अडोल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी जैसे नाम अपनी क्रूरता और बेइंतहा तानाशाही की वजह से आज भी याद किए जाते हैं। इन लोगों ने जितना ही अत्याचार लोगों पर किया, उतना ही बुरा इनका अंत हुआ। इटली के तानाशाह रहे मुसोलिनी को पहले तो उसकी प्रेमिका के साथ गोली मार दी गई थी, फिर उसकी लाश को सरेआम उल्टा करके लटका दिया था। कहा जाता है कि हिटलर भी मुसोलिनी का अच्छा दोस्त था और दोनों ने ही अपने-अपने देशों में लगभग एक जैसा ही सलूक आम लोगों के साथ किया। 

 

साल 1883 में इटली में ही जन्मा बेनिटो मुसोलिनी पहले टीचर हुआ करता था। नौकरी चली गई तो मजदूर, फिर पत्रकार और फिर राजनेता बन गया। वह साल 1922 में इटली का प्रधानमंत्री बना और अगले 21 साल में उसने बेतहाशा जुल्म किए। कहा जाता था कि अगर कोई मुसोलिनी के खिलाफ आवाज उठाए तो वह अगले दिन का सूरज नहीं देख पाता था। पत्रकारिता करने के दौरान हिंसा और नफरत के लिए उकसाने वाले लेख के आरोपों में जेल जा चुके मुसोलिनी ने पहले विश्व युद्ध के दौरान शार्प शूटर के तौर पर काम किया। आगे चलकर उसने काले कपड़े पहनने वाली एक सेना भी बनाई। इसी सेना के दम पर उसने हजारों लोगों की जान ली और खूब खूनखराबा किया। 

 

हिटलर से दोस्ती पड़ गई भारी

 

यहां तक कि इसी सेना से डरकर ही इटली के नेताओं ने उसे प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जमकर हिंसा फैला रहे हिटलर से उसने दोस्ती की और जर्मनी के दुश्मनों को अपना और इटली का भी दुश्मन बताकर उनके खिलाफ लड़ने लगा। हालांकि, न तो हिटलर जीत पाया और न ही मुसोलिनी। हारते ही वह भागने की फिराक में था। इसी कोशिश में मुसोलिनी और उसकी प्रेमिका क्लारेटा पेटाची को पकड़ लिया गया। उसे मिलान शहर ले जाकर 28 अप्रैल 1945 को गोलियों से भून दिया गया। कुल 18 लोगों की लाशें सड़क पर फेंक दी गई थीं।

 

मुसोलनी के अत्याचार से पीड़ित जनता अपना बदला लेने उतर आई। किसी ने मुसोलिनी के शव पर पेशाब कर दिया तो किसी ने चाकुओं से उसकी लाश को गोद डाला। इतना ही नहीं, मुसोलिनी की आंख भी बाहर निकल। लोगों ने जश्न मनाने के लिए मुसोलिनी, उसकी प्रेमिका और अन्य लोगों के शवों को उल्टा लटका दिया। इस तरह दो दशक तक क्रूरता से राज करने वाले मुसोलिनी का बहुत बुरा अंत हो गया।