यमन, शरिया कानून का पालन करने वाला देश है। यमनी नियम के अनुसार, खून के दोषी को मौत की सजा मिलती है। वहां का कानून ऐसा है कि अगर जान गई है तो उसकी सजा केवल मौत है। यमन में इसको लेकर सख्त कानून हैं। ऐसे में केरल की निमिषा प्रिया का नाम सुर्खियों में बना हुआ है क्योंकि उन्होंने यमन में अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या कर दी थी। अब यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई है।

 

देश के राष्ट्रपति रशद मुहम्मद अल-अलीमी ने भी इस सजा को मंजूरी दे दी है। यमन में सजा सुनाई गई और यहां केरल के कोच्चि में निमिषा का परिवार टेंशन में आ गया। हालांकि, निमिषा का केस देखे रहे उनके वकील सुभाष चंद्रन ने 'ब्लड मनी' की बात कर उसके परिवार के अंदर आशा की किरण जगा दी है। निमिषा के पास अभी भी अपनी जान बचाने का एक ऑप्शन 'ब्लड मनी' है। आसान भाषा में समझें तो पीड़ित के परिवार को ब्लड मनी के तौर पर एक भारी अमाउंट देना होगा जिसके जरिए उसकी सजा-ए-मौत माफ हो जाएगी। 

 

ब्लड मनी को समझें

इस्लामिक कानून के अंदर ब्लड मनी आता है जो पीड़ित या उसका परिवार तय कर सकता हैं कि आरोपी को क्या सजा दी जाए। हत्या के मामले में भी यही नियम लागू होता है। यमन में हत्या के दोषी को मौत की सजा मिलती है लेकिन पीड़ित परिवार के पास यह भी हक होता है कि वह आरोपी से पैसे लेकर उसे माफ कर सकें। इसे दिय्या यानी ब्लड मनी कहते हैं। 

 

निमिषा के मामले में भी यह लागू हो सकता है। शरिया कानून मानने वाले यमन में सरकार अभियुक्त को दी गई सजा तभी माफ कर सकती है जब पीड़ित पर हमला करने वाला व्यक्ति, पीड़ित के परिवार को ब्लड मनी के रूप में दी जाने वाली रकम देने को तैयार हो जाए। 

निमिषा के परिजनों ने ब्लड मनी के जरिए अब तक इतना पैसा दिया

ब्लड मनी के तहत निमिषा ने दो किस्तों में पहले ही 38 लाख रुपए पीड़ित के वकील को दिए थे। बीते शुक्रवार को फिर 19 लाख रुपए दिए गए। 

ब्लड मनी के तहत कितना देना होता है पैसा?

ब्लड मनी में तय रकम नहीं होती हैं। आरोप करने वाला और पीड़ित परिवार दोनों आपसी सहमति से तय करते हैं कि कितने पैसे दिए जाएं। रकम कितना हो यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मृतक या मृतका परिवार में कमाने वाला एकमात्र तो नहीं था? हालांकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पीड़ित का परिवार मोटी से मोटी रकम देने के बाद भी मान जाए। अगर परिवार नहीं माना तो आरोपी की मौत की सजा बरकरार रहती है। 

ब्लड मनी से बची जान

कोझिकोड के मूल निवासी अब्दुल रहीम सऊदी अरब के जेल में बंद हैं। उन्हें हत्या का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, बाद में पीड़ित के परिवार ने बल्ड मनी पर सहमति जताई और अदालत ने अपना फैसला बदल दिया। अब्दूल की रिहाई के लिए  ब्लड मनी के तौर पर 34 करोड़ रुपए की रकम जुटाई गई थी। अब अब्दुल की रिहाई का उसके परिवार को इंतजार है। 

 

मशहूर समाजसेवी एसपीएस ओबेरॉय ने 2023 में शारजाह में चार आरोपियों - जिनमें से तीन पाकिस्तानी नागरिक हैं और एक पंजाब के निवासी की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए पीड़ित के परिवार को ब्लड मनी के तहत भुगतान किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से ओबेरॉय ने कहा कि उनके ट्रस्ट ने 28 विभिन्न मामलों में पीड़ितों के परिवारों को ब्लड मनी के तहत राशि देकर 125 लोगों की जान बचाई है। इसमें मौत की सजा पाए 21 पाकिस्तानी भी शामिल है।