कोलंबिया में विद्रोही गुट नेशनल लिबरेशन आर्मी के साथ शांति वार्ता की कोशिशें नाकाम होने के बाद देश में एक बार फिर से हिंसा का दौर लौट आया है। दरअसल, कोलंबिया में लंबे समय से जटिल संघर्ष चल रहा है, जो अब बढ़ गया है। इस साल कोलंबिया सरकार और सशस्त्र समूहों के बीच कई युद्धविराम और बातचीत के दौर चले लेकिन सभी कोशिशें नाकाम रहा हैं। देश में हिंसा और अपराध को अंजाम देने वाले संगठन अपनी संख्या बढ़ाने के लिए नाबालिग युवकों को अपने गुट में सैनिक के तौर पर जबरदस्ती भर्ती कर रहे हैं।
देश के आपराधिक संगठन नाबालिगों की भर्ती करने के लिए उनका अपहरण कर रहे हैं, जिससे बच्चों के मां-बाप की चिंताएं बढ़ गई हैं। अभिभावकों को डर सता रहे है कि ना जानें कब उनके बच्चों का अपहरण हो जाए। हालांकि, बच्चों की इन आपराधिक संगठनों में भर्ती प्रक्रिया को रोकने के लिए सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
मानवीय त्रासदी का सामना कर रहा कोलंबिया
अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) ने 2024 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि कोलंबिया साल 2016 में क्रांतिकारी सशस्त्र बल (FARC) विद्रोही समूह के साथ हुए शांति समझौते के बाद से अपने सबसे बुरे मानवीय त्रासदी का सामना कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में ये सशस्त्र गुट बच्चों की अपनी आर्मी में भर्ती बढ़ा रहे हैं। साथ ही रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि कोलंबिया के 58 फीसदी लोगों ने इस ट्रेंड को अपने समुदायों में सबसे बड़ा जोखिम बताया है।
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अभागी मां की दास्तान
कतर के न्यूज ब्रॉडकास्टर अल-जज़ीरा की खबर के मुताबिक, कोलंबिया की एक मां (मार्टा) ने अपने 14 साल के बेटे को आखिरी बार तीन महीने पहले देखा था। विद्रोही गुटों ने उनके बेटे का तीन महीने पहले अपहरण करके अपनी सेना में भर्ती कर लिया था। किसी रास्ते से गुजरते हुए मार्टा ने देखा कि उसका बेटा विद्रोही सेना की वर्दी पहने हुए था और एक राइफल पकड़े हुए दूसरे बाल सैनिकों के साथ सड़क पर मार्च कर रहा था।
बेटे को विद्रोही सेना की वर्दी पहने हुए देखने के बाद मार्टा दौड़कर कमांडिंग ऑफिसर के पास गई और उससे अपने बेटे को छोड़ने की बात कही। कोलंबिया के क्रांतिकारी सशस्त्र बलों (FARC) ने उसे दूर भगा दिया और धमकी दी कि अगर वह नहीं गई तो उसे गोली मार दी देंगे। हालांकि, मार्टा कोलंबिया में अकेली मां नहीं हैं, उनकी जैसी सैकड़ों महिलाएं हैं जिनके बेटों का या तो अपहरण हुआ है या फिर जबरदस्ती सशस्त्र समूहों ने अपनी सेना में भर्ती कर लिया है।
16 साल के बच्चे का हुआ अपहरण
इसी तरह से पूर्वी कोलंबिया की रहने वाली एक 52 साल की मां ग्लोरिया के 16 साल के बेटे को जून में आधी रात को अगवा कर लिया गया था। 16 साल के बच्चे को एक दूसरे सशस्त्र समूह में शामिल होने के लिए मजबूर कर दिया गया था।
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इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (ICG) के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021 से 2024 तक इन आपराधिक समूहों में बच्चों की में 1,000 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2021 में 37 बच्चों की भर्ती की गई थी, 2024 में बढ़कर 409 हो गई। आईसीजी के मुताबिक, बच्चों की भर्ती करने की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा है। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप की सीनियर कोलंबिया विश्लेषक एलिजाबेथ डिकिंसन के अनुसार, 'हम बच्चों की एक ऐसी पीढ़ी को आपराधिक गतिविधियों में खोते हुए देख रहे हैं। आपराधिक समूहों के लिए इन बच्चों का कोई महत्व नहीं है।'
बच्चों की बुनियादी ट्रेनिंग
एलिजाबेथ डिकिंसन ने कोलंबिया में बच्चों की भर्ती के संकट की जानकारी देते हुए एक हालिया रिपोर्ट लिखी है। रिपोर्ट में सामने आया है कि नाबालिग बच्चों को कोलंबिया की सेना से लड़ने के लिए अक्सर सबसे अगली पंक्ति में भेजा जाता है। इससे पहले इन बच्चों को बहुत ही बुनियादी ट्रेनिंग दी जाती है। बच्चों को उच्चे पदों पर बैठे अपराधियों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
डिकिंसन ने कहा कि पिछले साल संघर्षों में बड़े पैमाने पर बच्चे हताहतों हुए हैं। हालांकि, यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि हर साल कितने बाल सैनिक मारे जाते हैं क्योंकि कोलंबिया के निगरानी समूह बच्चों की मौत के मामले में नागरिक और सैनिक मौतों में अंतर नहीं करते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में भर्ती किए गए 262 बच्चों (176 लड़के और 86 लड़कियां) में से 14 मारे गए थे। हालांकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह संख्या इससे कहीं ज्यादा है।
आपराधिक संगठनों दिखाते हैं सपने
रिपोर्ट के अनुसार, 'इनमें से ज्यादातर बच्चे अभी भी युद्ध में शामिल हैं। 112 को रिहा कर दिया गया या वे भाग गए और 14 मारे गए। लगभग 38 बच्चों का इस्तेमाल युद्ध में किया गया।' रिपोर्ट में बताया गया है कि 186 बच्चों को कोलंबिया के अलग-अलग क्रांतिकारी सशस्त्र बलों में भर्ती किया गया। इसमें- पीपुल्स आर्मी के असंतुष्ट समूहों ने 41 बच्चों को राष्ट्रीय मुक्ति सेना में और 22 बच्चों को गल्फ क्लान ने भर्ती किया था।
डिकिंसन के मुताबिक, आपराधिक संगठनों में जबरन भर्ती के मामले बहुत आम हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में नाबालिग झूठे वादों के लालच में आकर अपनी इच्छा से लड़ाई में शामिल होते हैं। डिकिंसन ने कहा, 'हम सशस्त्र और आपराधिक समूहों की बात कर रहे हैं जो इन बच्चों को एक काल्पनिक कहानी सुनाते हैं। ये समूह हथियारों के साथ जिंदगी की एक आकर्षक सपना बेचने के लिए टिकटॉक, व्हाट्सएप और फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं।'
उन्होंने कहा कि लड़कों को आकर्षक मोटरसाइकिलों, बंदूकों और पैसों वाले वीडियो दिखाकर निशाना बनाया जाता है। सशस्त्र समूह युवा लड़कियों को रोमांस, सशक्तिकरण, शिक्षा और कुछ मामलों में, कॉस्मेटिक सर्जरी का झांसा देकर उन्हें निशाना बनाते हैं।
हिंसा की वजह क्या है?
इसी साल कोलंबिया में विद्रोही गुट नेशनल लिबरेशन आर्मी के साथ शांति वार्ता की कोशिशें नाकाम हो गई थीं। इसके बाद देश में हुए संघर्ष में 80 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 20 लोग घायल हो गए थे, जबकि हजारों लोगों को पलायन करना पड़ा था। हमले के बाद कोलंबिया ने नेशनल लिबरेशन आर्मी (ईएलएन) के साथ शांति वार्ता स्थगित कर दी थी।
बता दें कि ईएलएन का कैटाटुम्बो में कोलंबिया के रिवॉल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेज (FARC) के पूर्व सदस्यों के साथ टकराव जारी है। FARC एक गुरिल्ला गुट है, जो 2016 में कोलंबिया सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद बंट गया था।
कोलंबिया का कैटाटुम्बो क्षेत्र कोकीन बनाने और तस्करी के लिए बदनाम है। इस इलाके में प्रभाव रखने वाले दो सशस्त्र संगठन नेशनल लिबरेशन आर्मी और कोलंबिया मार्क्ससिस्ट रिवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेस (FARC) गुट के बीच यह हिंसा हो रही है। इन दोनों गुटों के बीच शांति की कोशिश की जा रही थीं, लेकिन उसके नाकाम होने के बाद हिंसा भड़क गई। इस हिंसा की चपेट में कई आम नागरिक भी आ जाते हैं।
