अहमदाबाद का सिविल अस्पताल। बाहर कई लोग जमा थे। एक लड़की तेज आवाज में दहाड़ें मारकर रो रही थी। जिसने उसकी चीखें सुनी, सिहर कर रहा गया। एयर इंडिया के फ्लाइट AI-171 में न तो कोई उसका अपना सवार था, न ही उसके परिवार का कोई भी शख्स  बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल मेस में खाना खाने गया था, फिर भी विमान हादसे में उसके 13 साल के भाई की मौत हो गई। उसे खुद भी नहीं समझ में आया कि यह हादसा आखिर हुआ कैसे।

कल्पेश पाटनी ने अपने 13 साल के बच्चे को खो दिया है। वह पोस्टमार्टम हाउस के बाहर रो रही थी। चिथड़ा तक नहीं मिल पाया। विमान गिरा और वह राख हो गया। उसके शरीर के अवशेष ऐसे जले कि उन्हें जुटाना मुश्किल है। उन्हें देखकर पहचाना नहीं जा सका, अब डीएनए सैंपल से ही मिलने की उम्मीद है। 

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बेघर था परिवार, फुटपाथ पर सोया, जान चली गई 

आकाश उन लोगों में शुमार नहीं था जिनके पास एयर इंडिया का टिकट था। छोटी सी जिंदगी में वह कभी किसी अपार्टमेंट में भी नहीं रहा। उसका परिवार भी 2 सप्ताह पहले बेघर हो गया था। मकान मालिक ने घर से निकाल दिया था। आकाश का परिवार, मेघनीनगर इलाके में अपनी चाय की दुकान के सामने फुटपाथ पर सो रहा था। बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर जब विमान गिरा तो उसमें आकाश भी मारा गया।  

जहां विमान गिरा, वहां खत्म हुए 24 लोग

जब लैंडिंग के महज 33 सेकेंड विमान क्रैश हुआ तो बिल्डिंग के आसपास मौजूद कम से कम 24 लोग भी खत्म हो गए। आकाश भी मरने वालों में से एक था। गुरुवार आधी रात तक अहमदाबाद सिविल अस्पातल में करीब 265 लाशें आ चुकी थीं। मरने वालों में ज्यादातर लोग, फ्लाइट में सवार यात्री थे। उनके अलावा, जहां तक मलबा गया, लोगों की मौत हुई। एयर इंडिया ने कहा कि विमान में 241 लोग सवार थे, जिनकी मौत हुई है। जब यह हादसा हुआ तो आकाश फुटपाथ पर सो रहा था। 4 मेडिकल स्टूडेंट और एक डॉक्टर की पत्नी की भी मौत हुई है। 

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हादसे के बाद मलबे को साथ करती NDRF की टीम। (Photo Credit: PTI)

कैसे गई जान?

एयर इंडिया का विमान पास से हॉस्टल की इमारत से टकराया, जिसके बाद विमान का मलबा, जलते हुए पुर्जे और विमान के टैंक का तेल जहां-जहां गया, वहां-वहां तबाही मची। अचानक आसपास का तापमान 700 डिग्री सेल्सियस पार कर गया। आग की वजह से 13 साल का बच्चा आकाश भी झुलस गया. 

'मेरा कन्हैया मेरे सामने आग में झुलस गया'

आकाश का भाई कल्पेश चीखता रहा, 'मेरा भाई, मेरा भाई' पुकारता रहा। उसके दोस्त उसे वापस खींचते रहे। आकाश की दादी बाबीबेन पाटनी ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहा कि मेरी आंखों के सामने ही मेरा कन्हैया, आग में झुलस गया।'

आकाश की दादी बार-बार रोते हुए कहती हैं कि उनका बच्चा उन्हें लौटा दो। उसके बिना जिंदगी बेहद मुश्किल होगी। छोटे बच्चों को लोग प्यार से कान्हा भी बुलाते हैं, यह भगवान कृष्ण का एक नाम है।  

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विमान हादसे में अपनों को खोने के बाद रोती-बिलखती महिला। (Photo Credit: PTI)

बच्चे को आग से बाहर निकालने गई, खुद झुलस गई मां

आकाश की मां सीता सुरेश पाटनी भी झुलस गईं। आकाश की मां सीता भी आग में झुलस गई हैं। आकाश की दादी बताती हैं, 'जब आकाश चिल्लाने लगा तो सीता उसकी ओर दौड़ पड़ी। आग बुझाने की कोशिश की लेकिन खुद झुलस गई। बच्चा नहीं बच पाया।'

आकाश के पिता सुरेश अस्पताल के बाहर इंतजार में हैं कि ब्लड सैंपल दे सकें, जिससे उन्हें उनका बच्चा मिल पाए।