ऑस्ट्रेलिया में इमिग्रेशन के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन हो रहा है। मेलबर्न, सिडनी, विक्टोरिया, कैनबरा, ब्रिस्बेन और एडिलेड में हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे हैं। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इन विरोध प्रदर्शनों की कड़ी निंदा की। सरकार का कहना है कि 'मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया' विरोध प्रदर्शन के सहारे नस्लवाद और घृणा को फैला रहा है। 'मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया' के खिलाफ भी कुछ लोग सड़कों पर उतरे हैं। मेलबर्न समेत कई जगह दोनों गुटों के आपस में भिड़ने की खबर है।
मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया में दक्षिणपंथी और नव-नाजी नेता शामिल है। इस बीच इन विरोध प्रदर्शनों में भारतीय समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। वन नेशन के नेता पॉलीन हैंसन, कैनबरा में पार्टी सदस्य सीनेटर मैल्कम रॉबर्ट्स और टाउन्सविले में संघीय सांसद बॉब कैटर ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। सिडनी में लगभग आठ हजार लोगों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और पार्थ में करीब 5 हजार लोगों ने मार्च किया।
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भारतीय लोगों के खिलाफ हो रहा प्रचार
'मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया' ने अपनी रैलियों में भारतीय मूल के खिलाफ प्रचार किया। इसमें कहा गया कि 5 साल में भारतीय लोगों की संख्या यहां 100 वर्षों के यूनानियों और इटालियनों से अधिक हो गई है। यह कोई मामूली सांस्कृतिक बदलाव नहीं है। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोगों की संख्या लगभग 8.5 लाख है।
भारतीय समुदाय को निशाना बनाना शर्मनाक
ऑस्ट्रेलिया के सीनेटर जेम्स पैटरसन का कहना है कि प्रवासन कानूनों पर कई ऑस्ट्रेलियाई गंभीर विचार रखते हैं। मगर उन्होंने इस बात की चेतावनी दी कि रैलियों में नव-नाजी मौजूद हैं। उन्होंने भारतीय ऑस्ट्रेलियाई समेत अन्य समुदायों को निशाना बनाने पर चिंता व्यक्त की। इसे गलत और शर्मनाक बताया। विपक्षी नेता सुसैन ले ने लोगों से अपील की कि वह घृणा और भय से देश की सामाजिक एकता को खत्म होने न दें।
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'भारत विरोधी भावना चिंताजनक'
एंटी-इमिग्रेशन रैली को नव-नाजी और लॉकडाउन विरोधी लोगों का समर्थन मिल रहा है। ऑस्ट्रेलिया की केंद्रीय मंत्री मरे वॉट ने रविवार सुबह मार्च की निंदा की। उन्होंने कहा कि मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया रैली का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव बढ़ाना नहीं है। हम ऐसी रैलियों का समर्थन नहीं करते हैं, जो समुदाय को बांटे और नफरत फैलाने का काम करें। अटॉर्नी जनरल जूलियन लीसर ने कहा कि मैंने उस विशेष विरोध प्रदर्शन की कुछ सामग्री देखी है। इसमें भारत विरोधी और यहूदी विरोधी भावना को प्रदर्शित किया जा रहा है। यह वास्तव में चिंताजनक है।