रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच चल रहे जंग में अमेरिका खुलकर यूक्रेन के साथ है। अमेरिका को जिन संस्थाओं पर शक है, उन पर चुन-चुनकर प्रतिबंध लगा रहा है। दुनियाभर के 12 देशों की 400 ऐसी कंपनियां हैं, जिन पर अमेरिका ने प्रतिबंध थोपे हैं। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि यूक्रेन के खिलाफ चल रही जंग में इन संस्थानों ने अत्याधुनिक तकनीकों को साझा किया है, जिनका इस्तेमाल रूस ने किया है।
अमेरिका के इस एक्शन का असर सबसे ज्यादा भारत और चीनी कंपनियों पर पड़ा है। अमेरिका का आरोप है कि ये देश रूस को तकनीक शेयर कर रहे थे। अमेरिकी प्रतिबंधों का असर रूस, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, थाइलैंड, मलेशिया और स्विट्जरलैंड जैसे देशों पर भी पड़ा है।
क्यों रूस-भारत डील से चिढ़ा है अमेरिका?
अमेरिका के डिप्टी ट्रेजरी सचिव वैली एडेइमो ने कहा, 'यूक्रेन के खिलाफ चल रहे अनैतिक जंग में रूस का साथ देने वाले हर गठजोड़ का हम और हमारे सहयोगी विरोध करेंगे। यह इसलिए किया जा रहा है, जिससे रूस को वे गंभीर हथियार और तकनीक न मिलें, जिसका इस्तेमाल वह जंग में करे।'
अमेरिका ने क्या कदम उठाए हैं?
अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने 274, गृह विभाग ने 120 और कॉमर्स विभाग ने 40 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इन कंपनियों पर सीधे रूस की मदद करने का आरोप है। अमेरिका इस हद तक प्रोडक्ट्स को फिल्टर कर रहा है कि अगर कोई माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स भी रूस को बेचे जाएं तो वह उसे जंग में मदद करने वाला टूल मान रहा है।
अमेरिका दे रहा भारत को खुली धमकी
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भारत, रूस को उत्पाद बेच रहा है। अगर अमेरिका को बताकर ऐसे उत्पादों को नहीं बेचा गया तो इसका मतलब होगा कि इन कंपनियों पर अमेरिका एक्शन लेगा। भारतीय कंपनी फुट्रेवो उन फर्म्स में से एक है, जो रूसी मैन्युफैक्चरर ऑर्लन ड्रोन के सप्लाई चेन से जुड़ी हुई है। अमेरिका ने इशारा किया है कि भारत इससे पहले इस रास्ते पर बहुत आगे बढ़ जाए, हम रोकना चाहते हैं।
भारत का रुख क्या होगा?
भारत उन देशों में शुमार है जो अपनी नीतियां, संप्रभु तरीके से तय करते हैं। भारत दुनिया के किसी भी देश के व्यक्तिगत हित से परे हटकर अपने निर्णय लेता है। भारत, अमेरिका को कई बार संदेश दे चुका है कि ऐसे प्रतिबंधों का उस पर कोई असर नहीं है, वह किसी प्रतिबंध के डर की वजह से अपनी वैश्विक नीतियों में कोई तब्दीली नहीं करेगा। भारत और रूस के बीच रक्षा भागीदारी बेहद मजबूत है, जिसे अमेरिका की वजह से भारत कभी तोड़ेगा नहीं।