है। 

जब हादी मतार को न्यूयॉर्क कोर्ट ने सजा सुनाई तो उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसकी हाथों में हथकड़ियां थीं। बाहर जाते वक्त उसने 'फ्री फिलिस्तीन' का नारा लगाया। वह अक्सर ऐसा कहता रहा है। सलमान रुश्दी पर हमला बोलने वाला शख्स इस्लामिक कट्टरपंथी है। 

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कौन है सलमान रुश्दी पर हमले का गुनहगार हादी मतार?
हादी मतार की उम्र महज 27 साल है। उसके पास अमेरिका और लेबनान की दोहरी नागरिकता है। वह न्यू जर्सी के फेयव्यू से आता है। वह इस्लामिक कट्टरपंथी है। साल 2006 में सलमान रुश्दी पर आतंकी समूह हिजबुल्लाह के नेताओं ने फतवा जारी किया था। 

हादी मतार उसी फतवे से प्रभावित होकर सलमान रुश्दी पर हमला बोला था। साल 2022 में जब सलमान रुश्दी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान के एक कार्यक्रम में बोलने जा रहे थे, तभी उन पर हमला हो गया। हादी मतार ने सलमान रुश्दी के सिर, गर्दन, धड़ और हाथ पर जमकर चाकू मारा। उन्हें ठीक होने में महीनों लग गए। जैसे-तैसे डॉक्टरों ने उनकी जान बचाई। हादी मतार न्यू जर्सी में रहता था, वह सिर्फ सलमान रुश्दी पर हमला करने के मकसद से ही कार्यक्रम में शामिल हुआ था। 

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हादी मतार मानता है कि सलमान रुश्दी ने इस्लाम की आलोचना की है। वह सलमान रुश्दी से नफरत करता था। जैसे ही सलमान रुश्दी के प्रोग्राम का उसने विज्ञापन देखा, न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा इंटस्टीट्यूट आ धमका। वहीं उसे सलमान रुश्दी को लहूलुहान कर दिया।

क्यों कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं सलमान रुश्दी?
सलमान रुश्दी ने एक किताब लिखी है 'द सैनिटेक वर्सेज।' यह किताब दुनियाभर के इस्लामिक देशों में बैन है। उनके खिलाफ ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने 30 लाख डॉलर का इनाम घोषित किया था। दावा किया जाता है कि यह उपन्यास इस्लाम, पैगंबर मोहम्मद और इस्लामिक परंपराओं की आलोचना करता है। इस्लामिक कट्टरपंथी सलमान रुश्दी के इस किताब को लेकर हमेशा निशाना बनाते रहे हैं। किताब लिखने के बाद उन्हें सालों तक गुमनाम जिंदगी जीनी पड़ी थी। हर जगह उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती थी।