अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे की प्रारंभिक रिपोर्ट विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने जारी कर दिया है। अभी तक की जांच में सामने आया है कि उड़ान भरने के एक सेकंड बाद ही विमान के दोनों इंजनों के ईंधन कंट्रोल स्विच बंद हो गए थे। चार सेकंड बाद पहला और उसके चार सेकंड बाद दूसरा इंजन चालू हुआ। मगर दूसरा इंजन स्थिर नहीं हो पाया। कॉकपिट में पायलटों के बीच हुई बातचीत का ब्योरा भी सामने आया है। आइए जानते हैं 12 जून से अब तक एयर इंडिया प्लेन क्रैश मामले में क्या-क्या हुआ?

 

  • विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने 13 जून से अपनी जांच शुरू की। इसमें कई विभागों के विशेषज्ञों को मिलाकर एक टीम केंद्रीय गृह सचिव ने बनाया था। समिति का लक्ष्य विमान हादसे के पीछे की वजह का पता लगाना और भविष्य में कैसे इन हादसों से बचा जाए, इसके बारे में सुझाव देना है। 

 

  • 13 जून को कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और 16 जून को फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) मिला। 24 जून को वायुसेना के विमान से फ्लाइट का ब्लैक बॉक्स दिल्ली भेजा गया। इसी दिन  फ्रंट और रियर ब्लैक बॉक्स को दिल्ली स्थित एएआईबी लैब लाया गया। 24 जून से ही ब्लैक बॉक्स से डेटा निकालना शुरू किया गया। 25 जून को फ्रंट ब्लैक बॉक्स से क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) निकाला गया।मेमोरी मॉड्यूल से डेटा को डाउनलोड किया गया।

 

  • हादसे के अगले दिन यानी 13 जून को नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एअर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर बेड़े की सुरक्षा जांच को सख्त करने का आदेश दिया। बाद में एयर इंडिया ने भी इन विमानों के गहन जांच का फैसला किया। इस बीच संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के विशेषज्ञ को जांच में पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया है। टाटा संस ने पीड़ित परिवारों को एक-एक करोड़ के मुआवजे और घायलों के इलाज का एलान किया। हादसे में क्षतिग्रस्त छात्रावास की इमारत को भी बनवाने की बात कही। एयर इंडिया भी 25 लाख रुपये का मुआवजा दे रही है। 


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  • प्रारंभिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अहमदाबाद में हादसा का शिकार हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के दोनों इंजन में ईंधन पहुंचाने वाली बटन बंद थे। आखिरी रिकॉर्डिंग में एक पालयट दूसरे से पूछा कि ईंधन क्यों बंद किया? जवाब में दूसरे पालयट ने कहा कि मैंने ऐसा नहीं किया है। उड़ान भरने के सिर्फ 30 सेकेंड बाद ही विमान क्रैश हो गया था। 

 

  • एएआईबी की रिपोर्ट के मुताबिक विमान को-पायलट उड़ा रहा था। कैप्टन निगरानी कर रहा था। अभी तक विमान के ऑपरेटरों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई की सिफारिश नहीं की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक फ्लाइट ने 1 बजकर 38 मिनट और 42 सेकंड में 180 नॉट्स आईएएस की गति हासिल की। एक सेकंड बाद ही इंजन-1 और इंजन-2 के फ्यूल कटऑफ स्विच रन से कटऑफ हो गया। विमान ने 1 बजकर 38 मिनट और 39 सेकेंड में उड़ान भरी थी। पायलट ने 1 बजकर 39 मिनट और 05 सेकंड पर मेडे संदेश दिया।

 

  • रिपोर्ट के मुताबिक मेडे संदेश पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) ने पायलट से कॉल साइन पूछा। मगर कोई जवाब नहीं मिला। मगर एटीसी ने हवाई अड्डे के बाहर विमान को हादसाग्रस्त होते देखा और तुरंत ही आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय किया। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) की लैब में ईंधन के नमूनों की जांच की गई। रिपोर्ट के मुताबिक रिजल्ट संतोषजनक मिले।

 

  • एएआईबी के मुताबिक फ्लाइट के मलबे को हवाई अड्डे के पास एक सुरक्षित क्षेत्र में रखा गया है। मलबे से दोनों इंजनों के हिस्से को निकालकर हवाई अड्डे के अंदर हैंगर में रखा गया है। ड्रोन फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी समेत दुर्घटनास्थल पर सभी जरूरी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया गया है। प्रारंभिक संकेतों और फ्लाइट रिकॉर्डर से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर और जानकारी जुटाई जा रही है।

 

  • हादसे का शिकार हो चुके विमान में 'जीई एनएक्स-1बी' इंजन लगे थे। प्रारंभिक रिपोर्ट में बोईंग 787-8 और जीई एनएक्स-1बी इंजन ऑपरेटरों और निर्माताओं के खिलाफ किसी भी कार्रवाई की सिफारिश नहीं की गई है। अभी तक जीवित बचे एकमात्र यात्री और अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। मृतकों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा रहा है। 


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  • 12 जून की दोपहर 1:38 बजे एयर इंडिया का विमान एयरपोर्ट से उड़ान भरने के बाद अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के आवासीय परिसर पर हादसे का शिकार हो गया था। एयर इंडिया की यह फ्लाइट बोइंग 787-8 विमान विमान था और 12 साल पुराना था।

 

  • गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रहे विमान में चालक दल के 12 सदस्यों समेत कुल 242 लोग सवार थे। हादसे में इंग्लैंड के रहने वाले एकमात्र यात्री विश्वास कुमार रमेश की जान बची थी। वह आपातकालीन निकास के नजदीक स्थित सीट नंबर 11A पर बैठे थे। जमीन पर मौजूद 19 अन्य लोगों समेत विमान हादसे में कुल 260 लोगों की अपनी जान गंवानी पड़ी।