बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हिंसा की सबसे मुखर आवाज बने संत चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह के गंभीर आरोप लगे हैं। उनकी गिरफ्तारी पर अमेरिका से लेकर हिंदुस्तान तक के हिंदू संगठनों ने आवाज उठाई है। गुरुवार को इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा है कि इस्कॉन टेंपल से उनके बयानों और हरकतों का कोई लेना-देना नहीं है।
द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा, 'चिन्मय दास को उनके सभी पदों से हटाया जा चुका है। उन्होंने अनुशासन तोड़ा है।' इस्कॉन बांग्लादेश ने चिन्मय के बचाव में भी कुछ नहीं कहा है। एक तरफ चिन्मय दास पर चौतरफा मुसीबतें हैं, दूसरी तरफ उनकी संस्था ने ही पल्ला झाड़ लिया है।
इस्कॉन ने पल्ला क्यों झाड़ा है?
चारु चंद्र दास ने कहा, 'कुछ महीने पहले, प्रबर्तक श्री कृष्ण मंदिर लीलाराज गौर दास, गौरंग दास, चित्तगंग के पुंडरीक धाम के मुखिया चिन्मय कृष्ण दास को उनके पदों से हटा दिया गया है। वे इस्कॉन के अनुशासनों को तोड़ रहे थे। यह साफ-साफ कहा जा रहा है कि उनके कृत्यों को इस्कॉन से न जोड़कर देखा जाए।'
इस्कॉन ने क्या-क्या कहा है?
इस्कॉन ने कहा कि इस धार्मिक संस्था का वकील सैफिल इस्लाम आलिफ की मौत से कोई लेना-देना नहीं है। इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा, 'इस्कॉन बांग्लादेस का नाम चितगोंग में वकील सैफुल इस्लाम आलिफ की हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसी कोशिशें की जा रही हैं। हम यह बताना चाहते हैं कि इस्कॉन बांग्लादेस का इस दुखद घटना से कोई नाता नहीं है। यह झूठे दृष्टिकोण गढ़े जा रहे हैं।'
इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा, 'इस्कॉन बांग्लादेश ऐसी घटनाओं में कभी शामिल नहीं रहा है। सांप्रदायिक झड़प में पदाधिकारी शामिल नहीं होते। हम केवल एकता और शांति बढ़ाने में भरोसा रखते हैं।'
ढाका हाई कोर्ट ने इस्कॉन को दी है राहत
इस्कॉन को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए बांग्लादेश हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई थी। ढाका हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी।
कौन हैं चिन्मय कृष्ण दास?
चिन्मय कृष्ण दास इस्कॉन के प्रवक्ता रह चुके हैं। उन्हें सोमवार को ढाका पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मोहम्मद फिरोज खान नाम के एक शख्स ने उनके खिलाफ अर्जी दी थी। आरोप हैं कि उन्होंने बांग्लादेश में भगवा ध्वज लहराया है। यह बांग्लादेश की झंडा रैली के दौरान हुआ। यह राष्ट्रद्रोह है। बांग्लादेश फ्लैग नियम 1972 कहता है कि रैली में कोई भी ध्वज, राष्ट्र ध्वज से ऊंचा नहीं फहराया जा सकता है।
भारत ने चिन्मय दास की गिरफ्तारी को लेकर विरोध जताया है। चिन्मय दास, बांग्लादेश सम्मिलित समानत जागरण जोत के राषट्रीय प्रवक्ता भी हैं। भारत ने कहा था कि बांग्लादेश में बढ़ रहा अतिवाद, अल्पसंख्यकों में भय पैदा कर रहा है, हिंदू मंदिर तोड़े जा रहे हैं, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है। सरकार इसे रोके।
अलग-थलग पड़े चिन्मय दास
जिस संगठन की वजह से चिन्मय दास चर्चा में आए थे, उसी संगठन ने उन्हें कानूनी पचड़े में पड़ते देखकर किनारा कर लिया है। वे इस्कॉन के प्रवक्ता के तौर पर ही सामने आए थे। उनकी रिहाई को लेकर वैश्विक दबाव पड़ रहा है।